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नववधा भक्ति से देवीय शक्ति को अपने जीवन में उतारें: स्वामी राजेश्वरानंद

नवरात्र महोत्सव पर संदेश देते हुए स्वामी  राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि नवरात्र में नवधा भक्ति के द्वारा नौ देवियों की शक्तियों को स्वयं अपने जीवन में प्राप्त उतारा जा सकता है।

नई दिल्ली, 22 मार्च  2023 (यूटीएन)। नवरात्र महोत्सव पर संदेश देते हुए स्वामी  राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि नवरात्र में नवधा भक्ति के द्वारा नौ देवियों की शक्तियों को स्वयं अपने जीवन में प्राप्त उतारा जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि नवरात्रि का व्रत रखने से मां दुर्गा अपने भक्त से जल्द प्रसन्न होती है। बाकी दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने से जितने फल मिलता है उससे कई गुना फल नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना करने से मिलता है। साथ ही व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने से व्यक्ति कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पाता है। इसके अलावा व्रत रखने से हमारे विचार भी शुद्ध होते हैं. उन्होंने बताया कि नवरात्रि का व्रत रखने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। दरअसल, चैत्र नवरात्रि के दौरान ऋतु की बदलान होता है।
इस दौरान मौसम बदलता है जिसका असर सेहत पर पड़ता है। प्राचीन काल में भी ऋषि मुनि मौसम के बदलाव को समझते थे और वह नौ दिनों तक व्रत करते थे ताकि मौसम का उनके शरीर पर कम प्रभाव पड़े। इसलिए शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए नवरात्रि में उपवास किया जाता है और पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। साथ ही आप व्रत रखकर अपने शरीर को कई तरह की बीमारियों से भी बचा सकते हैं। आयुर्वेद में भी उपवास के कई फायदे बताए गए हैं। इसके अनुसार, व्रत रखने से व्यक्ति कम बीमार पड़ता है।
स्वामी राजेश्वरानंद ने बताया कि हर नवरात्र के पीछे का एक वैज्ञानिक आधार है। पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां होती हैं। जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है।
उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को शुद्ध रखने के लिए, तन-मन को निर्मल रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम ‘नवरात्र ‘ है. हालांकि शरीर को सुचारू रखने के लिए विरेचन, सफाई या शुद्धि प्रतिदिन तो हम करते ही हैं किन्तु अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर 6 माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है जिसमें सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुद्धि, साफ-सुथरे शरीर में शुद्ध बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों से सच्चरित्रता और क्रमश: मन शुद्ध होता है, क्योंकि स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है।
स्वामी राजेश्वरानंद जी बताते हैं कि ज्योत‌िषीय दृष्ट‌ि से चैत्र नवरात्र का खास महत्व है क्योंक‌ि इस नवरात्र के दौरान या आसपास सूर्य का राश‌ि परिवर्तन होता है।
चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। इसी द‌िन से वर्ष के राजा, मंत्री, सेनापत‌ि, वर्षा, कृष‌ि के स्वामी ग्रह का न‌िर्धारण होता है और वर्ष में अन्न, धन, व्यापार और सुख शांत‌ि का आंकलन क‌िया जाता है। नवरात्र में देवी और नवग्रहों की पूजा का कारण यह भी है क‌ि ग्रहों की स्थ‌ित‌ि पूरे वर्ष अनुकूल रहे और जीवन में खुशहाली बनी रहे। वे बताते हैं कि धार्म‌िक दृष्ट‌ि से नवरात्र का अपना अलग ही महत्व है क्योंक‌ि इस समय आद‌िशक्त‌ि ज‌िन्होंने इस पूरी सृष्ट‌ि को अपनी माया से ढका हुआ है ज‌िनकी शक्त‌ि से सृष्ट‌ि का संचलन हो रहा है जो भोग और मोक्ष देने वाली देवी हैं वह पृथ्वी पर होती है इसल‌िए इनकी पूजा और आराधना से इच्छ‌ित फल की प्राप्त‌ि अन्य द‌िनों की अपेक्षा जल्दी ‌होती है। जहां तक बात है चैत्र नवरात्र की तो धार्म‌िक दृष्ट‌ि से इसका खास महत्व है क्योंक‌ि चैत्र नवरात्र के पहले द‌िन आद‌िशक्त‌ि प्रकट हुई थी और देवी के कहने पर ब्रह्मा जी न् सृष्ट‌ि के निर्माण का कार्य शुरु किया था. स्वामी जी के अनुसार इस नवरात्रि में देवी की 9 शक्तियों के अलावा 9 विद्या भी पूजी जाती हैं।
9 औषधियां भी पूजन में शामिल की जाती है. इस नवरात्रि में ध्यान, चिंतन और मनन के अतिरिक्त आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास किए जाते हैं। साधक की साधना इस नवरात्रि में अधिक फलदायी होती है। इसी के साथ ब्रह्मलीन श्री राजमाता जी महाराज द्वारा स्थापित शाहदरा गोरख पार्क स्थित राजमाता झंडेवाला मंदिर में स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज के सान्निध्य में 118वा नवरात्रि महोत्सव चंडी यज्ञ में आहुति देने के साथ ही विधिवत प्रारंभ हो गया। प्रातः ॐ या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः के मंत्रोचारण द्वारा चंडी यज्ञ में आहुतियां अर्पित करने के साथ नवरात्रि महोत्सव का शुभारंभ हुआ। शक्ति के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का विधिवत पूजन किया गया जिसकी पूजा अर्चना करने से साधक के जीवन में भक्ति भावना का बीजारोपण होता हैं।तत्पश्चात मंदिर गर्भगृह स्थित गुफा में घट स्थापना,खेत्री बिजन,अखंड ज्योति प्रज्वलित करने के साथ ही स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज द्वारा जनकल्याण विश्व शांति हेतु पूर्ण नवरात्रि का मौनव्रत प्रारंभ हो गया। संस्थान द्वारा अन्न ग्रहण करने वालो के साथ साथ व्रतधारी भक्तो के लिए फलाहार भंडारे की व्यवस्था की गई है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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