इस अवसर पर स्वामी
राजेश्वरानंद महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि”होली का त्यौहार आध्यात्मिक ज्ञान के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी प्रस्तुत करता है। अभी कुछ
दशक पहले टेसू के फूलों को रातभर स्वच्छ जल में मिलाकर रख दिया जाता था जिसके साथ हल्दी पाउडर, चंदन आदि लेप को एक दूसरे के शरीर विशेषत चेहरे पर लगाकर काया को सुरक्षा के साथ सुंदरता देने की मनोवृति होती थी। उन्होंने कहा कि इसके पीछे वैज्ञानिक
दृष्टिकोण यह है कि होली के साथ ही सर्दी की विदाई और
भीषण गर्मी का आगमन शुरू होने लगता हैं ऐसे समय में फूलो से मिश्रित जल,चंदन,हल्दी के लेप से हम एक दूसरे के शरीर की सूरज की प्रचंड किरणों से सुरक्षा प्रदान करे। स्वामी जी ने कहा कि लेकिन वर्तमान में कई जगह अक्सर देखने में आता है कि।
लोग रसायनिक रंगो के साथ शरीर को
नुकसान पहुंचाने वाली चीजों का प्रयोग के साथ नशा
करके होली के पर्व के महत्व को खराब करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे रसायनिक रंग और नशा तो नाश का ही कारण बन सकता है प्रसन्नता का नही।
सर्वप्रथम मंदिर में प्रतिष्ठित देवी देवताओं के विग्रहों के साथ राजमाता महाराज की प्रतिमा को पुष्पवर्षा, चंदन, गुलाल लगाकर होली महोत्सव का शुभारंभ किया गया। होली उत्सव में भजन गायन ने
भक्तसमूह को नाचने झुमने के लिए विवश कर दिया। महोत्सव में पहुंचे भक्तो ने स्वामी
राजेश्वरानंद महाराज पर पुष्पवर्षा के साथ चंदन तिलक लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
महोत्सव के मध्य में समय समय पर स्वामी द्वारा भक्तसमूह पर पुष्पवर्षा का भव्य,
दिव्य दर्शन प्रस्तुत किया गया संस्थान के सेवादार इत्र वर्षा के साथ भक्तो के
मस्तक पर चंदन तिलक लगाते रहे।”आज ब्रिज में होली रे रसिया”ओर”होली का आया है त्यौहार” भजनों पर वृंदावन का दृश्य दिखाई दिया तो भक्तो पर पूर्ण रूपेण मस्ती छा गई। सर्व
कल्याण अरदास, आरती के पश्चात सुंदर भंडारे का आयोजन किया गया।