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अयोध्या को हिंदू-जैन-बौद्ध एकता नगरी के रूप में विकसित किया जाएगा

अयोध्या का संबंध केवल हिंदू धर्म से नहीं है।

नई दिल्ली, 07 नवंबर 2023 (यूटीएन)। अयोध्या का संबंध केवल हिंदू धर्म से नहीं है। बौद्ध धर्म और जैन धर्म के मूल का स्रोत भी किसी न किसी रूप में अयोध्या से ही जुड़ा हुआ है। ऐसे में अयोध्या सभी मूल भारतीय धर्मों को आपस में जोड़ने में अहम कड़ी साबित हो सकता है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) राम मंदिर के उद्घाटन के बाद एक कार्यक्रम चलाकर अयोध्या को सभी मूल  भारतीय धर्मों के एकता स्थल के रूप में स्थापित करेगी। इससे न केवल सभी भारतीय धर्मों के मतावलम्बियों को करीब लाने में मदद मिलेगी, बल्कि अयोध्या के पर्यटन को नई ऊंचाई भी मिलेगी।
* जैन धर्म का अयोध्या से नाता *
जैन धर्म के सभी 24 तीर्थंकर इक्ष्वाकु वंश के थे। भगवान राम का वंश भी यही था। जैन धर्मावलंबियों की मान्यता है कि उनके धर्म के संस्थापक भगवान ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में ही हुआ था। भगवान ऋषभदेव के आलावा चार अन्य जैन तीर्थंकरों अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का संबंध भी अयोध्या से ही हैं। भगवान ऋषभदेव जिस इक्ष्वाकु राजवंश से संबंध रखते थे, बुद्ध काल में वह अयोध्या के आसपास ही शासन करता था। अयोध्या में कई दिगंबर-श्वेतांबर जैन मंदिर हैं। इनमें भगवान ऋषभदेव के जन्म स्थान के रूप में माने जाने वाला मंदिर भी शामिल है। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
अयोध्या के रायगंज में भगवान ऋषभदेव की 31 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है जिसे बड़ी मूर्ति के नाम से जाना जाता है। चूंकि, भगवान ऋषभदेव के काल के हजारों वर्ष बाद भी अयोध्या में उनके मंदिर और अन्य अवशेष मिलते हैं, इस कथा को धार्मिक और ऐतिहासिक स्रोतों से भी पुष्टि हो जाती है। इससे जैन धर्म का भगवान राम से संबंध प्रमाणित हो जाता है। यानी अयोध्या जैन धर्म के लिए सबसे पवित्र नगरी मानी जा सकती है। यदि अयोध्या को जैन समाज के लिए सबसे पवित्र स्थल के रूप में विकसित किया जाये तो इसकी लोकप्रियता को एक नया वैश्विक आयाम मिल सकता है।
भगवान बुद्ध की तपोस्थली है अयोध्या…………..
बौद्ध धर्म के साहित्यिक प्रमाण इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भगवान बुद्ध ने इस स्थल पर 16 वर्ष के लिए डेरा डाला था। उन्होंने यहां पर तपस्या भी की थी। उनकी दक्षिण की ओर यात्रा के समय अयोध्या उनका पहला पड़ाव था। अयोध्या में आज भी बौद्ध धर्म के कई स्तूप विद्यमान हैं। लेकिन वर्तमान समय में वाराणसी बौद्ध धर्म मतावलंबियों की आस्था के सबसे प्रमुख केंद्र के तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुका है।      
* सिख धर्म में भी राम *
सिख धर्म के सबसे पवित्र धर्म ग्रंथ गुरु ग्रन्थ साहिब में राम शब्द का 2500 से अधिक बार उपयोग हुआ है। कहा जाता है कि सिखों के प्रथम गुरु नानक ने 1520 ईस्वी के आसपास अयोध्या की यात्रा भी की थी। उनकी इस यात्रा को राम के प्रति उनके प्रेम से ही जोड़कर देखा जाता है। इससे सिख धर्म का भी सनातन धर्म से संबंध स्थापित होता है। हालांकि, कुछ लोगों का मत है कि गुरु नानक की यह यात्रा धर्म यात्रा नहीं थी, बल्कि यह सामान्य लोगों को सिख धर्म की शिक्षा देने के लिए की गई थी। गुरु नानक ने इसी तरह की यात्रा मक्का के लिए भी की थी।    
क्या है विहिप का कहना ?
विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने अमर उजाला से कहा कि यह स्थापित सत्य है कि जैन-बौद्ध-सिख जैसे भारतीय धर्मों का विकास हिंदुत्व से ही हुआ है। इन सभी धर्मों के सबसे बड़े धर्म गुरुओं का अयोध्या और राम से संबंध स्थापित भी हो रहा है। अयोध्या की धार्मिक विरासत इस ऐतिहासिक सत्य को प्रमाणित करती है। पुरातात्विक साक्ष्य भी इन तथ्यों को प्रमाणित करते हैं। ऐसे में इन धर्मों को मानने वाले लोगों के  बीच कोई भेद नहीं हो सकता। उनका प्रयास है कि इसी बात को आम जनमानस के बीच में स्थापित किया जाए। इससे सामाजिक सौहार्द बढ़ेगा और राष्ट्र की एकता मजबूत बनेगी।  
क्या है विहिप के लक्ष्य का महत्त्व……………….
दरअसल, विहिप के इस कार्यक्रम का महत्त्व इस अर्थ में समझा जा सकता है कि इस समय बौद्ध धर्म को सनातन के विरुद्ध और उससे अलग दिखाने का प्रयास हो रहा है। कुछ राजनेताओं के द्वारा सनातन को छोड़कर बौद्ध धर्म को अपना लेने की बात कही जाती रही है। ऐसे कुछ धर्म परिवर्तन के मामलों पर राजनीतिक तूफ़ान भी खड़ा हो चुका है। इसी प्रकार हाल ही में पंजाब के कुछ तत्त्वों ने खुद को सनातन धर्म से अलग करके दिखाने की कोशिश की है।
लेकिन आरएसएस और विहिप का मानना है कि यह हिंदू समाज और देश को कमजोर करने का षड्यंत्र है। उन्हें लगता है कि इस षड्यंत्र का मुकाबला सभी भारतीय मूल धर्मों को करीब लाकर ही किया जा सकता है। यही कारण है कि इस तरह का एक अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है जो इन सभी मतावलम्बियों को करीब ला सके। अयोध्या विहिप के इस ‘सांस्कृतिक पुनर्जागरण’ का बड़ा माध्यम बन सकती है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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