इस मौके पर वृंदावन के कलाकारों ने मंदिर के इतिहास के बारे में मंचन करके बताया कि मुगलकाल के दौरान एक दिन शाहजहां की सवारी आ रही थी, तभी उनको श्रीराम हनुमान वाटिका मंदिर जा रहे सेठ सीताराम मिल गए। इस दौरान सेेठ सीताराम उनको कहा कि आपके दीवार बनवाने के कारण उनको मंदिर में तुर्कमान गेट या फिर अजमेरी गेट से जाना पड़ता है। इस बीच शाहजहां नेे चुटकी लेते हुए कहा कि आप जिस देवता की पूजा करने जा रहे हो वह समुन्द्र के ऊपर से लंका चले गए थे, लिहाजा आप दीवार फांदकर मंदिर नहीं जा सकते।
उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सेठ सीताराम ने थाली में रखे अंगूर दीवार पर फेंक दिए और अंगूर लगते ही दीवार टूट गई। यह दृश्य देखकर सेठ सीताराम ही नहीं, बल्कि शाहजहां अचंभित हो गए।