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क्या एशियाई इलाके में ‘दादा’ बन रहा है भारत? एस जयशंकर ने दिखाया आईना

जयशंकर ने कहा कि दुनिया के इस हिस्से में आज बड़ा बदलाव यह है जो भारत और उसके पड़ोसियों के बीच हुआ है।

नई दिल्ली, 05 मार्च 2024 (यूटीएन)। विदेश नीति के मोर्चे पर पिछले एक दशक में भारत की स्थिति पहले की तुलना में काफी मजबूत हुई है। जी-20 से लेकर वैश्विक मंचों पर भारत की मौजूदगी ने एक अलग ही छाप छोड़ी है। भारत ने यूरोपीय देशों के साथ ही एशिया में भी अपनी धाक जमाई है। इन सब के बीच में भारत पर दबंग होने के आरोप भी लगते रहे हैं। क्या भारत के पड़ोसी देश उसे दबंग मानते हैं? इस सवाल का विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी तरफ से जवाब दिया। जवाब में जयशंकर ने इस तरह के सवाल उठाने वालों को आईना दिखा दिया।
*…तो पड़ोसियों की मदद नहीं करता*
जयशंकर ने कहा कि दुनिया के इस हिस्से में आज बड़ा बदलाव यह है जो भारत और उसके पड़ोसियों के बीच हुआ है। उन्होंने कहा कि जब पड़ोसी देश मुसीबत में होते हैं तो दबदबा बनाने वाला बड़ा देश 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर नहीं देता है। उन्होंने कहा कि जब कोविड महामारी चल रही थी, तब दबदबा बनाने वाले बड़े देशों ने अन्य देशों को वैक्सीन की सप्लाई नहीं की। उन्होंने कहा कि हमने भोजन की मांग, ईंधन की मांग, उर्वरक की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए अपने स्वयं के नियमों में अपवाद बना दिया क्योंकि दुनिया के किसी अन्य हिस्से में युद्ध ने उनके जीवन को जटिल बना दिया था।
*पड़ोसी देशों के साथ क्या-क्या बदल गया?*
विदेश मंत्री ने कहा कि आपको आज यह भी देखना होगा कि वास्तव में भारत और उसके पड़ोसियों के बीच क्या बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से, बांग्लादेश और नेपाल के संदर्भ में मेरा मतलब है कि आज आपके पास एक पावर ग्रिड है, आपके पास सड़कें हैं जो एक दशक पहले मौजूद नहीं थीं, आपके पास रेलवे हैं जो एक दशक पहले यह अस्तित्व में नहीं था, जलमार्गों का उपयोग होता है। भारतीय व्यवसाय बांग्लादेश के बंदरगाहों का उपयोग नेशनल ट्रीटमेंट के आधार पर करते हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाने और सुधारने के लिए काम किया गया है। उन्होंने कहा कि नेपाल, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश और मालदीव के साथ व्यापार निवेश और यात्रा में तेज वृद्धि देखी गई है।
*पड़ोस में सिर्फ एक देश से समस्या*
विदेश मंत्री ने कहा कि आज कनेक्टिविटी की बात करें तो आने जाने वाले लोगों की संख्या कम-अधिक होती है लेकिन न केवल नेपाल और बांग्लादेश के साथ बल्कि श्रीलंका के साथ वहां होने वाले व्यापार की मात्रा, निवेश आदि वास्तव में बताने के लिए एक बहुत अच्छी कहानी है। जयशंकर ने इस दौरान भूटान का भी नाम लिया। उन्होंने कहा कि मैं उनके नाम पर चूकना नहीं चाहता क्योंकि वे लगातार मजबूत भागीदार रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि इसलिए पड़ोस में हमारी समस्या, बहुत ईमानदारी से, एक देश के संबंध में है। जयशंकर ने कहा कि कूटनीति में, आप हमेशा आशा रखते हैं कि, हां ठीक है, इसे जारी रखना चाहिए और कौन जानता है कि एक दिन भविष्य में क्या होगा।
*विदेश नीति में रुचि लेने की जरूरत*
इस बात पर जोर देते हुए कि एक ‘औसत व्यक्ति’ के लिए विदेश नीति के मामलों में सक्रिय रूप से शामिल होना आवश्यक है, जयशंकर ने कहा कि निश्चित रूप से, सभी भारतीयों को विदेश नीति में अधिक रुचि लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया भर में बहुत आम है, ऐसी धारणा है कि विदेश नीति कुछ जटिल, गूढ़ है। इससे निपटने के लिए इसे कुछ लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए…जो पूरी तरह से बिना किसी औचित्य के नहीं है। औसत व्यक्ति को इसमें शामिल होना चाहिए, विदेश नीति पर अधिक ध्यान देना चाहिए…और उनमें से कुछ घटनाएं, यदि आप देखें, तो वे कोविड थी।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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