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मेडिकल कॉलेजों में आधार बेस्ड बायोमीट्रिक प्रणाली का होगा इस्तेमाल

डॉ. श्रीनिवास के अनुसार, आधार आधारित बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम के डाटा का इस्तेमाल करने से अधिक पारदर्शिता आएगी। किसी भी कॉलेज में दो महीने के कार्य दिवसों में औसतन 75 प्रतिशत उपस्थिति का मानदंड निर्धारित है।

नई दिल्ली, 08 मार्च 2024 (यूटीएन)। पारदर्शिता सुनिश्चित करने और मेडिकल कॉलेजों के मूल्यांकन में मानवीय हस्तक्षेप कम करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग आधार सक्षम बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली का इस्तेमाल करेगा। इससे भौतिक निरीक्षण की आवश्यकता समाप्त जाएगी। हालांकि, एनएमसी के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने बृहस्पतिवार को कहा कि पोर्टल पर अपलोड किए जा रहे डाटा को सत्यापित करने और बुनियादी ढांचे की जांच के लिए आयोग के औचक निरीक्षण जारी रहेंगे। मेडिकल कॉलेजों में फर्जी शिक्षकों की समस्या का समाधान करने और विभिन्न संकायों में मेडिकल छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए एनएमसी पिछले एक साल से इनेबल्ड बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीईएस) पोर्टल का इस्तेमाल कर रहा है।
डॉ. श्रीनिवास के अनुसार, आधार आधारित बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम के डाटा का इस्तेमाल करने से अधिक पारदर्शिता आएगी। किसी भी कॉलेज में दो महीने के कार्य दिवसों में औसतन 75 प्रतिशत उपस्थिति का मानदंड निर्धारित है। इसके अलावा, एनएमसी एक पोर्टल भी लॉन्च करेगा जहां मेडिकल कॉलेज मूल्यांकन से संबंधित अपने अनुपालन के किसी भी शिकायत निवारण के लिए ऑनलाइन अपील कर सकते हैं। डॉ. श्रीनिवास ने कहा, हैकिंग से बचने के लिए संबंधित एजेंसियों से सुरक्षा मंजूरी लेने के बाद नया पोर्टल जल्द ही चालू हो जाएगा। इसके चालू होने के बाद प्रत्येक कॉलेज अपनी स्थापना की शुरुआत से ही अपना डाटा जमा करेगा।
*मेडिकल कॉलेजों को हर साल ऑनलाइन जानकारी देनी होगी*
एनएमसी ने फैसला लिया है कि देश के सभी मेडिकल कॉलेजों को हर साल ऑनलाइन जानकारी देनी होगी। इसके लिए एनएमसी ने एक नई वेबसाइट भी बनाई है, जिसे जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। एनएमसी के अनुसार, हर साल मान्यता लेने के लिए मेडिकल कॉलेजों में निरीक्षण किया जाता है। कई बार निरीक्षक खामियों को नजरदांज कर कॉलेज को मान्यता देने की सिफारिश भी करता है जिसकी वजह से पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। ऐसे में आयोग ने तय किया है कि कॉलेजों को सालाना मरीजों की जानकारी साझा करनी होगी।
पूरे साल में उनके यहां कुल कितने मरीज इलाज के लिए आए? इनमें से कितने मरीजों को भर्ती किया गया? डॉक्टरों की उपस्थिति कितनी रही? कितने मरीजों को अस्पताल में रुकना पड़ा? यह सभी जानकारियां ऑनलाइन दी जाएगीं, जिसका सत्यापन आयोग के दिल्ली स्थित कमांड सेंटर में किया जाएगा। एनएमसी के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने कहा है कि नया पोर्टल मूल रूप से एनएमसी में अधिक पारदर्शिता के लिए सहायक होगा।
*डॉक्टरों की 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य*
डॉ. श्रीनिवास ने बताया कि डॉक्टरों की 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है। हालांकि इसमें सभी कार्य दिवस को शामिल किया है। शनिवार और रविवार इससे बाहर हैं। साथ ही डॉक्टर को दिन में एक ही बार अपनी उपस्थिति देने का नियम तय किया है।
*सत्यापन के बाद ही मान्यता*
यूजीएमईबी बोर्ड की अध्यक्ष डॉ अरुणा वाणीकर ने कहा कि हैकिंग से बचने के लिए इस नए पोर्टल को जल्द ही सुरक्षा मंजूरी दे दी जाएगी। कॉलेजों को एक शैक्षणिक सत्र के लिए मान्यता मिलने से लेकर परीक्षाएं कराने तक का पूरा ब्यौरा साझा करना होगा। इसका सत्यापन होने के बाद ही कॉलेज को अगले सत्र के लिए मान्यता दी जाएगी।
*सार्वजनिक रहेगा डाटा*
डॉ. वाणीकर ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण अब इंस्पेक्टर द्वारा नहीं किया जाएगा। वे स्वयं अपना डाटा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए दिल्ली तक पहुंचाएंगे। इसका लाभ यह होगा कि संबंधित कॉलेज का डाटा सार्वजनिक रहेगा। उदाहरण के लिए यदि एक छात्र मेडिकल कॉलेज जा रहा है तो वह उस कॉलेज के बारे में सारी जानकारी अधिक पारदर्शी तरीके से प्राप्त कर सकता है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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