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विश्व बैंक की रिपोर्ट: महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले दो-तिहाई कानूनी अधिकार

वैश्विक स्तर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को केवल दो-तिहाई कानूनी अधिकार मिलते हैं।

नई दिल्ली, 07 मार्च 2024 (यूटीएन)। वैश्विक स्तर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को केवल दो-तिहाई कानूनी अधिकार मिलते हैं। इससे जाहिर है कि सदियों से पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता की खाई कानूनी तौर पर भी पाटी नहीं जा सकी है। विश्व बैंक की वुमन, बिजनेस एंड द लॉ नामक शीर्षक वाली रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कार्यस्थल पर महिलाओं और पुरुषों के बीच का अंतर पहले की तुलना में अधिक है।
वहीं, जब हिंसा और बच्चों की देखभाल से जुड़े कानूनी मतभेदों को ध्यान में रखा जाता है, तो महिलाओं को पुरुषों की तुलना में दो-तिहाई से भी कम अधिकार प्राप्त हैं। रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से सुरक्षा व बच्चों की देखभाल सेवाओं तक पहुंच जैसे मुद्दे शामिल हैं। दोनों मुद्दे महिलाओं के अवसरों को प्रभावित करते हैं। इस संदर्भ में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में केवल 64% ही कानूनी सुरक्षा प्राप्त है।
जो 77% के पिछले अनुमान से काफी कम है। भारतीय महिलाओं की यह है स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में सिर्फ 60 फीसदी कानूनी अधिकार हैं, जो वैश्विक औसत 64.2 प्रतिशत से थोड़ा कम है। हालांकि, भारत ने अपने दक्षिण एशियाई समकक्षों को पीछे छोड़ दिया, जहां महिलाओं को पुरुषों की ओर से प्राप्त कानूनी सुरक्षा का केवल 45.9 प्रतिशत हिस्सा है।
*महिलाओं में वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति देने की शक्ति*
विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमिट गिल के मुताबिक, महिलाओं में लड़खड़ाती वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति देने की शक्ति है। हालांकि, इसके बावजूद पूरी दुनिया में, भेदभावपूर्ण कानून और प्रथाएं महिलाओं को पुरुषों के साथ समान स्तर पर काम या व्यवसाय करने से रोक रही हैं। गिल के अनुसार इस अंतर को कम करने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20 फीसदी से अधिक का इजाफा हो सकता है, जो अगले दशक में वैश्विक विकास की दर को प्रभावी तरीके से दोगुना कर सकता है। लेकिन उनका कहना है कि इन सुधारों की गति धीमी पड़ गई है।
*रैंकिंग में बदलाव*
नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया है कि सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं सहित कोई भी देश महिलाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित नहीं करता है। हालांकि, भारत की रैंक में 74.4 प्रतिशत के स्कोर के साथ इसमें मामूली सुधार हुआ है और यह 113 प्रतिशत हो गया है। रैंकिंग 2021 में 122 से घटकर 2022 में 125 और 2023 के सूचकांक में 126 हो गई। सालाना प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट में 190 देशों में महिलाओं के लिए कानूनी सुधारों और वास्तविक परिणामों के बीच मौजूद असमानता का मूल्यांकन किया गया है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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