Saturday, May 31, 2025

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अफगान शरणार्थियों को देश से बाहर क्यों निकाल रहा है- पाकिस्तान

ईरान-पाकिस्तान सीमा के दोनों तरफ के विद्रोहों ने दोनों देशों को परेशान कर दिया है.

पाकिस्तान, 15 मार्च 2025 (यूटीएन)। पाकिस्तानी अधिकारियों का अनुमान है के BLA पास लगभग 3,000 लड़के हैं. चीमा ने कहा कि जातीय सशस्त्र समूह से निपटने के लिए हथियारों और अन्य उपकरणों की सप्लाई को रोकना होगा. विभिन्न बलोच चरमपंथी समूहों और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान टीटीपी नामक पाकिस्तानी तालिबान जैसे संगठनों के बीच बढ़ते सहयोग के कारण बलूचिस्तान में संघर्ष तेज हो रहा है. जातीय और इस्लामी चरमपंथियों का यह गठजोड़ बढ़ रहा है और गंभीर असर डाल रहा है, जिससे हिंसा और ज्यादा बढ़ रही है. साथ ही, ऐसा लगता है कि राजनीतिक व्यवस्था के सामाजिक समर्थन नहीं मिल रहा है.

ऐसे में, मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था के प्रति लोगों का भरोसा कम होने से चरमपंथी गुटों को हमला करने का हौसला मिल रहा है. इसी तरह के विद्रोह की वजह से पड़ोसी ईरान के बलूचिस्तान क्षेत्र में भी हमले शुरू हो गए हैं. ईरान-पाकिस्तान सीमा के दोनों तरफ के विद्रोहों ने दोनों देशों को परेशान कर दिया है.

दोनों सरकारें एक-दूसरे पर सीमा के दूसरी ओर सक्रिय कुछ समूहों का समर्थन करने या उन्हें बर्दाश्त करने का शक करती हैं. इसके लिए खुफिया जानकारी जुटाना बहुत जरूरी है. साथ ही, घुसपैठियों और उनके समर्थकों की पहचान करना भी जरूरी है.

अगर स्थानीय लोगों को यह महसूस होता है कि उनके प्रांत के शासन में उन्हें पर्याप्त हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है या उनकी राय नहीं ली जा रही है, तो इसका उल्टा असर भी पड़ सकता है. “इसमें लंबे समय से चली आ रही उन नाराजगी और शिकायतों को दूर करना भी शामिल है जिनकी वजह से स्थानीय स्तर पर अलगाव बढ़ा है. इनमें स्थानीय लोगों को जबरन गायब करना भी शामिल है.

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ईरान-पाकिस्तान सीमा के दोनों तरफ के विद्रोहों ने दोनों देशों को परेशान कर दिया है.

पाकिस्तान, 15 मार्च 2025 (यूटीएन)। पाकिस्तानी अधिकारियों का अनुमान है के BLA पास लगभग 3,000 लड़के हैं. चीमा ने कहा कि जातीय सशस्त्र समूह से निपटने के लिए हथियारों और अन्य उपकरणों की सप्लाई को रोकना होगा. विभिन्न बलोच चरमपंथी समूहों और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान टीटीपी नामक पाकिस्तानी तालिबान जैसे संगठनों के बीच बढ़ते सहयोग के कारण बलूचिस्तान में संघर्ष तेज हो रहा है. जातीय और इस्लामी चरमपंथियों का यह गठजोड़ बढ़ रहा है और गंभीर असर डाल रहा है, जिससे हिंसा और ज्यादा बढ़ रही है. साथ ही, ऐसा लगता है कि राजनीतिक व्यवस्था के सामाजिक समर्थन नहीं मिल रहा है.

ऐसे में, मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था के प्रति लोगों का भरोसा कम होने से चरमपंथी गुटों को हमला करने का हौसला मिल रहा है. इसी तरह के विद्रोह की वजह से पड़ोसी ईरान के बलूचिस्तान क्षेत्र में भी हमले शुरू हो गए हैं. ईरान-पाकिस्तान सीमा के दोनों तरफ के विद्रोहों ने दोनों देशों को परेशान कर दिया है.

दोनों सरकारें एक-दूसरे पर सीमा के दूसरी ओर सक्रिय कुछ समूहों का समर्थन करने या उन्हें बर्दाश्त करने का शक करती हैं. इसके लिए खुफिया जानकारी जुटाना बहुत जरूरी है. साथ ही, घुसपैठियों और उनके समर्थकों की पहचान करना भी जरूरी है.

अगर स्थानीय लोगों को यह महसूस होता है कि उनके प्रांत के शासन में उन्हें पर्याप्त हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है या उनकी राय नहीं ली जा रही है, तो इसका उल्टा असर भी पड़ सकता है. “इसमें लंबे समय से चली आ रही उन नाराजगी और शिकायतों को दूर करना भी शामिल है जिनकी वजह से स्थानीय स्तर पर अलगाव बढ़ा है. इनमें स्थानीय लोगों को जबरन गायब करना भी शामिल है.

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