नई दिल्ली, 14 मार्च 2023 (यूटीएन)। पेट्रोलियम
प्रोडक्ट्स हमेशा से सरकारों के लिए टैक्स कमाने का सबसे बड़ा जरिया रही है चाहे वो केंद्र की सरकार हो या फिर राज्य सरकार। वित्त वर्ष 2022-23 अभी खत्म भी नहीं हुआ है लेकिन इस वित्त वर्ष के केवल 9 महीने में केंद्र और राज्य सरकारों पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स के जरिए 5.45 लाख करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी हैं।
*पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से कमाई*
राज्यसभा में पेट्रोलियम
मंत्रालय से डॉ जॉन ब्रिटास ने सरकार से सवाल करते हुए पिछले पांच सालों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर अलग अलग प्रकार के टैक्स लगाकर जुटाये गए रकम का ब्यौरा मांगा था। इस प्रश्न के लिखित जवाब में पेट्रोलियम राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि 2022-23 के पहले नौ महीनों में केंद्र
सरकार को टैक्स के जरिए 307,913 करोड़ रुपये की आय हो चुकी है। जबकि राज्य सरकारों कोु 237,089 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है।
*पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स बना कामधेनु गाय*
पेट्रोलियम
राज्यमंत्री ने सदन को बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों दोनों ही को मिलाकर 2022-23 के नौ महीनों में 545,002 करोड़ रुपये, 2021-22 में 774,425 करोड़ रुपये, 2020-21 में 672,719 करोड़ रुपये, 2019-20 में 555,370 करोड़ रुपये, 2018-19 में 575,632 करोड़ रुपये, 2017-18 में 543,026 करोड़ रुपये
पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स से रेवेन्यू आया है।
*आम आदमी को राहत नहीं*
एक
तरफ कच्चे तेल के दामों के 80 डॉलर प्रति के नीचे आने के बावजूद महंगे
पेट्रोल डीजल से राहत नहीं मिल पा रही है। लेकिन ये प्रोडक्ट्स केंद्र और राज्य सरकारों के लिए कमाई का सबसे बड़ा साधन बनी हुई हैं। देश में पेट्रोल के दाम औसतन 97 रुपये प्रति लीटर और डीजल 90 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा है। पेट्रोलियम राज्यमंत्री ने बताया कि पेट्रोल डीजल और एलपीजी के दाम अंतरराष्ट्रीय कीमतों के साथ लिंक किया जा चुका है। 26 जून 2010 से पेट्रोल और 19 अक्टूबर 2014 से डीजल के दाम तय करने का
अधिकार सरकारी तेल कंपनियों को दिया चुका है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |