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स्मृति शेष सौम्यमूर्ति स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी जी

एक ऐसा त्यागी से परिचय कर रहा हूं जो वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं है, लेकिन उनके जीवन के बहुत से पहलू ऐसे हैं जो पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी हैं।

नई दिल्ली, 23 मार्च  2023 (यूटीएन)। एक ऐसा त्यागी से परिचय कर रहा हूं जो वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं है, लेकिन उनके जीवन के बहुत से पहलू ऐसे हैं जो पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी हैं। हम बात कर रहे है श्रवणबेलगोला मठ के भट्टारक कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी की जिनका आज प्रातःकाल सम्यक समाधि पूर्वक निधन हो गया. अपने कार्य मे सदैव तत्पर रहने वाले और चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनाए रखने वाले चारूकीर्ति स्वामी जी को पूरा देश जानता है। आज उनके समाधि निधन पर देश का जैन समाज तो शौकमग्न है ही साथ ही जैनेत्तर समाज भी उनकी स्मृतियों को याद कर दुखी हो रहा है.
वे देश ही नहीं विदेशों में भी अपने सौम्य स्वभाव और ज्ञान के कारण विख्यात थे. कर्नाटक के साथ साथ दक्षिण भारत के स्थानीय लोग उन्हें लोक देवता मानते थे. 51 साल पहले जब उनकी उम्र कोई बीस वर्ष रही होगी, तब मठ का बैंक बैलेंस सिर्फ एक हजार रूपए था। वे गुरु आज्ञा से मठ के उत्तराधिकारी चुने गए और आज इसी मठ का पास 20 से अधिक शिक्षण संस्थाएं, अस्पताल एवं समाजिक संस्थाएं है। यह 40 से अधिक मंदिरों का संचालन कर रहा है, 10 शिष्य भट्टारक बनकर अलग-अलग मठों का संचालन कर रहे हैं और अब उनका संकल्प प्राकृत युनिवर्सिटी बनाने का है। 20 वीं सदी में भट्टारक गदिदयों के जीर्णोद्धार का श्रेय उनको ही जाता है। उनके नेतृत्व में भगवान बाहुबली के चार महामस्तकाभिषेक हो चुके हैं, जिन्हें पूरी दुनिया के लाखों लोगों ने देखा है।
स्वामी जी का जन्म 3 मई में 1949 को कर्नाटक के वारंग गांव में हुआ था। स्वामी जी ने 19 अप्रैल 1970 के दिन महावीर जयंती के शुभावसर पर मठ की बागडोर संभाली थी। उन्होंने 12 दिसंबर 1969 को संन्यास दीक्षा ग्रहण की। औरों की तरह उन्होंने नए मंदिरों का निर्माण नहीं करवाया बल्कि क्षेत्र के इतिहास को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने 40 प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1981 में महामस्तकाभिषेक में स्वामी जी कार्यशैली और काम करने की क्षमता को देखते हुए कर्मयोगी की उपाधि से सम्मानित किया था। विश्व शांति के लिए कार्य करने पर 2017 में कर्नाटक सरकार ने स्वामी जी को महावीर शांति पुरस्कार प्रदान किया। सम्मान के रूप में उन्हें 10 लाख रुपए, प्रशस्ति, शॉल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।
*स्वामी जी मार्गदर्शन में चल रहे और सम्पन्न हुए कार्यों पर नजर*
• 2006 के महामस्तकाभिषेक के समय स्वामी जी ने पूरे गांव में शौचालय निर्माण करवाने का संकल्प लेकर पूरा किया। इस कार्य में सरकार-प्रशासन का पूर्ण सहयोग रहा।
• आस पास के गांव में बीमार व्यक्तियो के स्वास्थ्य लाभ के मोबाइल चिकित्सालय का संचालन किया।
• मठ से जैन-जैनत्तर लोगो को हर माह धन राशि का सहयोग किया जाता है।
• बाहुबली बाल चिकित्सालय का संचालन किया जा रहा है। यह 100 बैड का अस्पताल है। साथ ही 100 बैड के जनरल
अस्पताल का संचालन भी किया जा रहा है।
• कर्नाटक में बाढ प्रभावित क्षेत्रों में राशन, कपड़े, चिकित्सा आदि की व्यवस्था की गई है।
• बच्चों को संस्कार देने के लिए ब्रह्मचर्य आश्रम का संचालन किया जाता है जहां धार्मिक और लौकिक दोनों तरह की पढाई होती है।
• नर्सरी से लेकर इंजीनियरिंग कॉलेज का संचालन किया जाता है।
• 1981 में पूरे देश में जनमंगल कलश का भ्रमण करवाया।
• 6000 से अधिक पांडुलिपियां सुरक्षित की है।
• जैन साहित्य अन्य साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक साहित्यकार, विद्वान, पत्रकारों को प्रतिवर्ष पुरस्कार दिया जाता एंव समय समय पर सम्मेलन भी किए जाते हैं।
•प्राकृत वन जहां पर औषधियों आदि के पेड़, पौधे लगे हुए हैं।
•आर्थिक दृष्टि से पिछड़े जन समुदाय को चिकित्सा सुविथा के साथ सहाय धन योजना के तहत विकलांग मंदबुद्धि को 1100 रुपय प्रतिमाह की सहायता दी जाती है।
•प्राचीन साहित्य प्रकाशन के लिए अक्षर कलश योजना प्रारम्भ की गई है।
• स्वामी जी इतने सब काम करते है, लेकिन मोबाइल फोन का उपयोग नही करते है।
• साधुओं की सेवा के लिए त्यागी सेवा समिति अलग से बनाई गई है।
स्वामी जी ने 51 सालों में जो कुछ भी किया है, वह समाज के लिए प्रेरणास्पद है। स्वामी जी से प्रेरणा लेनी चाहिए कि किस तहर मठों, संस्थाओं, मंदिरों का संचालन सामाजिक कार्य के लिए किया जा सकता है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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