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दिल्ली एम्स में वॉकथॉन का आयोजन, मिलेट्स के बारे में लोग हो रहे जागरूक

श भर में मिलेट्स को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए 20 मार्च से 3 अप्रैल तक पोषण पखवाड़े के तहत अलग-अलग राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

नई दिल्ली, 26 मार्च  2023 (यूटीएन)। देश भर में मिलेट्स को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए 20 मार्च से 3 अप्रैल तक पोषण पखवाड़े के तहत अलग-अलग राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस दौरान देश के अलग-अलग राज्यों के सभी लोगों तक उपयुक्त अन्न में शामिल मोटे अनाजों (मिलेट) के लाभों के प्रति जागरूक किया जा रहा है. मोटे अनाज खाने से कितने फायदे हैं और क्या नुकसान है. इसको लेकर दिल्ली के एम्स अस्पताल में मिलेट्स को लेकर डॉक्टरों की तरफ से वॉकथॉन का आयोजन किया गया.  जिसमें एम्स के फिजिशियन विभाग के डॉक्टर संजय वाधवा, मीडिया सेल इंचार्ज डॉ रीमा दादा, डॉक्टर विनय कुमार के साथ एम्स के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने हिस्सा लिया.
एम्स की वरिष्ठ डॉक्टर और मिडिया विभाग की प्रमुख डॉक्टर रीमा दादा ने बताया कि दिल्ली एम्स के परिसर में करीब 2 से 2.5 किलोमीटर की वॉकथॉन आज से शुरू हो रही है. उन्होंने कहा कि भारत के प्रस्ताव और 72 देशों के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित कर दिया है. पूरी दुनिया को मोटे अनाजों की अहमियत समझाने के लिए हमारे देश ने पूरी रणनीति तैयार कर ली है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एपीड़ा के माध्यम से पूरी दुनिया में मोटे अनाजों के निर्यात को बढ़ावा देने का प्लान तैयार किया है. पिछले साल भी भारत ने करीब 34.32 मिलियन डॉलर मूल्य के मोटे अनाजों का निर्यात किया था.  मोटे अनाज से क्या फायदा है इसको लेकर आज हम लोग एम्स अस्पताल परिसर में वॉकथॉन का आयोजन कर रहे हैं.
जिसका मतलब लोगों में मोटे अनाज को लेकर जागरूकता पैदा करना है. मीडिया सेल की इंचार्ज डॉक्टर रीमा दादा ने बताया कि आज खुशी हो रही है कि विश्वभर में भारत सरकार के प्रयास के बाद मिलेट्स को लेकर दुनिया भर में जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है. पुराने जमाने में भारतीय लोगों का भोजन रहे मोटा अनाज ‘सुपर फूड’ के नाम से जाना जाता है. मोटा अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होता है. इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है, क्योंकि इससे प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है. मोटे अनाज के अंतर्गत आठ फसलें शामिल हैं, इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मोटा अनाज की फसल कहा जाता है.
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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