नई दिल्ली, 06 मार्च 2023 (यूटीएन)। ऑपरेशन मां के जरिये सेना ने स्थानीय आतंकियों की माताओं से अपील की थी कि वह दहशतगर्दों से प्रभावित अपने बेटों हिंसा के रास्ते पर जाने से रोकें और मुख्यधारा में लौटने को प्रेरित करें।
नवयुवकों को आतंकियों के जाल में फंसने से रोकने लिए सेना कई बार भावुक करने वाले शब्दों के जरिये सैन्य ऑपरेशन चलाती है। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों की पुस्तक ‘कितने गाजी आए
कितने गाजी गए’ में इस वाकये का जिक्र किया गया है।
पुस्तक में कहा गया है कि आतंकियों के अपनी माताओं को लिखे गए।
पत्रों या उनसे प्राप्त पत्रों के जरिये सेना को
ऑपरेशन मां चलाने का विचार आया। ऑपरेशन मां के ज
रिये सेना ने स्थानीय
आतंकियों की माताओं से अपील की थी कि वह दहशतगर्दों से प्रभावित अपने बेटों हिंसा के रास्ते पर जाने से रोकें और मुख्यधारा में लौटने को प्रेरित करें। लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों रक्षा खुफिया एजेंसी
(डीआईए) के महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। जम्मू-कश्मीर से 2019 में जब अनुच्छेद-370 हटाया गया, उस वक्त ढिल्लों कश्मीर में 15वीं कोर में रणनीतिक मामलों के प्रमुख थे। इस कोर के कमांडिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी संभालने के कुछ समय बाद ही सीआरपीएफ के काफिले पर
आतंकी संगठन जैश के हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।
*पिता की तुलना में मां की ज्यादा सुनते हैं कश्मीरी युवा*
पूर्व सैन्य अधिकारी ने लिखा है कि वह
महसूस करते हैं कि कश्मीरी युवा अपने पिता की तुलना में माताओं की ज्यादा सुनते हैं। वह लिखते हैं, मेरे पूर्व के कार्यकाल में स्थानीय आतंकियों के सफाए के दौरान हमें एक पत्र मिला, जो आतंकी ने मां को लिखा था या मां ने अपने आतंकी बेटे को। इसलिए मेरी समझ में कश्मीर में सामाजिक और
पारिवारिक स्थिति के कारण
ऑपरेशन मां की उत्पत्ति हुई। वह लिखते हैं कि मुझे गर्व है कि इस ऑपरेशन के जरिये कम से कम 50 लड़के अपने परिवार के पास लौट आए।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |