बिनौली, 19 मार्च 2025 (यूटीएन)। जैन संत आचार्य 108 सौरभ सागर महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति अच्छा कार्य करने में आलस्य करता है, उसे नास्तिक कहा जाता है। हमें आलस त्यागकर भगवान की भक्ति एवं श्रेष्ठ कार्य करने चाहिए। उन्होंने बच्चों के अंदर भी अच्छे संस्कार पैदा करने का आहवान किया। मेरठ के कस्बा हर्रा से पदविहार कर बुधवार सुबह बरनावा के चंद्रप्रभ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मंदप्रभावना जैन संत आचार्य सौरभ सागर महाराज ने आयोजित
धर्मसभा में श्रद्धालुओं को मंगल प्रवचन करते हुए कहा कि जैन शास्त्रों में आलसी व्यक्ति को दूसरे नंबर का दोषी माना गया है। जो व्यक्ति अच्छा कार्य करने में आलस करता है वह नास्तिक कहा जाता है।जैन धर्म में सेवा की प्रभावनाज होती है वह सत्संग में जाता है मंदिर में पूजा अर्चना करता है। कहा कि धर्म कार्य में भी नौकर की प्रवृत्ति आ चुकी है, अपने घर व दुकान की साफ सफाई तो स्वयं कर लेते हैं, लेकिन मंदिर की साफ सफाई के लिए नौकर माली से करवाते हैं।
उन्होंने कहा कि अपने अंदर के आलस्य को त्यागकर भक्ति एवं श्रेष्ठ कार्य करें अपने बच्चों के अंदर भी अच्छे संस्कार पैदा करें साधुओं की सेवा करें इससे आपका कल्याण होगा। इससे पूर्व क्षेत्र पर विद्यमान आर्यिका सुज्ञानमती माताजी, आर्यिका दयामती माताजी एवं क्षुलिका अक्षतमति माताजी व जैन समाज के लोगों ने संतों का फूलों की वर्षा व बैंड बाजों के साथ जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर महामंत्री पंकज जैन, पवन जैन, संदीप जैन बॉबी, प्रवीण जैन, अशोक जैन, विनेश जैन, विशाल जैन, मोहित जैन, मनोज जैन, ममता जैन आदि मौजूद रहे।
स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |