एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया कि हमने नेस्ले के संबंध में रिपोर्ट का संज्ञान लिया है और मामले की जांच करेंगे. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण से नेस्ले के बेबी फूड के नमूनों की जांच करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों का पालन करेगा. साथ ही उपभोक्ता मामलों के विभाग और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सीनियर ऑफिसर जल्द ही इस मामले पर चर्चा करेंगे.
*कितने ग्राम मिलाई जाती है चीनी*
पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क की ओर से कंपनी के 150 प्रोडक्ट को जांच के लिए भेजे गए थे. इसमें दावा किया गया है बेबी फूड प्रोडक्ट्स जैसे सेरेलैक और अन्य में प्रति चम्मच 4 ग्राम शुगर मिली होती है, जो एक शुगर क्यूब के बराबर है. फिलीपींस में बिक रहे प्रोडक्ट में तो 6 महीने के बेबी के सेरेलैक में ये मात्रा 7.5 ग्राम पाई जा रही है.
*भारत और ब्राजील में सबसे ज्यादा बिक्री*
रिपोर्ट के मुताबिक नेस्ले एशिया के देशों में अमेरिका और यूरोप की तुलना में अलग मात्रा में शुगर मिला रही है. यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के अनुसार, सेरेलैक ग्लोबल स्तर पर टॉप बेबी फूड ब्रांड है, जिसकी बिक्री 2022 में $1 अरब डॉलर से ज्यादा हो गई थी. इस बिक्री का सबसे बड़ा हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत, ब्राजील और भारत से आता है.
*शहद की जगह चीनी की मिलावट*
स्विस जांच संगठन पब्लिक आई ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले नेस्ले के बेबी फूड्स के नमूने की जांच के लिए बेल्जियम की प्रयोगशाला में भेजे. परिणामों से पता चला कि एक साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए उपयोग किए जाने वाले दूध फार्मूला ब्रांड निडो और छह महीने से दो साल की उम्र के बच्चों के लिए उपयोग किए जाने वाले अनाज सेरेलैक के नमूनों में सुक्रोज या शहद के रूप में चीनी मिलाई गई थी.
*नेस्ले का क्या है कहना*
नेस्ले इंडिया के स्पोकपर्सन ने बताया कि कंपनी ने पिछले पांच साल में अपने बेबी फूड में अतिरिक्त शुगर को 30 प्रतिशत तक कम कर दिया है. कंपनी के बयान में कहा गया है कि हम नियमित रूप से अपने फूड की जांच करते हैं और गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना अतिरिक्त शुगर के स्तर को कम करने के लिए अपने उत्पादों में सुधार करते हैं.