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पदोन्नति की लड़ाई, नहीं मानी सरकार तो असहयोग आंदोलन करेंगे सीएसएस अधिकारी

केंद्रीय सचिवालय सेवा 'सीएसएस' के लगभग 12000 अधिकारी, अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

नई दिल्ली, 07 मार्च 2024 (यूटीएन)। केंद्रीय सचिवालय सेवा ‘सीएसएस’ के लगभग 12000 अधिकारी, अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में करीब 2600 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता है। इस बाबत सभी विभागों ने डीओपीटी को यह सूची मुहैया कराई है। इसमें एएसओ, एसओ, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पद शामिल हैं। एक तरफ सीएसएस अधिकारियों को तय समय पर पदोन्नति नहीं मिल पा रही है, तो दूसरी ओर रिक्त पदों को नहीं भरा जा रहा।
एनएफएफयू, ओजीएएस और प्रतिनियुक्ति पर पाबंदी जैसे मुद्दे दस वर्ष से लंबित हैं। अपनी मांगों के समर्थन में सोमवार को नॉर्थ ब्लॉक पर हल्लाबोल करने वाली ‘सीएसएस फोरम’ (केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों की एसोसिएशन) ने अब इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। पदोन्नति की लड़ाई के लिए पहले तीन दिन शांति मार्च होगा। इसके बाद भी सरकार नहीं मानती है, तो असहयोग आंदोलन शुरू होगा। इस स्थिति में केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कामकाज ठप हो सकता है।
*तीन दिन शांति मार्च निकालेंगे सीएसएस अधिकारी*
सीएसएस फोरम के महासचिव आशुतोष मिश्रा ने शांति मार्च और असहयोग आंदोलन बाबत डीओपीटी सचिव को नोटिस के माध्यम से अवगत करा दिया है। सीएसएस अधिकारी, सात मार्च को दोपहर डेढ़ बजे शास्त्री भवन पर शांति मार्च करेंगे। इसके बाद 11 मार्च को दोपहर डेढ़ बजे निर्माण भवन पर सीएसएस अधिकारी शांति मार्च निकालेंगे। 13 मार्च को दोपहर डेढ़ बजे नॉर्थ ब्लॉक पर शांति मार्च निकाला जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके बाद भी सीएसएस कैडर की मांगों पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की तो असहयोग आंदोलन शुरू होगा।
हजारों अधिकारियों ने सोमवार को नॉर्थ ब्लॉक पर हल्लाबोल किया था। ‘सीएसएस फोरम’ का कहना है, केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारी, पदोन्नति में पिछड़ रहे हैं। अंडर सेक्रेटरी को डिप्टी सेक्रेटरी के पद तक पहुंचने में 13 साल लग रहे हैं। मौजूदा समय में लगभग 1200 अंडर सेक्रेटरी ऐसे हैं, जो डिप्टी सेक्रेटरी बनने की सभी योग्यताएं पूरी करते हैं। लंबे समय से इन्हें पदोन्नति का इंतजार है। लगभग 100 डिप्टी सेक्रेटरी ऐसे हैं, जिन्होंने डायरेक्टर बनने के सभी पड़ाव पार कर लिए हैं, मगर ये सभी अधिकारी एक ही पद पर काम करने को मजबूर हैं। डेढ़ वर्ष से कैडर समीक्षा रिपोर्ट लंबित है।
*2600 से अधिक पदों की जरूरत*
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों ने सीएसएस कैडर के तहत अतिरिक्त पदों की जरूरत बताई है। ऐसे पदों की संख्या 2600 से अधिक है। इनमें एएसओ, एसओ, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पद शामिल हैं। व्यय विभाग में 18 पदों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
स्किल डेवेलपमेंट मंत्रालय में 172, केंद्रीय गृह मंत्रालय में 460, सांख्यिकी मंत्रालय में 91, जल शक्ति मंत्रालय में 76, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में 95, उच्च शिक्षा विभाग में 125, साइंस एवं टेक्नोलॉजी विभाग में 11, स्वास्थ्य मंत्रालय में 384, खाद्य आपूर्ति मंत्रालय में 41, विधायी विभाग में 5, टेलीकॉम में 230, युवा मामलों के मंत्रालय में 100, नागरिक उड्डयन मंत्रालय में 34, कृषि मंत्रालय में 147, इंटरस्टेट काउंसिल में 5, सामाजिक न्याय विभाग में 81, राजस्व विभाग में 57, जनजातीय मामलों के मंत्रालय में 32, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में 197 पदों की आवश्यकता है। कानूनी मामले विभाग में 107 पदों की जरूरत बताई गई है। रक्षा मंत्रालय में 116 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता है।
*एसओ और एएसओ के अधिकांश पद रिक्त*
केंद्रीय गृह मंत्रालय में सीएसएस के जिन पदों की आवश्यकता बताई गई है, उनमें डिप्टी सेक्रेटरी के 20 पद, अंडर सेक्रेटरी के 50, सेक्शन अफसर के 90 और एएसओ के 300 पद शामिल हैं। इसी तरह उच्च शिक्षा विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी के 5 पद, अंडर सेक्रेटरी के 10, सेक्शन अफसर के 20 और एएसओ के 90 पदों की आवश्यकता बताई गई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी के 17, अंडर सेक्रेटरी के 18, एसओ के 12 और एएसओ के 48 पद शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी के 24, अंडर सेक्रेटरी के 50, सेक्शन अफसर के 100 और एएसओ के 210 पद शामिल हैं। टेलीकॉम विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी के 4, अंडर सेक्रेटरी के 26, एसओ के 50, एएसओ के 61, एसएसए के 69 और जेएसए के 20 पदों की जरूरत बताई गई है।
*इन मंत्रालयों/विभागों ने की है इतने पदों की डिमांड*
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी से ज्वाइंट सेक्रेटरी के 4, अंडर सेक्रेटरी 7, एसओ के 9, एएसओ के 35 और स्टेनो के 142 पदों की जरूरत है। रक्षा मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी के 8, अंडर सेक्रेटरी के 23, एसओ के 32, एएसओ के 38, एसएसए के 5 और जेएसए के 9 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता है। सामाजिक न्याय विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी/डायरेक्टर के 7 पद, अंडर सेक्रेटरी के 13, एसओ के 13 और एएसओ के 48 पदों की आवश्यकता है।
कानूनी मामले विभाग में एएसओ के 75, एसओ के 22, अंडर सेक्रेटरी के 8 और डिप्टी सेक्रेटरी/डायरेक्टर के 2 पद शामिल हैं। जल शक्ति मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी के 5, अंडर सेक्रेटरी के 3, एसओ के 18 और एएसओ के 50 अतिरिक्त पदों की डिमांड आई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी के 17, अंडर सेक्रेटरी के 18, एसओ के 12 और एएसओ के 48 पद शामिल हैं। स्किल डेवलमेंट मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी के 9 पद, अंडर सेक्रेटरी के 25, एसओ के 45 और एएसओ के 93 पदों की आवश्यकता बताई गई है।
*कैडर रिपोर्ट की सिफारिशें अविलंब लागू करे सरकार*
सीएसएस फोरम के महासचिव आशुतोष मिश्रा के अनुसार, अक्तूबर 2022 में सीएसएस के चौथे कैडर रिव्यू के लिए कमेटी गठित की गई थी। इसमें डीओपीटी के एस्टेब्लिशमेंट अधिकारी एवं अतिरिक्त सचिव को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था। डीओपीटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी ‘सीएस’ तथा व्यय विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी ‘पर्स’, इस कमेटी के सदस्य और डीओपीटी के डिप्टी सेक्रेटरी ‘सीएस1’ को मैंबर सेक्रेटरी बनाया गया। इसके बाद कमेटी ने सीएसएस फोरम से सुझाव मांगे थे। फोरम के पदाधिकारियों ने कमेटी को जनवरी 2023 में ही अपना प्रतिवेदन सौंप दिया था। इतना ही नहीं, फोरम ने डीओपीटी मंत्री और दूसरे शीर्ष अधिकारियों को समय-समय पर जल्द कैडर रिव्यू कराने का आग्रह भी किया है।
इन सबके बाद भी कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई। हर मोर्चे पर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले लगभग 12000 सीएसएस अधिकारी अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सीएसएस, केंद्र सरकार में रीढ़ की तरह कार्य करती है। पीएमओ के निर्देशन में, अनेक नई योजनाएं तैयार हो रही हैं। उन्हें जमीन पर उतारने की रणनीति तैयार करना और उनके मूल्यांकन जैसा अहम कार्य, सीएसएस के अधिकारी पूरी तन्मयता से करते हैं। सीएसएस अधिकारियों की मांग है कि केंद्र सरकार में इस तालमेल और योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने की रफ्तार में कोई कमी न आए, इसके लिए सीएसएस कैडर रिव्यू रिपोर्ट को जारी कर उसकी सिफारिशों को अविलंब लागू किया जाए।
*रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकेंगे*
सीएसएस फोरम ने 18 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा को एक पत्र भेजा था। सीएसएस फोरम के मुताबिक, इस पत्र में केंद्रीय सचिवालय सेवा के अंतर्गत नए पदों के सृजन में तेजी लाने का आग्रह किया गया है। पीएमओ से आग्रह किया गया है कि सीएसएस कैडर समीक्षा रिपोर्ट को शीघ्र प्रस्तुत कर उसकी सिफारिश को लागू किया जाए। केंद्र सरकार ने 27 अक्तूबर, 2022 को बड़ी संख्या में नई विकासात्मक योजनाओं और परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त जनशक्ति की आवश्यकता का आंकलन करने के लिए एक समिति (कैडर समीक्षा समिति) का गठन किया था।
सीआरसी ने विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से अतिरिक्त जनशक्ति की आवश्यकता बताने की मांग की थी। अधिकांश विभागों ने 2023 की पहली छमाही में ही अपनी आवश्यकता भेज दी थी। अब वह रिपोर्ट तैयार है, मगर उसे प्रस्तुत नहीं किया जा रहा। कैडर समीक्षा समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद, विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में नए पद सृजित किए जाने की राह प्रशस्त होगी। इससे सैकड़ों सीएसएस अधिकारियों की पदोन्नति की राह खुलेगी। साथ ही केंद्रीय सचिवालय सेवा में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकेंगे।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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