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झारखण्ड प्रदेश की जनता स्वास्थ्य विभाग की बढ़ती लचर व्यवस्था से काफी चिंतित है

झारखण्ड में अगर सबसे बड़ी समस्या है तो वह है स्वास्थ्य, आखिर झारखण्ड में कब सुधरेगी स्वास्थ्य विभाग की हालात।

गढ़वा, 16 मार्च 2023 (यूटीएन)।  कहते हैं कि स्वास्थ्य ही धन है। यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो हर कुछ बेकार है। अब तक कई सरकारें आईं और कई सरकारें गईं, लेकिन समस्याएं जड़वत हैं, जो अब तक भी नहीं गईं। झारखण्ड में अगर सबसे बड़ी समस्या है तो वह है स्वास्थ्य। आखिर झारखण्ड में कब सुधरेगी स्वास्थ्य विभाग की हालात। झारखण्ड प्रदेश की जनता स्वास्थ्य विभाग की बढ़ती लचर व्यवस्था से काफी चिंतित है। चुकी जनता ने बहुमूल्य मत देकर विधायक, सांसद व मंत्री बनाया है। इस उम्मीद से की जनता के कष्टों पर सरकार खरा उतरेगी। जबकि सरकार को कोई चिंता ही नहीं है। राज्य में दिनों दिन मृत्यु दर बढ़ रही जिसमें इजाफा के लिए नेताओं व मंत्रियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है।
स्थिति भयावह होती जा रही है।  जो व्यवस्था बनारस के बीएचयू में है वह रांची व रांची जैसी व्यवस्था तो प्रत्येक जिले में उपलब्ध होनी चाहिए। वहीं जो व्यवस्था गढ़वा सदर अस्पताल में है वह प्रत्येक प्रखण्ड मुख्यालयों में होनी चाहिए। जबकि कांडी प्रखण्ड मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पताल की व्यवस्था है वह प्रत्येक पंचायतों में होनी चाहिए। तब जाकर लोगों का स्वास्थ्य ठीक रह सकता है।  प्रखण्ड मुख्यालय में सही व्यवस्था नहीं रहने के कारण जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल के मुख्य द्वार तक पहुंचते-पहुंचते मरीजों की आत्मा शरीर छोड़ कर चली जाती है। मृत आत्मा भी प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था व नेताओं की करतूतों पर केवल आंसू की धाराएं बहाती हुई जन्नत चली जाती हैं।
वहीं बात करें तो जिले के कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत खरौंधा, कोरगाईं, घोड़दाग गांव स्थित पहाड़ी पर, पिपरडीह गांव के झुरवा जरही टोला में, कुशहा, घटहुआँ कला, बलियारी, सरकोनी, लमारी कला गांव में एक-एक, अधौरा गांव में दो, स्वास्थ्य केंद्र भवन बन कर पूर्ण रूप से तैयार है। सतबहिनी झरना तीर्थ व पर्यटन स्थल में एक स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण हो रहा है। जबकि शिवपुर गांव में एक अर्धनिर्मित स्वास्थ्य केंद्र भवन है। वहीं पतरिया व गाड़ा खुर्द पँचायत में एक भी स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण नहीं हुआ है। उक्त सभी स्वास्थ्य केंद्र भवन करोड़ों रुपए की लागत से बन कर मंत्रमुग्ध स्थिति में वर्षों से खड़ा हो कर किसी चिकित्सक या नर्स का बाट जोह रहा है कि कोई फरिश्ता आता जो इलाज न सही।
किन्तु उस केंद्र भवन का देख-रेख तो होता। कई भवन तो अब जर्जर स्थिति में भी पहुंच चुके हैं।  कहीं खिड़कियां तो कहीं गेट तक उखड़ चुके हैं। यदि कोई एनएम को भी पदस्थापित नहीं करना था तो सरकार के पैसों का दुरुपयोग करने की जरूरत ही क्या थी। इस सवाल का जबाब आखिर देगा कौन? चुकी जिन्होंने स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर भवन का निर्माण करवाया है, वह जनता की स्वास्थ्य की चिंता करने के बजाए पैसों के लालच में आकर लोगों के भीतर अच्छा स्वास्थ्य व बीमारों को इलाज का आस जगाकर निर्माण करवाया है। जनता सब कुछ जानती है। कुछ लोग शिक्षित हो चुके हैं व अशिक्षित भी इन्हीं की श्रेणी में हैं। मजा तो तब चखाएंगे लोग जब नेता जी चुनाव के दौरान सफेद कुर्ता-धोती, कुर्ता-पजामा, पगड़ी व पार्टी के झंडा के साथ मत मांगने आएंगे।
नेताओं को तो सफेद वस्त्र धारण ही नहीं करना चाहिए, चुकी सफेद तो सच्चाई का प्रतीक है और नेता कभी सच्चाई के राह पर न चलते हैं न कभी सच बोलते हैं। बता दें कि जब चुनाव नजदीक आता है तो भेड़ियों, बकरियों व कुत्तों की तरह नेता प्रत्येक गांव के गलियों में अपने चमचों के साथ नजर आने लगते हैं, जो भोली-भाली जनता को अपनी बातों में लुभाकर वोट मांगने का काम किया करते हैं। वहीं जगह-जगह राजनीतिक मंच लगाकर झूठे-झूठे वादों का बौछार कर नेता लोग बहुतेरे भ्रमित बातों से जनता को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। कई बार तो धोखा खा कर जनता उनकी बातों में भी आ जाती है। क्या उन नेताओं को जनता वोट देगी, जिससे लोग वाकिब हैं, जो जनता की स्वास्थ्य की चिंता तक नहीं करते। आखिर कब सुधरेंगे नेता और कब बदलेंगी झारखण्ड की हालात।
झारखंड- संवाददाता, (विवेक चौबे) | 

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