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भारतपिछले पांच वर्षों में सशस्त्र बल के 50,000 से अधिक कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी: गृह मंत्रालय

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक संसदीय पैनल को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में सबसे ज़्यादा 2022 में 11,884 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी है.

नई दिल्ली, 23 मार्च  2023 (यूटीएन)।  केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक संसदीय पैनल को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में सबसे ज़्यादा 2022 में 11,884 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी है. इस अवधि के दौरान सबसे अधिक नौकरी बीएसएफ से छोड़ी गई.केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक संसदीय पैनल को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 50,000 से अधिक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी है. सबसे ज्यादा 2022 में 11,884 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी है.
राज्यसभा में पेश की गई गृह मंत्रालय की 242वें डिमांड्स फॉर ग्रांट रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय समिति ने पिछले पांच वर्षों में ‘आत्महत्या और कार्रवाई में लापता (एमआईए)’ सहित सीएपीएफ कर्मचारियों के बारे में जानकारी मांगी थी.
इस पर गृह मंत्रालय ने जवाब दिया कि साल 2018 से 2022 के बीच पिछले पांच वर्षों में 654 सीएपीएफ कर्मचारियों ने अपनी जान दी है.सीमा सुरक्षा बल और सशस्त्र सीमा बल के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में आत्महत्या की उच्चतम दर देखी गई है, जबकि सबसे कम आत्महत्या दर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘साल 2018 से 2022 के बीच पिछले पांच वर्षों के दौरान सीएपीएफ से जुड़े 50,155 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी. इस अवधि के दौरान सबसे अधिक नौकरी बीएसएफ से छोड़ी गई. उसके बाद नौकरी छोड़ने वालों की संख्या सीआरपीएफ में सबसे अधिक रही, जबकि नौकरी छोड़ने वालों की सबसे कम संख्या एसएसबी में है.’इसके अनुसार, ‘2021 और 2022 के बीच असम राइफल्स में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या 123 से बढ़कर 537 हो गई. सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) में यह संख्या 966 से बढ़कर 1,706 हो गई है,
जबकि एसएसबी में यह संख्या 553 से घटकर 121 रह गई थी.’ समिति ने कहा कि नौकरी छोड़ने का यह स्तर सीएपीएफ में काम करने की स्थिति को प्रभावित कर सकता है और इसलिए कर्मचारियों को बल में बने रहने के लिए प्रेरित करने के लिए काम करने की स्थिति में सुधार के लिए तत्काल उपाय किए जा सकते हैं. समिति ने यह भी सिफारिश की कि सीएपीएफ तैनाती की एक रोटेशन नीति का पालन कर सकता हैं, ताकि जवान लंबे समय तक कठिन और दुर्गम परिस्थितियों में न रहें.
इससे न केवल पसंदीदा स्थानों पर ट्रांसफर की प्रवृत्ति को कम करने में मदद मिल सकती है, बल्कि कुछ हद तक नौकरी छोड़ने की समस्या को भी दूर करने में मदद मिल सकती है. समिति ने आगे सिफारिश की है कि मंत्रालय को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति और इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों के बीच एग्जिट इंटरव्यू या सर्वे करना चाहिए, ताकि कर्मचारियों की नौकरी छूटने के कारकों का आकलन किया जा सके और कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने के लिए उचित उपाय किए जा सकें, ताकि बल में नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके.
*बढ़े आत्महत्या के मामले*
गृह मंत्रालय के दिये आंकड़ों ने अनुसार, साल 2018 से 2022 के बीच पिछले 5 सालों में 6 अर्द्धसैनिकों बलों के 654 कर्मचारियों ने आत्महत्या की है। बीएसएफ और एसएसबी के बाद सीआरपीएफ में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।रिपोर्ट में बताया गया है कि 5 सालों में सबसे ज्यादा 230 मौतें सीआरपीएफ और उसके बाद 174 मौतें बीएसएफ में दर्ज की गईं, जबकि असम राइफल्स में 43 मौतें हुईं है।
*छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के ज्यादा मामले*
सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, बल में सबसे अधिक आत्महत्याएं नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में होती हैं। यहां लगभग 39,000 जवान छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले महीने यहां दो जवानों ने आत्महत्या की है।
*टास्क फोर्स का किया गया है गठन*
रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने पिछले हफ्ते संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि अर्द्धसैनिक बलों में जोखिम के कारणों के पहचान के लिए एक टास्क फोर्स गठित की गई है, जो अन्य कारणों का भी पता लगाएगी।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद ने कहा, “यह टास्क फोर्स आत्महत्याओं और साथी जवानों के बीच हुई लड़ाई में हुई मौतों को लेकर अपने सुझाव देगी। टास्क फोर्स अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है।”
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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