Wednesday, October 8, 2025

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1500 करोड़ की योजना को मंजूरी, ई-वेस्ट से निकाले जाएंगे कीमती खनिज

देश में महत्वपूर्ण खनिजों के रिसायक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है, यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक छह वर्षों की अवधि के लिए लागू रहेगी।

नई दिल्ली, 04 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कई अहम फैसलों पर केंद्रीय कैबिनेट ने मुहर लगाई है। जिसमें मंत्रिमंडल ने देश में महत्वपूर्ण खनिजों के रिसायक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है, यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक छह वर्षों की अवधि के लिए लागू रहेगी।
*70 हजार नौकरियां सृजित होने की उम्मीद*
यह महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण के लिए बैटरी अपशिष्ट और ई-कचरे को रिसायकल करने की क्षमता के विकास को प्रोत्साहित करता है। यह योजना नई इकाइयों में निवेश के साथ-साथ मौजूदा इकाइयों के विस्तार, आधुनिकीकरण या विविधीकरण पर भी लागू होगी। प्रति इकाई कुल प्रोत्साहन (कैपेक्स प्लस ओपेक्स सब्सिडी) बड़ी इकाइयों के लिए 50 करोड़ रुपये और छोटी इकाइयों के लिए 25 करोड़ रुपये की समग्र सीमा के अधीन होगा। इस योजना से लगभग 8,000 करोड़ रुपये का निवेश आने तथा लगभग 70,000 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।
*क्या है योजना का मकसद?*
यह योजना नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) का हिस्सा है। इसका उद्देश्य भारत में ऐसे खनिजों की घरेलू आपूर्ति बढ़ाना और सप्लाई चेन को मजबूत बनाना है, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरियों और अन्य हाई-टेक उद्योगों में होता है। वर्तमान में इन खनिजों की खदानें तैयार होने और उत्पादन शुरू करने में कई साल लगते हैं। ऐसे में ई-वेस्ट और बैटरी कचरे की रीसाइक्लिंग के जरिए इन्हें हासिल करना फिलहाल सबसे व्यावहारिक तरीका है। रिसायक्लिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चा माल में ई-वेस्ट (इलेक्ट्रॉनिक कचरा), लिथियम आयन बैटरी (एलआईबी) स्क्रैप, पुराने वाहनों के कैटेलिटिक कन्वर्टर्स और अन्य स्क्रैप शामिल होंगे। इसका फायदा बड़े उद्योगपतियों से लेकर छोटे उद्यमियों और स्टार्टअप्स तक को मिलेगा। कुल ₹1500 करोड़ में से एक-तिहाई राशि छोटे और नए रिसायक्लर्स के लिए सुरक्षित रखी गई है।
*योजना के तहत मिलने वाले फायदे*
इस योजना के तहत दो तरह की सब्सिडी मिलेगी। जिसमें पहली कैपेक्स सब्सिडी है, इसके तहत प्लांट और मशीनरी लगाने के लिए 20% सब्सिडी मिलेगी।  समय पर उत्पादन शुरू करने वालों को पूरी सब्सिडी, जबकि देरी होने पर कम सब्सिडी दी जाएगी। दूसरी ओपेक्स सब्सिडी है, जिसके तहत बेस ईयर (2025-26) के मुकाबले बढ़ी हुई बिक्री पर इनाम मिलेगा और 2026-27 से 2030-31 तक पहले चरण में 40%, और पांचवें साल तक 60% सब्सिडी मिलेगी।
इस योजना के तहत कुछ सीमाएं तय की गई है। जिसमें बड़े उद्योगों के लिए कुल सब्सिडी ₹50 करोड़ तक, छोटे उद्योगों और स्टार्टअप्स के लिए ₹25 करोड़ तक हैं।  इसमें ओपेक्स सब्सिडी की सीमा क्रमशः ₹10 करोड़ और ₹5 करोड़ तय की गई है।
*योजना से होने वाले बड़े फायदे*
इसमें रिसायक्लिंग क्षमता कुल 270 किलो टन सालाना है, जबकि क्रिटिकल मिनरल उत्पादन 40 किलो टन सालाना होगी। इससे लगभग ₹8,000 करोड़ का निवेश आकर्षित होगा और करीब 70,000 सीधे और परोक्ष रोजगार सृजित होंगे।
*क्यों अहम है ई-वेस्ट?*
भारत दुनिया के सबसे बड़े ई-वेस्ट उत्पादक देशों में से एक है। पुराने मोबाइल, लैपटॉप, बैटरियां, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लिथियम, कोबाल्ट, निकल और तांबे जैसे कीमती खनिज मौजूद होते हैं। अभी तक इनका अधिकतर कचरा बेकार हो जाता है या अनियमित तरीके से नष्ट किया जाता है। इस योजना के जरिए इन्हें सही ढंग से रिसायक्लिंग कर उद्योगों के लिए जरूरी खनिज तैयार किए जाएंगे, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
*आत्मनिर्भर खनिज आपूर्ति प्रणाली की ओर कदम*
कैबिनेट के मुताबिक यह कदम भारत को टिकाऊ और आत्मनिर्भर खनिज आपूर्ति प्रणाली की ओर ले जाएगा। इससे देश की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और हरित ऊर्जा जैसी उभरती इंडस्ट्रीज को स्थायी समर्थन मिलेगा। ₹1500 करोड़ की यह योजना न केवल ई-वेस्ट प्रबंधन को नई दिशा देगी, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर क्रिटिकल मिनरल्स के उत्पादन और रीसाइक्लिंग में अग्रणी बनाएगी। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ उद्योग, निवेश और रोजगार, तीनों मोर्चों पर देश को मजबूत आधार मिलेगा।
इससे पहले, सरकार ने 16,300 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी दी थी, जिसका कुल परिव्यय सात वर्षों में 34,300 करोड़ रुपये होगा। इसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता हासिल करना और हरित ऊर्जा संक्रमण की दिशा में भारत की यात्रा को गति देना है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की तरफ से इस मिशन में 18,000 करोड़ रुपये का योगदान अपेक्षित है। तांबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा तत्व जैसे महत्वपूर्ण खनिज तेजी से विकसित हो रही स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कच्चे माल हैं। इस मिशन के प्रमुख उद्देश्य अन्वेषण को बढ़ाना, आयात पर निर्भरता कम करना, विदेशों में खनिज ब्लॉकों का अधिग्रहण करना, महत्वपूर्ण खनिजों के प्रसंस्करण के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास करना और खनिजों का रिसायक्लिंग करना है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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1500 करोड़ की योजना को मंजूरी, ई-वेस्ट से निकाले जाएंगे कीमती खनिज

देश में महत्वपूर्ण खनिजों के रिसायक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है, यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक छह वर्षों की अवधि के लिए लागू रहेगी।

नई दिल्ली, 04 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कई अहम फैसलों पर केंद्रीय कैबिनेट ने मुहर लगाई है। जिसमें मंत्रिमंडल ने देश में महत्वपूर्ण खनिजों के रिसायक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है, यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक छह वर्षों की अवधि के लिए लागू रहेगी।
*70 हजार नौकरियां सृजित होने की उम्मीद*
यह महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण के लिए बैटरी अपशिष्ट और ई-कचरे को रिसायकल करने की क्षमता के विकास को प्रोत्साहित करता है। यह योजना नई इकाइयों में निवेश के साथ-साथ मौजूदा इकाइयों के विस्तार, आधुनिकीकरण या विविधीकरण पर भी लागू होगी। प्रति इकाई कुल प्रोत्साहन (कैपेक्स प्लस ओपेक्स सब्सिडी) बड़ी इकाइयों के लिए 50 करोड़ रुपये और छोटी इकाइयों के लिए 25 करोड़ रुपये की समग्र सीमा के अधीन होगा। इस योजना से लगभग 8,000 करोड़ रुपये का निवेश आने तथा लगभग 70,000 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।
*क्या है योजना का मकसद?*
यह योजना नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) का हिस्सा है। इसका उद्देश्य भारत में ऐसे खनिजों की घरेलू आपूर्ति बढ़ाना और सप्लाई चेन को मजबूत बनाना है, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरियों और अन्य हाई-टेक उद्योगों में होता है। वर्तमान में इन खनिजों की खदानें तैयार होने और उत्पादन शुरू करने में कई साल लगते हैं। ऐसे में ई-वेस्ट और बैटरी कचरे की रीसाइक्लिंग के जरिए इन्हें हासिल करना फिलहाल सबसे व्यावहारिक तरीका है। रिसायक्लिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चा माल में ई-वेस्ट (इलेक्ट्रॉनिक कचरा), लिथियम आयन बैटरी (एलआईबी) स्क्रैप, पुराने वाहनों के कैटेलिटिक कन्वर्टर्स और अन्य स्क्रैप शामिल होंगे। इसका फायदा बड़े उद्योगपतियों से लेकर छोटे उद्यमियों और स्टार्टअप्स तक को मिलेगा। कुल ₹1500 करोड़ में से एक-तिहाई राशि छोटे और नए रिसायक्लर्स के लिए सुरक्षित रखी गई है।
*योजना के तहत मिलने वाले फायदे*
इस योजना के तहत दो तरह की सब्सिडी मिलेगी। जिसमें पहली कैपेक्स सब्सिडी है, इसके तहत प्लांट और मशीनरी लगाने के लिए 20% सब्सिडी मिलेगी।  समय पर उत्पादन शुरू करने वालों को पूरी सब्सिडी, जबकि देरी होने पर कम सब्सिडी दी जाएगी। दूसरी ओपेक्स सब्सिडी है, जिसके तहत बेस ईयर (2025-26) के मुकाबले बढ़ी हुई बिक्री पर इनाम मिलेगा और 2026-27 से 2030-31 तक पहले चरण में 40%, और पांचवें साल तक 60% सब्सिडी मिलेगी।
इस योजना के तहत कुछ सीमाएं तय की गई है। जिसमें बड़े उद्योगों के लिए कुल सब्सिडी ₹50 करोड़ तक, छोटे उद्योगों और स्टार्टअप्स के लिए ₹25 करोड़ तक हैं।  इसमें ओपेक्स सब्सिडी की सीमा क्रमशः ₹10 करोड़ और ₹5 करोड़ तय की गई है।
*योजना से होने वाले बड़े फायदे*
इसमें रिसायक्लिंग क्षमता कुल 270 किलो टन सालाना है, जबकि क्रिटिकल मिनरल उत्पादन 40 किलो टन सालाना होगी। इससे लगभग ₹8,000 करोड़ का निवेश आकर्षित होगा और करीब 70,000 सीधे और परोक्ष रोजगार सृजित होंगे।
*क्यों अहम है ई-वेस्ट?*
भारत दुनिया के सबसे बड़े ई-वेस्ट उत्पादक देशों में से एक है। पुराने मोबाइल, लैपटॉप, बैटरियां, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लिथियम, कोबाल्ट, निकल और तांबे जैसे कीमती खनिज मौजूद होते हैं। अभी तक इनका अधिकतर कचरा बेकार हो जाता है या अनियमित तरीके से नष्ट किया जाता है। इस योजना के जरिए इन्हें सही ढंग से रिसायक्लिंग कर उद्योगों के लिए जरूरी खनिज तैयार किए जाएंगे, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
*आत्मनिर्भर खनिज आपूर्ति प्रणाली की ओर कदम*
कैबिनेट के मुताबिक यह कदम भारत को टिकाऊ और आत्मनिर्भर खनिज आपूर्ति प्रणाली की ओर ले जाएगा। इससे देश की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और हरित ऊर्जा जैसी उभरती इंडस्ट्रीज को स्थायी समर्थन मिलेगा। ₹1500 करोड़ की यह योजना न केवल ई-वेस्ट प्रबंधन को नई दिशा देगी, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर क्रिटिकल मिनरल्स के उत्पादन और रीसाइक्लिंग में अग्रणी बनाएगी। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ उद्योग, निवेश और रोजगार, तीनों मोर्चों पर देश को मजबूत आधार मिलेगा।
इससे पहले, सरकार ने 16,300 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी दी थी, जिसका कुल परिव्यय सात वर्षों में 34,300 करोड़ रुपये होगा। इसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता हासिल करना और हरित ऊर्जा संक्रमण की दिशा में भारत की यात्रा को गति देना है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की तरफ से इस मिशन में 18,000 करोड़ रुपये का योगदान अपेक्षित है। तांबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा तत्व जैसे महत्वपूर्ण खनिज तेजी से विकसित हो रही स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कच्चे माल हैं। इस मिशन के प्रमुख उद्देश्य अन्वेषण को बढ़ाना, आयात पर निर्भरता कम करना, विदेशों में खनिज ब्लॉकों का अधिग्रहण करना, महत्वपूर्ण खनिजों के प्रसंस्करण के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास करना और खनिजों का रिसायक्लिंग करना है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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