नई दिल्ली, 24 अक्टूबर 2023 (यूटीएन)। त्वचा संबंधी रोगों से पीड़ित 42 फीसदी लोग ठीक से नींद नहीं ले पाते हैं। इसका उनके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है। खासकर थकान, आलस्य, आंखों में झुनझुनी, बार-बार जम्हाई जैसी समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं। शोधकर्ताओं ने 20 देशों में 50 से हजार से अधिक वयस्कों पर किए गए अध्ययन के बाद इसका खुलासा किया है। ऑल प्रोजेक्ट के तहत किए गए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के निष्कर्ष बर्लिन में यूरोपियन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरोलॉजी (ईएडीवी) कांग्रेस में प्रस्तुत किए गए।
अध्ययन के अनुसार खुजली के 60 प्रतिशत और जलन या झुनझुनी के 17 प्रतिशत रोगियों की नींद में बाधा प्रमुख समस्या थी। बगैर त्वचा रोग वाले लोगों की तुलना में इन रोगियों में जागने पर थकान 81%, दिन में नींद आना 83%, आंखों में झुनझुनी के 58% और बार-बार जम्हाई आने के 72% मामले अधिक देखे गए। अध्ययन का उद्देश्य त्वचा संबंधी बीमारियों का जीवन की गुणवत्ता पर पड़ने वाले दूरगामी प्रभावों का पता लगाना था।
संक्रमण के कई कारण
अस्वस्थ जीवनशैली, तनाव की अधिकता, हार्मोन असंतुलन, केमिकल उत्पादों का अधिक इस्तेमाल व कई तरह के संक्रमण हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। ये रोग सूजन, खुजली, चकत्ते और अन्य त्वचा परिवर्तन का कारण हो सकते हैं। त्वचा की कुछ बीमारियां आनुवंशिक होती हैं।
पूरी दुनिया में 1.79 प्रतिशत चर्म रोगी
विश्व में चर्म रोग की सभी बीमारियों में से 1.79% की भागेदारी है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एसोसिएशन के अनुसार पूरे अमेरिका में 4 में से 1 व्यक्ति त्वचा रोगी हैं। प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. चार्ल्स ताएब ने त्वचा रोगियों के लिए नींद की गड़बड़ी का शीघ्र पता लगाने और प्रभावी प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि ये गड़बड़ी शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालती है।
जलवायु परिवर्तन से बेमौसम गर्मी भी वजह
जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया भर में बढ़ रही बेमौसम उमस भरी गर्मी भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। हर व्यक्ति में इसके प्रभाव थोड़े समय के लिये या स्थायी, दर्दनाक या दर्द रहित होते हैं। कुछ त्वचा संक्रमण मामूली हो सकते हैं जबकि कई घातक होते हैं। अध्ययन के अनुसार अलग-अलग प्रकार के त्वचा विकारों के लक्षण व्यक्ति में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। कई बार जूते या कपड़ों से भी खुजली हो जाती है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |