और आशु ने अपनी बहन की हालत को देखते हुए उसे उठाया और पानी पिलाने की कोशिश की।
इस घटनाक्रम को लेकर उसने किसी राहगीर से अपनी बहन जमना को अस्पताल ले जाने के लिए मदद मांगी जोकि जमना को कालका अस्पताल में लेकर गया वहां से डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे पीजीआई रेफर कर दिया और परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक पीजीआई जाते हुए उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
ज्ञात रहे कि जमना की मां गीता उस समय काम पर गई हुई थी और उसके पिता पिछले करीब डेढ़ 2 साल से घर से लापता है और इनकी माता लोगों के घरों में काम कर अपने बच्चों का पेट पाल रही है।
इस घटनाक्रम को लेकर स्थानीय लोगों ने अपना रोष व्यक्त करते हुए कहा कि नगर परिषद के प्रशासनिक अधिकारी सड़कों को गलियों में घूम रहे आवारा मवेशियों व पशुओं की समस्या का समाधान करने में नाकाम सिद्ध हो गए हैं और अब यह आवारा पशु लोगों की जान तक लेने लगे हैं। लोगों ने कहा की पिंजौर कालका में गलियों में यह पशु झुंड में आसानी से देखने को मिल सकते हैं पहले भी कई बार इन पशुओं द्वारा कई लोगों , स्कूली बच्चों, बूढ़े बुजुर्गों को चोटिल किए जाने की खबरें सामने आई है परंतु परिषद के अधिकारी इस और कोई गौर नहीं कर रहे हैं । लोगों ने कहा कि अब इस हादसे के बाद तो इन्हें अपनी आंखें खोलने चाहिए |
इस समस्या का उचित समाधान करवाना चाहिए यदि यह आवारा पशुओं की समस्या का कोई समाधान ना हुआ तो मौतों का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। लोगों का कहना है कि कई बार सड़कों पर घूम रहे यह आवारा सांड आपस में लड़ पड़ते हैं जिसकी वजह से लोगों के वाहनों को भी क्षति पहुंचाते हैं और यह बहुत ही चिंता का विषय बन चुका है कि पिंजौर कालका में इन आवारा मवेशियों की भरमार है । आलम अब यह है कि अपनी सुरक्षा अपने हाथ क्योंकि जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।