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2013 में जिस बिल को फाड़ा आज वो होता तो बच जाते राहुल गांधी

सजा 2019 में एक चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी को निशाने बनाते समय पूरे मोदी समय को अपमानित करने के लिए की गई

नई दिल्ली, 24 मार्च  2023 (यूटीएन)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आज सुरत की एक अदालत ने आज उनको दो साल कैद की सजा सुना दी. उनको यह सजा 2019 में एक चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी को निशाने बनाते समय पूरे मोदी समय को अपमानित करने के लिए की गई. अदालत ने राहुल को सजा सुनाने के बाद तुरंत जमानत भी दे दी. ऐसे में लोकप्रतिनिधित्व कानून के तहत क्या राहुल को अपनी संसद सदस्यता गंवानी पड़ सकती है?
ये वही कानून है जिसके प्रारंभिक ड्राफ्ट को 2013 में कभी राहुल गांधी ने भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाकाफी बताते हुए फाड़ दिया था. तब राहुल ने कहा था, इस कानून को और मजबूत किए जाने की जरूरत हैं. बाद में यूपीए-2 सरकार में ही ये बिल कानून बना, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है, अगर राहुल उसी बिल को पास हो जाने देते तो आज उनकी संसद सदस्यता पर खतरा नहीं पैदा होता.
*क्या है लोकप्रतिनिधित्व कानून?*
लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 (1) और (2) के अनुसार यदि कोई सांसद या विधायक हत्या, बालात्कार, धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करता है तो उसकी संसद सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी जाएगी. साथ ही इसी अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि दो साल की सजा सुनाए जाने पर ही किसी विधायक या संसद की सदस्यता रद्द की जा सकती है. इसी कानून के आधार पर यह माना जा रहा है लोकसभा सचिवालय कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर सकता है.
*क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला और अध्यादेश क्यों लाया जा रहा था?*
बात 2013 की है। सुप्रीम कोर्ट ने लोक-प्रतिनिधि अधिनियम 1951 को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने इस अधिनियम की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दे दिया था। इस प्रावधान के मुताबिक, आपराधिक मामले में (दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस सूरत में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। यानी धारा 8(4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करती थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से किसी भी कोर्ट में दोषी ठहराए जाते ही नेता की विधायकी-सासंदी चली जाती है। इसके साथ ही अगले छह साल के लिए वह व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाता है। सदस्यता तुरंत खत्म होने के फैसले को पलटने के लिए मनमोहन सिंह सरकार एक अध्यादेश लेकर आई। इसी अध्यादेश को राहुल ने फाड़ने की बात की थी।
*अगर अध्यादेश पास हो गया होता तो क्या होता?*
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2013 में दोषी करार दिए विधायकों-सासंदों की अयोग्यता को लेकर अपना आदेश दिया। यह वही दौर था, जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में फंसे हुए थे। दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता पर भी खतरा था। तब के राज्यसभा सांसद राशिद मसूद पहले ही भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जा चुके थे। विपक्ष की तीखी आलोचना के बाद भी सितंबर 2013 में मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लेकर आई। अध्यादेश में कहा गया था कि मौजूदा सांसद या विधायक अगर किसी अदालत में दोषी करार दिए जाते हैं और अगर ऊंची अदालत में मामला विचाराधीन है तो सदस्यता नहीं जाएगी। हालांकि, इस दौरान वे सदन में वोट नहीं दे सकेंगे, न ही वेतन मिलेगा। राहुल ने इस अध्यादेश को “पूरी तरह से बकवास” करार दिया था और कहा था कि इसे “फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए”।
यही अध्यादेश अगर पास हो गया होता तो राहुल की लोकसभा सदस्यता पर तलवार शायद नहीं लटक रही होती। यही अध्यादेश अगर पास हो गया होता तो सपा विधायक आजम खान, अब्दुला आजम से लेकर भाजपा विधायक विक्रम सैनी तक की सदस्यता बरकरार रहती।
*सजा के बाद क्या बोले राहुल गांधी?*
सजा मिलने के बाद राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सत्य मेरा भगवान है. उन्होंने कहा, मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन. कोर्ट में राहुल ने कहा, मैंने किसी समुदाय को बदनाम करने के लिए कोई बयान नहीं दिया था. किसी को हानि पहुंचाने का मेरा कोई भी इरादा नहीं था. मेरा उद्देश्य सिर्फ भ्रष्टाचार को उजागर करना था.
*एक में सजा बाकी चार मामलों में क्या होगा?*
राहुल गांधी को मानहानि के मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि, राहुल गांधी पर मानहानि का ये कोई पहला मामला नहीं है. अलग-अलग राज्यों में उनपर ऐसे केस चल रहे हैं.कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का पहला केस साल 2014 में हुआ था. ये केस महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट में चल रहा है. IPC की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का मामला दर्ज है. राहुल गांधी ने भिवंडी में एक भाषण के दौरान संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था. संघ के ही एक कार्यकर्ता ने राहुल पर केस दर्ज कराया था.
*2016 का मामला*
इसके बाद साल 2016 में राहुल गांधी के खिलाफ असम के गुवाहाटी में धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज किया गया था. शिकायतकर्ता के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा था कि 16वीं सदी के असम के वैष्णव मठ बरपेटा सतरा में संघ सदस्यों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया. उनके इस आरोप से संघ की छवि को नुकसान पहुंचा है. ये मामला भी अभी कोर्ट में पेंडिंग है.
*20 करोड़ का मानहानि मामला*
साल 2018 में राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड की राजधानी रांची में एक और केस दर्ज किया गया. ये केस रांची की सब-डिविजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रहा है. राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत 20 करोड़ रुपए मानहानि का केस दर्ज है. इसमें राहुल के उस बयान पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें उन्होंने ‘मोदी चोर है’ कहा था.
*गौरी लंकेश की हत्या से जुड़ा है ये केस*
इसी साल, राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में एक और मानहानि का केस दर्ज हुआ. ये मामला मझगांव स्थित शिवड़ी कोर्ट में चल रहा है. आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज है. केस संघ के कार्यकर्ता ने दायर किया था. राहुल पर आरोप है कि उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को बीजेपी और संघ की विचारधारा से जोड़ा.
*राहुल गांधी को सच बोलने की सजा: विपक्ष*
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ये न्यू इंडिया है, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाओगे तो ईडी-सीबीआई , पुलिस, एफआईआर सबसे लाद दिए जाओगे. राहुल गांधी को भी सच बोलने की, तानाशाह के खिलाफ आवाज बुलंद करने की सजा मिल रही है. उन्होंने कहा कि देश का कानून राहुल गांधी को अपील का अवसर देता है, वह इस अधिकार का प्रयोग करेंगे और हम डरने वाले नहीं हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आज न्यायपालिका पर दबाव है. राहुल गांधी की जो टिप्पणी है, ऐसी राजनीतिक टिप्पणी चलती रहती हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी टिप्पणियां अटल-आडवाणी ने पता नहीं कितनी की होंगी, लेकिन पहले इस तरह से मामला दर्ज नहीं होता था. हमें विश्वास है कि आने वाले समय में सही फैसला होगा.
 दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी का समर्थन किया. उन्होंने आरोप लगाया कि गैर बीजेपी नेताओं और पार्टियों पर मुकदमे करके उन्हें खत्म करने की साजिश हो रही है. केजरीवाल ने कहा कि हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं, मगर राहुल गांधी को इस तरह मानहानि मुकदमे में फंसाना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि जनता और विपक्ष का काम है सवाल पूछना. हम अदालत का सम्मान करते हैं, लेकिन हम इस निर्णय से असहमत हैं.वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी नेता राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने पर बीजेपी को आड़े हाथों लिया. प्रियंका ने ट्वीट करके कहा, “डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे. सच बोलते हुए जिये हैं, सच बोलते रहेंगे. देश के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे.
सच्चाई की ताकत और करोड़ों देशवासियों का प्यार उनके साथ है.”कांग्रेस नेताओं के राहुल गांधी के बचाव में आ रह बयानों पर बीजेपी की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पलटवार किया. सिंह ने कहा, “राहुल जी को इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए कि शब्दों की चोट, शस्त्रों की चोट से ज्यादा गहरी और पीड़ादायी होती है. हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक जीवन में शब्दों की मर्यादा किसी भी सूरत में न टूटने पाये.बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने भी राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा, “राहुल गांधी को सूरत की एक कोर्ट ने मानहानि के मामले में 2 साल की सजा दी है.
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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