Wednesday, March 12, 2025

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नुक्कड नाटक के द्वारा दहेज प्रथा पर किया जागरूक

इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने विभिन्न प्रकार के योगासन तथा साधना के तरीके सीखे।

हरदोई, 06 मार्च 2025 2025 (यूटीएन)। राजकीय महाविद्यालय पिहानी द्वारा संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा गोद लिए गए गांव संतरहा में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. लक्ष्मी नारायण के निर्देशन में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के दिन रात्रि के विशेष शिविर के छठे दिन प्रातः 6.00 बजे पुनः योग एवं ध्यान सत्र का आयोजन हुआ जिसमें स्वयंसेवकों को अनुराग आर्य द्वारा योगाभ्यास और ध्यान करने का अभ्यास कराया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने विभिन्न प्रकार के योगासन तथा साधना के तरीके सीखे। तत्पश्चात स्वयं सेवकों ने दहेज प्रथा और उसके दुष्प्रभाव के बारे में ग्रामीण लोगों को जागरूक करने के लिए एक नुक्कड़ नाटक खेला और दहेज के विरोध में नारे लगाए। उसकी उपयोगिता के लिए लोगों को जागरूक किया। जिस के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण लोगों ने दहेज न लेने और न देने की शपथ ली।
उसके बाद सभी स्वयंसेवक वापस सामुदायिक भवन पर उपस्थित होकर भोजन किए शिविर के द्वितीय सत्र मेंमुख्य वक्ता डॉ कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने ‘युवाओं में स्मार्टफोन एडिक्शन की समस्या ‘विषयक व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि स्मार्टफोन हमारा एक मित्र है लेकीन उसका ज्यादा इस्तमाल हमें स्मार्टफोन एडिक्शन की ओर ले जाता है, जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। कुछ लोगों को इसकी लत लग जाती है, जिसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से कई व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं। इसके लक्षणों को पहचानना और इस लत पर काबू पाना बेहद जरूरी है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग कोई भी इसके शिकार हो सकते है l
स्मार्टफोन एडिक्शन से लोग अपने व्यवहार पर से नियंत्रण खो बैठते हैं और सहनशीलता की भावना भी खो देते हैं। सरल शब्दों में कहें तो इससे हिंसा की प्रवृत्ति को बढ़ जाती है। मानसिक समस्याओं की बात करें तो फोन के ज्यादा इस्तेमाल से चिंता, अवसाद, अनिद्रा, रिश्तों में तनाव, पढ़ाई में व्यवधान और काम पर प्रदर्शन में कमी आ सकती है। स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्‍टडी के मुताबिक इस वक्‍त दुनिया में 44 फीसदी लोग सोशल मीडिया एडिक्‍शन के शिकार हैं. सोशल मीडिया की बढ़ती लत का सीधा रिश्‍ता वास्‍तविक जिंदगी में बढ़ रहे अकेलेपन और आइसोलेशन से है. इंसानों के बीच रिअल कनेक्‍ट नहीं है और सोशल मीडिया कनेक्‍शन का एक भ्रम पैदा कर रहा है। दरअसल इसके पीछे जिम्मेदार डोपामाइन हार्मोन है। इस हार्मोन के रिलीज होने के बाद खुशी की एक क्षणिक भावना पैदा होती है। यह डोपामाइन रिलीज एक पल या उससे कम समय में होता है। कुल मिलाकर हम इस हार्मोन का असंतुलित उपयोग कर रहे हैं।
स्मार्टफोन की लत से छुटकारा पाने के कुछ खास टिप्स भी उन्होंने दिए। उन्होंने बताया कि सबसे पहले खुद पर कंट्रोल करना सीखें। स्मार्टफोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से खुद को दूर करने की कोशिश करें। आप अपना ज्यादातर समय परिवार या दोस्तों के साथ बिताते हैं तो यह आपको कुछ समय के लिए मोबाइल से दूर रखेगा। जरूरत पड़ने पर फोन का इस्तेमाल करें। नहीं तो जितना हो सके फोन का इस्तेमाल करने से बचे। पूरे दिन ऑनलाइन रहने के बजाय काम के लिए जरूरत पड़ने पर ही ऑनलाइन रहें लिए टहलने जाएं या कुछ ऐसा करें जिसमें आपको आनंद मिले। डॉ. दयाल शरण, अनुराग आर्य एवं कर्मचारी, व सभी स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
हरदोई-स्टेट ब्यूरो,(लव कुश सिंह)

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नुक्कड नाटक के द्वारा दहेज प्रथा पर किया जागरूक

इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने विभिन्न प्रकार के योगासन तथा साधना के तरीके सीखे।

हरदोई, 06 मार्च 2025 2025 (यूटीएन)। राजकीय महाविद्यालय पिहानी द्वारा संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा गोद लिए गए गांव संतरहा में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. लक्ष्मी नारायण के निर्देशन में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के दिन रात्रि के विशेष शिविर के छठे दिन प्रातः 6.00 बजे पुनः योग एवं ध्यान सत्र का आयोजन हुआ जिसमें स्वयंसेवकों को अनुराग आर्य द्वारा योगाभ्यास और ध्यान करने का अभ्यास कराया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने विभिन्न प्रकार के योगासन तथा साधना के तरीके सीखे। तत्पश्चात स्वयं सेवकों ने दहेज प्रथा और उसके दुष्प्रभाव के बारे में ग्रामीण लोगों को जागरूक करने के लिए एक नुक्कड़ नाटक खेला और दहेज के विरोध में नारे लगाए। उसकी उपयोगिता के लिए लोगों को जागरूक किया। जिस के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण लोगों ने दहेज न लेने और न देने की शपथ ली।
उसके बाद सभी स्वयंसेवक वापस सामुदायिक भवन पर उपस्थित होकर भोजन किए शिविर के द्वितीय सत्र मेंमुख्य वक्ता डॉ कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने ‘युवाओं में स्मार्टफोन एडिक्शन की समस्या ‘विषयक व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि स्मार्टफोन हमारा एक मित्र है लेकीन उसका ज्यादा इस्तमाल हमें स्मार्टफोन एडिक्शन की ओर ले जाता है, जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। कुछ लोगों को इसकी लत लग जाती है, जिसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से कई व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं। इसके लक्षणों को पहचानना और इस लत पर काबू पाना बेहद जरूरी है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग कोई भी इसके शिकार हो सकते है l
स्मार्टफोन एडिक्शन से लोग अपने व्यवहार पर से नियंत्रण खो बैठते हैं और सहनशीलता की भावना भी खो देते हैं। सरल शब्दों में कहें तो इससे हिंसा की प्रवृत्ति को बढ़ जाती है। मानसिक समस्याओं की बात करें तो फोन के ज्यादा इस्तेमाल से चिंता, अवसाद, अनिद्रा, रिश्तों में तनाव, पढ़ाई में व्यवधान और काम पर प्रदर्शन में कमी आ सकती है। स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्‍टडी के मुताबिक इस वक्‍त दुनिया में 44 फीसदी लोग सोशल मीडिया एडिक्‍शन के शिकार हैं. सोशल मीडिया की बढ़ती लत का सीधा रिश्‍ता वास्‍तविक जिंदगी में बढ़ रहे अकेलेपन और आइसोलेशन से है. इंसानों के बीच रिअल कनेक्‍ट नहीं है और सोशल मीडिया कनेक्‍शन का एक भ्रम पैदा कर रहा है। दरअसल इसके पीछे जिम्मेदार डोपामाइन हार्मोन है। इस हार्मोन के रिलीज होने के बाद खुशी की एक क्षणिक भावना पैदा होती है। यह डोपामाइन रिलीज एक पल या उससे कम समय में होता है। कुल मिलाकर हम इस हार्मोन का असंतुलित उपयोग कर रहे हैं।
स्मार्टफोन की लत से छुटकारा पाने के कुछ खास टिप्स भी उन्होंने दिए। उन्होंने बताया कि सबसे पहले खुद पर कंट्रोल करना सीखें। स्मार्टफोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से खुद को दूर करने की कोशिश करें। आप अपना ज्यादातर समय परिवार या दोस्तों के साथ बिताते हैं तो यह आपको कुछ समय के लिए मोबाइल से दूर रखेगा। जरूरत पड़ने पर फोन का इस्तेमाल करें। नहीं तो जितना हो सके फोन का इस्तेमाल करने से बचे। पूरे दिन ऑनलाइन रहने के बजाय काम के लिए जरूरत पड़ने पर ही ऑनलाइन रहें लिए टहलने जाएं या कुछ ऐसा करें जिसमें आपको आनंद मिले। डॉ. दयाल शरण, अनुराग आर्य एवं कर्मचारी, व सभी स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
हरदोई-स्टेट ब्यूरो,(लव कुश सिंह)

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