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शिंज़ो आबे मनमोहन सिंह और पीएम मोदी को यूं देखते थे- प्रेस रिव्यू

जापान के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक अनुभवी परामर्शदाता यानी मेंटोर और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क़रीबी दोस्त और साझेदार मानते थे.

यह बात शिंज़ो आबे के विशेष सलाहकार रहे तोमोहिको तानिगुची ने कही है. पिछले हफ़्ते तानिगुची नई दिल्ली आए थे. उन्होंने अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है.

तानिगुची शिंज़ो आबे का भाषण भी लिखते थे. 2019 में शिंज़ो आबे मणिपुर आने वाले थे. उन्होंने इस दौरे के लिए एक भावुक भाषण तैयार किया था. आबे 1944 के बैटल ऑफ इम्फाल की याद में आने वाले थे.

दूसरे विश्व युद्ध में ‘बैटल ऑफ इम्फाल’ बड़ी लड़ाइयों में से एक था. हालांकि आबे का यह दौरा नहीं हो पाया था. इसे लेकर उन्हें अफ़सोस भी था.

तानिगुची ने हिन्दू से कहा, ”मनमोहन सिंह के लिए शिंज़ो आबे के मन में काफ़ी सम्मान था. शिंज़ो आबे कहते थे कि मनमोहन सिंह उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्हें वह मेंटोर कह सकते हैं. शिंज़ो आबे 2007 में पीएम बनने के बाद अक्सर मनमोहन सिंह से मिलते थे.”

आबे का भारत प्रेम

तानिगुची ने कहा कि आबे का भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अद्वितीय संबंध था. उन्होंने कहा, ”इसराइल के पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से भी शिंज़ो आबे के बहुत अच्छे संबंध थे. आबे मानते थे कि मोदी ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके साथ क़रीबी दोस्त और साझेदार की तरह काम किया जा सकता है.”

शिंज़ो आबे के शासकाल में भारत और जापान बेहद क़रीब आए. आबे की सरकार में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ क्वॉड गुट बना. इसके साथ ही 2+2 बैठक की भी शुरुआत हुई. 2+2 बैठक में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्री साथ होते हैं.

तानिगुची ने कहा कि जापान भारत को लंबी अवधि के दोस्त के तौर पर देखता है. 2+2 बैठक के लिए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह टोक्यो जाने वाले हैं. तानिगुची ने भारत और जापान को एक जैसी सोच वाला देश कहा है.

जब तानिगुची से पूछा गया कि रूस-यूक्रेन जंग में और ताइवान के ख़िलाफ़ चीन की आक्रामकता को लेकर भारत का रुख़ क्वॉड के बाक़ी सदस्य देशों से अलग रहा, क्या इससे जापान और भारत के रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे? इसके अलावा रूस और चीन के साथ वोस्टोक सैन्य अभ्यास भी कर रहा है. इन सवालों के जवाब में तानिगुची ने कहा, ”आबे भारत को आदर्श साझेदार मानते थे, जिसकी अपनी सुरक्षा चिंताएं हैं.”

आबे के शासनकाल में भारत से बढ़ी क़रीबी

उन्होंने कहा, ”जापान तीन परमाणु शक्ति संपन्न देश- रूस, चीन और उत्तर कोरिया से घिरा है. तीनों देशों से जापान के अच्छे संबंध नहीं हैं. जापान की ज़रूरत है कि एक जैसी सोच वाले देशों की मदद से राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करे. भारत अब भी हमारा आदर्श साझेदार है. भारत जल्द ही जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा. तकनीक के मामले में भी भारत मज़बूत प्रतिद्वंद्वी है. बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. सबसे अहम है कि भारत एक लोकतंत्र है.”

तानिगुची ने कहा कि आबे के कार्यकाल में भारत में कई परियोजनाएं शुरू हुईं. अहमदाबाद- मुंबई हाई स्पीड रेल परियोजना 2022 की डेडलाइन पूरी नहीं कर पाई लेकिन इसे लेकर भी उन्होंने उम्मीद जताई है.

2019 में आबे गुवाहाटी और इम्फाल के दौरे पर आने वाले थे लेकिन एनआरसी के ख़िलाफ़ जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शन के कारण यात्रा टालनी पड़ी थी. इसके बाद कोविड महामारी आ गई और बाद में उन्होंने ख़राब सेहत के कारण इस्तीफ़ा दे दिया. इसी साल जुलाई में एक चुनावी रैली में शिंज़ो आबे की गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई.

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