Sunday, June 29, 2025

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प्राइवेट अस्पताल में प्रसव कराते पकडी गई आशा कार्यकर्त्री, जा सकती है नौकरी

क्षेत्र के कंडेरा गांव की एक आशा कार्यकर्त्री को स्थानीय सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार ने एक प्राइवेट अस्पताल में महिला का प्रसव कराते हुए पकड़ा।

बड़ौत, 28 जून 2025 (यूटीएन)। क्षेत्र के कंडेरा गांव की एक आशा कार्यकर्त्री को स्थानीय सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार ने एक प्राइवेट अस्पताल में महिला का प्रसव कराते हुए पकड़ा। उन्होंने यह कार्रवाई एक ग्रामीण की शिकायत मिलने पर की। जैसे ही ग्रामीण की शिकायत उन्हें मिली वैसे ही डॉ विजय कुमार तुरंत उसी प्राइवेट नर्सिंग होम पहुंचे, जहां उन्होंने बबली को प्रसव कराते हुए देखा।

बता दें कि, सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी आशा कार्यकर्त्री को संबंधित सरकारी अस्पताल के अलावा किसी भी निजी या प्राइवेट अस्पताल में चिकित्सा गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। सीएचसी अधीक्षक ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखा है।

सूत्रों द्वारा बताया गया है कि, पत्र में आशा कार्यकर्त्री बबली को हटाने की सिफारिश की गई है। नियमानुसार आशा कार्यकर्ताओं को केवल सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत सरकारी संस्थानों में ही सेवाएं देनी होती हैं। निजी प्रैक्टिस में शामिल होना सरकारी नियमों का उल्लंघन माना जाता है।

स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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प्राइवेट अस्पताल में प्रसव कराते पकडी गई आशा कार्यकर्त्री, जा सकती है नौकरी

क्षेत्र के कंडेरा गांव की एक आशा कार्यकर्त्री को स्थानीय सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार ने एक प्राइवेट अस्पताल में महिला का प्रसव कराते हुए पकड़ा।

बड़ौत, 28 जून 2025 (यूटीएन)। क्षेत्र के कंडेरा गांव की एक आशा कार्यकर्त्री को स्थानीय सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार ने एक प्राइवेट अस्पताल में महिला का प्रसव कराते हुए पकड़ा। उन्होंने यह कार्रवाई एक ग्रामीण की शिकायत मिलने पर की। जैसे ही ग्रामीण की शिकायत उन्हें मिली वैसे ही डॉ विजय कुमार तुरंत उसी प्राइवेट नर्सिंग होम पहुंचे, जहां उन्होंने बबली को प्रसव कराते हुए देखा।

बता दें कि, सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी आशा कार्यकर्त्री को संबंधित सरकारी अस्पताल के अलावा किसी भी निजी या प्राइवेट अस्पताल में चिकित्सा गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। सीएचसी अधीक्षक ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखा है।

सूत्रों द्वारा बताया गया है कि, पत्र में आशा कार्यकर्त्री बबली को हटाने की सिफारिश की गई है। नियमानुसार आशा कार्यकर्ताओं को केवल सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत सरकारी संस्थानों में ही सेवाएं देनी होती हैं। निजी प्रैक्टिस में शामिल होना सरकारी नियमों का उल्लंघन माना जाता है।

स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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