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स्वास्थ्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा, वेतन कम

दुनियाभर में कामकाजी उम्र की करीब 240 करोड़ महिलाओं को अभी भी पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं।

नई दिल्ली, 19 मार्च 2024 (यूटीएन)। वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों के बीच मौजूद खाई काफी चौड़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की नई रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी 67 फीसदी है, इसके बावजूद उन्हें पुरुषों की तुलना में 24 फीसदी कम वेतन से संतोष करना पड़ता है। फेयर शेयर फॉर हेल्थ एंड केयर नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, यदि निम्न या मध्य आय वाले देशों में महिलाओं को भी पुरुषों के समान वेतन मिले तो उनकी वित्तीय स्थिति में नौ लाख करोड़ डॉलर का सुधार देखने को मिल सकता है।
वेतन में व्याप्त यह अंतर महिलाओं को अपने परिवारों और समुदायों में अपनी स्थिति मजबूत करने से रोकता है। वैश्विक स्तर पर महिलाएं जहां अपनी कमाई का 90 फीसदी हिस्सा अपने परिवार के कल्याण पर खर्च करती हैं, वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा केवल 30 से 40 फीसदी ही है।
*निर्णय लेने वाले पदों पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं*
रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं का निर्णय लेने वाले पदों पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। नर्सों और दाइयों के रूप में ज्यादातर बागडोर महिलाओं के हाथों में है, लेकिन नेतृत्व की भूमिकाओं में उनका प्रतिनिधित्व कम है। अधिकृत आंकड़ों के अनुसार, 35 देशों में काम कर रहे डॉक्टरों में 25 से 60 फीसदी महिलाएं हैं, लेकिन नर्सिंग स्टाफ में महिलाओं की हिस्सेदारी 30 से 100 फीसदी के बीच है।
*240 करोड़ महिलाएं अधिकारों से हैं वंचित*
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों का बमुश्किल 77 फीसदी ही लाभ ले पाती हैं। वहीं, इस दिशा में हो रही प्रगति को देखा जाए तो सुधारों की गति पिछले 20 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। दुनियाभर में कामकाजी उम्र की करीब 240 करोड़ महिलाओं को अभी भी पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं।
*बगैर वेतन भागीदारी ज्यादा*
स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में बगैर वेतन के जा रहीं 76 फीसदी देखभाल संबंधी गतिविधियां महिलाओं के भरोसे हैं। कोरोना महामारी जैसे संकट के दौरान जब सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव पड़ता है तो घरों में देखभाल का काम बढ़ जाता है। इसके लिए महिलाओं को  कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाएं प्रतिदिन अपना 73 फीसदी कीमती समय ऐसे कार्यों में लगाती हैं, जिनके लिए उन्हें किसी तरह का पारिश्रमिक अथवा कोई वेतन नहीं मिलता, जबकि पुरुष दिन का औसतन 11 फीसदी समय ऐसे कार्यों पर व्यतीत करते हैं।
*कार्यस्थल पर हिंसा की शिकार*
स्वास्थ्य क्षेत्र में आधी से अधिक महिलाओं को हिंसा का शिकार होना पड़ता है। वैश्विक स्तर पर कार्यस्थल पर होने वाली एक-चौथाई हिंसा स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में होती है। कोरिया में 64 फीसदी नर्सों ने मौखिक दुर्व्यवहार का सामना करने की सूचना दी है। इसी तरह 42 फीसदी को धमकियों का सामना करना पड़ा है। रवांडा में भी 39 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने कार्यस्थल पर हिंसा की गंभीर शिकायत की है, जबकि नेपाल में 42 फीसदी महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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