वृंदावन, 23 दिसंबर 2025 (यूटीएन)। छटीकरा रोड स्थित डालमिया बाग प्रकरण को लोग अभी भूले भी नहीं थे कि उसी क्षेत्र में एक और ऐसा मामला सामने आ गया है, जिसने न सिर्फ कानून के राज पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण (MVDA) की भूमिका को भी कठघरे में ला खड़ा किया है। डालमिया बाग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जहां करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाकर और कड़ी शर्तों के साथ आदेश पारित कर तथाकथित ‘गुरु कृपा तपोवन’ हाउसिंग प्रोजेक्ट की कमर तोड़ दी थी, वहीं अब वृंदावन के ही छटीकरा रोड पर सुनरख बांगर क्षेत्र में विकसित की जा रही ‘सनसिटी अनंतम’ टाउनशिप ने अदालतों की उस सख्त नज़ीर को भी ठेंगा दिखा दिया है।
दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे-19 के किनारे अनुमानित 400 एकड़ से अधिक क्षेत्र में विकसित की जा रही इस टाउनशिप की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां 240 वर्गगज के एक विला की शुरुआती कीमत 6 करोड़ रुपये से अधिक रखी गई है। लेकिन इस भव्यता के पीछे जो स्याह सच छिपा है, उसने पूरे प्रशासनिक तंत्र की पोल खोल दी है। सवाल यह नहीं है कि कोई रियल एस्टेट समूह इतना दुस्साहस कैसे कर सकता है, सवाल यह है कि उसे यह हौसला कौन दे रहा है? इस सवाल का जवाब खुद NGT की कार्यवाही में उभरकर सामने आया है। ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) के अंतर्गत आने वाले इस प्रोजेक्ट को लेकर दायर मूल आवेदन संख्या 649/2025 पर 18 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एन.के. गोस्वामी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण की प्रधान पीठ को बताया कि सनसिटी अनंतम के लिए अब तक कोई भी वैधानिक अनुमति नहीं ली गई है।

न तो Consent to Establish (CTE) है, न Consent to Operate (CTO) और न ही कोई कार्यशील सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) मौजूद है। इसके बावजूद प्रोजेक्ट धड़ल्ले से आगे बढ़ रहा है। अधिवक्ता ने बताया कि यहां सीवेज का निस्तारण आज भी मध्ययुगीन तरीके से टैंकरों के जरिए आसपास के क्षेत्रों में कराया जा रहा है, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए घातक है बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर भी सीधा खतरा पैदा कर रहा है। इस स्थिति को अधिवक्ता ने बेहद तीखे शब्दों में ‘कानून के शासन का कार्डियक अरेस्ट’ करार दिया। इतना ही नहीं, पीठ के समक्ष सैटेलाइट इमेज प्रस्तुत कर यह भी बताया गया कि इस प्रोजेक्ट के लिए 400 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई की गई है, जबकि यह संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका जताई गई। चौंकाने वाली बात यह रही कि जब उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) पहले ही इस प्रोजेक्ट के लिए CTE अस्वीकृत करने की सिफारिश कर चुका है, तब भी जून 2025 में MVDA द्वारा सनसिटी अनंतम को लाइसेंस दे दिया गया और निजी डेवलपर को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तक शुरू कर दी गई, जो अब भी जारी है।
NGT ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार, UPPCB, SEIAA-UP, पर्यावरण विभाग, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC), केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण (CGWA), प्रभागीय वनाधिकारी मथुरा, MVDA, जिलाधिकारी मथुरा तथा एमएस सनसिटी हाईटेक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आशुतोष सिंह को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 मार्च 2026 की तारीख तय की गई है।
यह पूरा प्रकरण एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या मथुरा-वृंदावन में रियल एस्टेट माफिया और प्रशासनिक तंत्र के बीच गहरी सांठगांठ के बिना इतना बड़ा गैरकानूनी खेल संभव है? जब प्रदूषण, वन और पर्यावरण से जुड़ी संस्थाएं आपत्ति जता रही हों, तब भी यदि विकास प्राधिकरण आंखें मूंदे बैठा रहे, तो इसे लापरवाही नहीं बल्कि संरक्षण ही कहा जाएगा। अब निगाहें NGT पर टिकी हैं कि क्या वह इस बार भी डालमिया बाग की तरह कोई ऐसी नज़ीर पेश करेगा, जो आने वाले समय में रियल एस्टेट माफिया के लिए चेतावनी बन सके।
मथुरा- संवाददाता, ( बी एल पाण्डेय )।


