उन्होंने कहा, समय आ गया है जब हमें अपने खान-पान का मेनू इस तरह चुनना होगा कि प्रकृति को किसी भी तरह का नुकसान न हो।” राष्ट्रपति ने उन खाद्य पदार्थों से दूर रहने और पर्यावरण-अनुकूल मेनू की ओर बढ़ने का आह्वान किया जो जलवायु को प्रभावित नहीं करते हैं। मुर्मू ने कहा, “हमें उन खाद्य पदार्थों की ओर जाने की जरूरत है जो न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि ग्रह के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हैं।
16 समझौता ज्ञापन, 17,990 करोड़ का निवेश…………………
कार्यक्रम में मौजूद खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत के कुल कृषि निर्यात में खाद्य प्रसंस्करण का योगदान 75 प्रतिशत है। पारस ने कहा कि तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान लगभग 35,000 करोड़ रुपये के निवेश के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने कार्यक्रम को सभी हितधारकों के प्रयासों से सफल करार दिया। बता दें कि वर्ल्ड फूड इंडिया के पहले दिन खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय और विभिन्न उद्योग संस्थाओं के बीच कुल 16 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इनसे लगभग 17,990 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
50,000 करोड़ रुपये का एफडीआई………………..
एमओयू साइन करने वाली उल्लेखनीय कंपनियों में मोंडेलेज़, केलॉग, आईटीसी, इनोबेव, नेडस्पाइस, आनंदा, जनरल मिल्स और एब इनबेव शामिल हैं। सरकार का दावा है कि पिछले नौ वर्षों में, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र ने लगभग 50,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित किया है।
2017 में पहली बार हुआ आयोजन……….
केंद्र ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भी शुरू की है। वर्ल्ड फूड इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को ‘दुनिया की खाद्य टोकरी’ के रूप में प्रदर्शित करना है। पहला संस्करण 2017 में आयोजित किया गया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा सके।