मथुरा, 16 अप्रैल 2025 (यूटीएन)। बोर्ड बैठक में काफी संख्या में पार्षद पति एवं अन्य बाहरी लोग बोर्ड बैठक के कक्ष में आ गये जिसको लेकर भाजपा पार्षद नीनू कुंज बिहारी भारद्वाज पार्षद वार्ड स० 56 ने बोर्ड में सर्वप्रथम नगर आयुक्त से प्रश्न किया कि नगर निगम की बैठकों में निर्वाचित पार्षद एव पदेन सदस्य के अलावा कोई भी अन्य पति अथवा अन्य सम्बधियों का बोर्ड बैठक में कोई प्रतिभाग नहीं होना चाहियें। इस सम्बन्ध में पार्षद ने प्रवीर कुमार प्रमुख सचिव उ०प्र० शासन द्वारा शासनादेश सं०-3905/नौ-1-12-8 ई/95 लखनऊ दिनांक 10 अक्टूबर 2012 का हवाला देते हुये पार्षदों के अलावा अन्य लोगों को सदन से बाहर कराने के लिये नगर आयुक्त से कहा लेकिन नगर आयुक्त ने किसी भी प्रकार का शासनादेश का अनुपालन नही किया। भाजपा पार्षद नीनू कुंजबिहारी भारद्वाज बैठक का बहिष्कार कर सदन से बाहर आ गयी।
पार्षदों को जो एजेण्डा प्राप्त हुआ है उसके प्रस्ताव सं० 01 में पिछली सम्पन्न हुयी बोर्ड बैठक दिनांक की सम्पुष्टि के सम्बन्ध में हैं। जिसके बारे में भाजपा पार्षद दल के नेता चौधरी राजवीर सिंह ने बताया कि दिनांक 13 सितम्बर को सम्पन्न हुयी बोर्ड बैठक में जो 15 प्रस्ताव मूल एजेण्डा में थे उसके अलावा जो अन्य अवैध प्रस्ताव बैठक के दौरान ही आनन फानन में लाये गये थे जिसकी शिकायत पार्षदगणों ने लिखित में मण्डलायुक्त आगरा मण्डल आगरा को की थी। जिसके बाद भी मनमानी एवं तानाशाही भ्रष्टाचार के कारण अन्य 14 प्रस्तावों को स्वीकार दिखाया गया हैं। जिसका हम पार्षदगण भारी विरोध करते हैं। इसके महापौर और नगर आयुक्त अन्य पार्षदों को गुमराह करके 14 अन्य अवैध प्रस्तावों को स्वीकार/ पास कराना चाहते हैं। जिसका हम पार्षदगणों ने विरोध किया।

बोर्ड बैठक के बारे में जो एजेण्डा मिला व चौकाने वाला ही नहीं अपितु चिन्तन करने वाला भी हैं। भेजे गये एजेण्डा में महापोर को छोड़कर किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर नही हैं जबकि पूर्व में हमेशा नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्त, सदन प्रभारी एवं महापौर के संयुक्त हस्ताक्षर से एजेण्डा प्राप्त होता रहा हैं। अधिकारियों के एजेण्डा पर हस्ताक्षर न करना अपने आप में एक सदिग्धता प्रदर्शित करता हैं तथा नियम के विरूद्ध भी हैं, जबकि नगर आयुक्त नगर निगम का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता हैं और वह निगम के कामकाज का संचालन करता हैं।
एक ही दिन में दो बोर्ड मीटिंग कराना भी सुनियोजित लगता है। लगभग ग्यारह सौ करोड का भारी भरकम बजट है। यह बैठक भी इसी दिन दूसरे सत्र में रखी गयी है जिसका समय नाकाफी है। बजट को जानने व प्रश्नकाल हेतु विस्तृत समय की आवश्यकता होती है। साथ ही हम पार्षदगणों ने बजट के लिए मीटिंग हॉल में प्रोजेक्टर लगाकर माननीय सदन को पूरी विस्तृत जानकारी देने के बारे में कहा तथा बजट के लेखा जोखा एवं खर्चे की बेलेंस शीट के बारे में भी माननीय पार्षदगणों को उपलब्ध कराने के बारे में कहा। लेकिन तानाशाही, मनमानी एवं भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अधिकारियों ने हमारी बात को अनसुनी कर दिया।
पार्षद बृजेश खरे वार्ड 17 ने आउटसोर्स, डूडा एवं सीएलसी कम्पनी के द्वारा कार्य कर रहे सफाई कर्मचारियों के वेतन बढाने एवं 26 दिन की जगह महीने की अंतिम तारीख तक पूरे महीने का वेतन देने की मांग सदन में रखते हुए काफी पार्षदों के हस्ताक्षर युक्त पत्र नगर आयुक्त को सौंपा, जिसपर नगर आयुक्त ने संतोषजनक जबाब न देते हुए विषय को टाल दिया, जिसके कारण सफाई कर्मचारियों में भारी आकोश व्याव्त हो गया।
हम पार्षदगणों ने दिनांक 27 मार्च को दो शिकायती पत्र कमशः नगर निगम की भूमि पर नगर निगम के अधिकारियों ने गलत तरह से दी गयी एनओसी एव नगर निगम की उपविधि के विपरीत पार्किंग के उठाये गये ठेके को लेकर लिखित में शिकायतें नगर आयुक्त को कीं।
लेकिन आज तक उक्त शिकायतों को लेकर नगर आयुक्त ने न कोई गम्भीरता दिखाई और न ही संबधित के खिलाफ कोई कार्यवाही की। जिससे प्रतीत होता है कि नगर आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है।
6 बिन्दुओं को लेकर भाजपा पार्षदों ने मुखर होकर बोर्ड बैठक में विरोध जताया तथा अधिकारियों की मनमानी और तानाशाही का विरोध करते हुए भाजपा पार्षदगणों ने बोर्ड बैठक का बहिष्कार करते हुए मीटिंग हॉल से सभी पार्षद बाहर आ गये। बहिष्कार करने वालों में प्रमुख रूप से चौधरी राजवीर सिंह, नीनू कुंजबिहारी भारद्वाज, बृजेश खरे, नीरज वशिष्ठ, ठाकुर तेजवीर सिंह आदि रहे।
मथुरा- संवाददाता, ( बी एल पाण्डेय )।