नई दिल्ली, 16 मार्च 2023 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री मोदी के 2024 के सपनों को साकार बनाने का काम अब सूफी संत करेंगे। भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा ‘सूफी संवाद महाअभियान’ कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहा है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए सूफी समुदाय के 150 ‘नॉन पॉलिटिकल’ लोगों की एक टीम बनाई गई है, जो देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच भाजपा की विचारधारा और प्रधानमंत्री
मोदी के संदेश को पहुंचाने का काम करेगी। यह
कार्यक्रम लगभग एक साल तक चलेगा।
साल के अंत में दिल्ली में एक बड़ा सूफी संवाद
कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसे प्रधानमंत्री मोदी संबोधित करेंगे।
यह टीम देश के उन लोकसभा क्षेत्रों में विशेष तौर से काम करेगी, जहां मुस्लिम समुदाय की आबादी 20 फीसदी या इससे अधिक है। सूफी संवाद का कार्यक्रम देश के हर राज्य में चलाया जाएगा, लेकिन इसमें उत्तर प्रदेश सबसे प्रमुख होगा, जहां से लोकसभा की 80 सीटें आती हैं। यूपी में सूफी संवाद के 20 बड़े कार्यक्रम मुस्लिम बहुल इलाकों
सहारनपुर, मेरठ, रामपुर,
आजमगढ़ और अन्य इलाकों में आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा केरल और पूर्वोत्तर में भी सूफी संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
*मुस्लिमों में भाजपा की बात पहुंचाना लक्ष्य*
सूफी संवाद
महाअभियान के राष्ट्रीय प्रभारी मौलाना सुहैब कासमी ने अमर उजाला को बताया कि इस
कार्यक्रम का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय में प्रधानमंत्री के विचारों को पहुंचाना है। पिछले कुछ समय से यह देखा जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी भाजपा को खुलकर सपोर्ट करने लगे हैं। इसका परिणाम है कि भाजपा ऐसी सीटों पर भी जीत हासिल कर रही है, जहां मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन के बिना जीतना संभव नहीं है। ऐसे मतदाताओं की संख्या में वृद्धि करना उनका लक्ष्य होगा। लेकिन जो लोग
भाजपा को वोट नहीं भी करते हैं, उन तक सरकार की बात पहुंचाना उनका लक्ष्य है।
*मुस्लिम मतदाता आवश्यक क्यों*
भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए
‘मिशन 80’ का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अंतर्गत वह उत्तर प्रदेश की सभी लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाकर चल रही है। लेकिन मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा की जीत मुस्लिम मतदाताओं के सहयोग के बिना संभव नहीं है। यही कारण है कि कभी पसमांदा मुसलमान तो कभी सूफी समुदाय लोगों के बहाने मुस्लिम
मतदाताओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश की जा रही है।
*सिख और ईसाई भी*
इस अभियान के अंतर्गत
मुस्लिमों के साथ-साथ सिख और ईसाई समुदाय के लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी। सूफी विचारधारा से जुड़े हिंदू समुदाय के लोगों से मिलकर भी उन्हें राष्ट्र निर्माण से जोड़ने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए गुरुद्वारों और चर्चों में भी जाने की योजना बनाई जा रही है।कार्यक्रम की रणनीति में पहले हर जिले के स्तर तक, बाद में ब्लॉक स्तर तक टीमें बनाई जाएंगी। ब्लॉक स्तर के बाद निचले स्तर पर पहुचने की कोशिश होगी। हर सक्रिय
कार्यकर्ता से मुस्लिम समुदाय के 10 वोट लाने की अपील की जाएगी।
*कौन देगा ट्रेनिंग*
भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में सूफी
विचारधारा से जुड़े नेता सूफी महा अभियान की टीम को पार्टी की योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी देंगे, जिन्हें ये लोग देश के कोने-कोने तक पहुंचाएंगे। इस टीम को संबोधित करने वालों में हज कमेटी के चेयरमैन अब्दुल्ला कोट्टी, अल्पसंख्यक मंत्रालय राज्य मंत्री जॉन बारला, सांसद हंसराज हंस शामिल हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष भी इस टीम को संबोधित कर सकते हैं।
*सूफी विचारधारा से प्रधानमंत्री का प्रेम*
भाजपा के
अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने अमर उजाला से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से सूफी विचारधारा के प्रति विशेष प्रेम रखते रहे हैं। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव की अपनी तैयारियों की शुरुआत में भी एक सूफी सम्मेलन को संबोधित किया था, जिसे मौलाना अशरफ कछौछवी ने विज्ञान भवन में कराया था।
कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह के लिए एक चादर भी भेजी थी। इसे भी उनकी मुस्लिम समुदाय के बीच पहुंचने की एक
कोशिश के तौर पर देखा गया था। इसके पहले प्रधानमंत्री ने है
दराबाद की पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने की कोशिश करने की बात कही थी।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |