नई दिल्ली, 06 मार्च 2023 (यूटीएन)। अडानी समूह को लेक
र हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद बैंकिंग सेक्टर के रेग्युलेटर भारतीय रिजर्व बैंक देश के टॉप 20 कॉरपोरेट हाउसेज पर कड़ी नजर रखे हुए है जिनपर बैंकों का सबसे ज्यादा कर्ज बकाया है। आरबीआई इन कंपनियों के मुनाफे के साथ साथ वित्तीय लिहाज से उनके प्रदर्शन पर बेहद करीब से नजर रख रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई पहले से ही इन कंपनियों की रूटीन मॉनिटरिंग करता रहा है
लेकिन उसके अतिरिक्त वित्तीय लिहाज से महत्वपूर्ण संस्थानों के साथ सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ
इंफॉरमेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स की अब सख्त निगरानी कर रहा है।
आरबीआई कॉरपोरेट्स के मुनाफे उनके
वित्तीय प्रदर्शन के, कंपनियों द्वारा विदेशों से ईसीबी या फिर बॉन्ड के जरिए जुटाये गए कर्ज पर निगरानी रख रहा है जिससे ये पता लगाया जा सके कि कंपनी किसी वित्तीय संकट में तो नहीं है।
ये मॉनिटरिंग सिस्टम इसलिए तैयार किया गया है जिससे संकट का पता पहले से लगाया जा सके और ये सुनिश्चित किया जा सके कि इसका बैंकों के बैलेंसशीट पर कोई असर ना पड़े। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों के डाटा, उनके बिजनेस मॉडल्स और लोन
पोर्टफोलियो के साथ साथ दूसरे पैरामीटर्स के जरिए नजर रखी जा रही है।
आरबीआई इसलिए भी सतर्क है क्योंकि एनपीए के संकट से लंबे समय जूझने के बाद बैंक उससे बाहर आए हैं।
कमर्शियल बैंकों का
एनपीए मार्च 2018 में 11.2 फीसदी के लेवल से घटकर मार्च 2022 में 5.8 फीसदी पर आ चुका है। हिंडनबर्ग के रिपोर्ट आने के बाद जब अडानी समूह को दिए गए कर्ज को लेकर सवाल उठ रहे थे तो रेग्युलेटर ने बयान जारी कर कहा था कि भारत का बैंकिंग सेक्टर स्थिर और लचीला है।
रेग्युलेटर होने के नाते आरबीआई वित्तीय स्थिरता बनाये रखने के लिए निगरानी बनाये रखता है। आरबीआई ने कहा था कि पांच करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज पर नजर रखने के लिए
आरबीआई के पास सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इंफॉरमेशन ऑफ लार्ज क्रेडिट डाटाबेस सिस्टम है जिसके जरिए बड़े कर्जों की मॉनिटरिंग की जाती है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |