नई दिल्ली, 29 जून 2025 (यूटीएन)। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 123वें एपिसोड में आपातकाल के 50 वर्ष होने पर भी अपने विचार साझा किए इसके साथ ही उन्होंने योग दिवस पर बात की और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सफलता का जिक्र भी किया। पीएम मोदी ने कहा कि ‘आपातकाल लगाने वालों ने ना सिर्फ हमारे संविधान की हत्या की बल्कि उनका इरादा न्यायपालिका को भी अपना गुलाम बनाए रखने का था।
इस दौरान लोगों को बड़े पैमाने पर प्रताड़ित किया गया था। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। आख़िरकार, जनता-जनार्दन की जीत हुई — आपातकाल हट लिया गया और आपातकाल थोपने वाले हार गए। बाबू जगजीवन राम जी ने इस बारे में बहुत ही सशक्त तरीक़े से अपनी बात रखी थी। जॉर्ज फर्नांडिस साहब को जंजीरों में बांधा गया। अनेक लोगों को कठोर यातनाएं दी गईं। मीसा के तहत किसी को भी गिरफ्तार कर लिया जाता था। छात्रों को भी परेशान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा गया।’
*योग दिवस की सफलता का किया जिक्र*
पीएम मोदी ने कहा ‘आप सब इस समय योग की ऊर्जा और ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ की स्मृतियों से भरे होंगे। इस बार भी 21 जून को देश-दुनिया के करोड़ों लोगों ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ में हिस्सा लिया। आपको याद है, 10 साल पहले इसका प्रारंभ हुआ। अब 10 साल में ये सिलसिला हर साल पहले से भी ज्यादा भव्य बनता जा रहा है। ये इस बात का भी संकेत है कि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने दैनिक जीवन में योग को अपना रहे हैं।
हमने इस बार योग दिवस की कितनी ही आकर्षक तस्वीरें देखी हैं। विशाखापत्तनम के समुद्र तट पर तीन लाख लोगों ने एक साथ योग किया। विशाखापत्तनम से ही एक और अद्भुत दृश्य सामने आया, दो हजार से ज्यादा आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 सूर्य नमस्कार किए। सोचिए, कितना अनुशासन, कितना समर्पण रहा होगा।’ उन्होंने कहा कि हिमालय की बर्फीली चोटियां और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान, वहां भी योग किया, साहस और साधना साथ-साथ चले। गुजरात के लोगों ने भी एक नया इतिहास रचा।
वडनगर में 2121 लोगों ने एक साथ भुजंगासन किया और नया रिकॉर्ड बना दिया। न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो, पेरिस, दुनिया के हर बड़े शहर से योग की तस्वीरें आईं और हर तस्वीर में एक बात खास रही — शांति, स्थिरता और संतुलन। हमारे नौसेना के जहाज़ों पर भी योग की भव्य झलक दिखी। तेलंगाना में तीन हजार दिव्यांग साथियों ने एक साथ योग शिविर में भाग लिया। उन्होंने दिखाया कि योग किस तरह सशक्तिकरण का माध्यम भी है। इस बार की थीम भी बहुत विशेष थी ‘एक पृथ्वी – एक स्वास्थ्य’ के लिए योग। ये सिर्फ एक नारा नहीं है, ये एक दिशा है जो हमें ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का अहसास कराती है।
*’धार्मिक यात्राओं के लिए शुभकामनाएं’ दी*
प्रधानमंत्री ने कहा कि’मेरे प्यारे देशवासियो, जब कोई तीर्थयात्रा पर निकलता है, तो एक ही भाव सबसे पहले मन में आता है, “चलो, बुलावा आया है”। यही भाव हमारे धार्मिक यात्राओं की आत्मा है। ये यात्राएं शरीर के अनुशासन का, मन की शुद्धि का, आपसी प्रेम और भाईचारे का, प्रभु से जुड़ने का माध्यम हैं। इनके अलावा, इन यात्राओं का एक और बड़ा पक्ष होता है। ये धार्मिक यात्राएं सेवा के अवसरों का एक महाअभियान भी होती हैं।
जब कोई भी यात्रा होती है तो जितने लोग यात्रा पर जाते हैं, उससे ज्यादा लोग तीर्थयात्रियों की सेवा के काम में जुटते हैं। अभी कुछ दिन पहले हमने भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी देखी है।ओडिशा हो, गुजरात हो, या देश का कोई और कोना, लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं।उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम, ये यात्राएं ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के भाव का प्रतिबिंब है। जब हम सच्चे मन से यात्रा करते हैं मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और जो लोग इन यात्राओं में सेवाभाव से जुटे हैं, उन्हें भी साधुवाद देता हूं।’
*’95 करोड़ लोग ले रहे सामाजिक सुरक्षा का लाभ‘*
पीएम मोदी ने कहा कि ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को ट्रेकोमा मुक्त घोषित कर दिया है। ये लाखों लोगों की मेहनत का फल है। जिन्होंने बिना तके, बिना रुके बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ी। ये सफलता हमारे हेल्थ वर्कर्स की है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ की रिपोर्ट आई है, जिसमें बताया गया है कि भारत की 64 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को अब कोई न कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल रहा है। आज देश के 95 करोड़ लोग किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ ले रहे हैं। साल 2015 तक ये आंकड़ा 25 करोड़ था।’
*बोडोलैंड के फुटबॉल टूर्नामेंट का किया जिक्र*
असम के बोडोलैंड पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा ‘बोडोलैंड आज अपने एक नए रूप के साथ देश के सामने खड़ा है। यहां के युवाओं में जो ऊर्जा है, जो आत्मविश्वास है, वो फुटबॉल के मैदान में सबसे ज्यादा दिखता है । बोडोलैंड सीईएम कप का आयोजन हो रहा है। ये सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं है, ये एकता और उम्मीद का उत्सव बन गया है | 3 हज़ार 700 से ज़्यादा टीमें, करीब 70 हज़ार खिलाड़ी, और उनमें भी बड़ी संख्या में हमारी बेटियों की भागीदारी ये आंकड़े बोडोलैंड में बड़े बदलाव की गाथा सुना रहे हैं।
बोडोलैंड अब देश के खेल नक्शे पर अपनी चमक और बढ़ा रहा है।”साथियो, एक समय था जब संघर्ष ही यहाँ की पहचान थी | तब यहाँ के युवाओं के लिए रास्ते सीमित थे । लेकिन उनकी आँखों में नए सपने हैं और दिलों में आत्मनिर्भरता का हौंसला है | यहाँ से निकले फुटबॉल खिलाड़ी अब बड़े स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं । हालीचरण नारजारी, दुर्गा बोरो, अपूर्णा नारजारी, मनबीर बसुमतारी – ये सिर्फ फुटबॉल खिलाड़ियों के नाम नहीं हैं – ये उस नई पीढ़ी की पहचान है जिन्होंने बोडोलैंड को मैदान से राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया।’
*मेघालय के एरी सिल्क की बताई खासियत*
मेघालय का एरी सिल्क को कुछ दिन पहले ही जीआई टैग मिला है। एरी सिल्क मेघालय की एक धरोहर है। यहां की जनजातियां खासकर खासी समाज के लोगों ने पीढ़ियों से इसे सहेजा है और समृद्ध भी किया है। इस सिल्क को रेशम के कीड़े बनाते हैं और उसे हासिल करने के लिए कीड़ों को मारा नहीं जाता, इसलिए इसे अहिंसा सिल्क भी कहते हैं। मेघालय का एरी सिल्क वैश्विक बाजार के लिए शानदार उत्पाद है। ये सिल्क सर्दी में गरम करता है और गर्मियों में ठंडक देता है।’
*सिंदूर वन’ ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को समर्पित*
पीएम मोदी ने कहा कि ‘इस महीने हम सबने ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया। मुझे आपके हजारों संदेश मिले। कई लोगों ने अपने आस-पास के उन साथियों के बारे में बताया जो अकेले ही पर्यावरण बचाने के लिए निकल पड़े थे और फिर उनके साथ पूरा समाज जुड़ गया। अहमदाबाद में पर्यावरण के लिए एक और सुंदर पहल देखने को मिली है। यहां नगर निगम ने ‘मिशन फॉर मिलिनय ट्रीज’ अभियान शुरू किया है। उसका लक्ष्य है- लाखों पेड़ लगाना |
इस अभियान की एक खास बात है ‘सिंदूर वन’। यह वन ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को समर्पित है। सिंदूर के पौधे उन बहादुरों की याद में लगाए जा रहे हैं, जिन्होंने देश के लिए सबकुछ समर्पित कर दिया।’ ‘इस महीने हम सबने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। मुझे आपके हजारों संदेश मिले। कई लोगों ने अपने आस-पास के उन साथियों के बारे में बताया जो अकेले ही पर्यावरण बचाने के लिए निकल पड़े थे और फिर उनके साथ पूरा समाज जुड़ गया।
पुणे के रमेश खरमाले जी के कार्यों को जानकर आपको बहुत प्रेरणा मिलेगी, जब हफ्ते के अंत में लोग आराम करते हैं तो रमेश जी और उनका परिवार कुदाल और फावड़ा लेकर जुन्नर की पहाड़ियों की और निकल पड़ते हैं। वहां वे झाड़ियां साफ करते हैं और पानी रोकने के लिए ट्रेंच खोदते हैं और बीज बोते हैं। उन्होंने कई सारे छोटे तालाब बनाए हैं और सैंकड़ों पेड़ लगाए हैं। वे एक ऑक्सीजन पार्क भी बनवा रहे हैं। नतीजा ये हुआ कि अब वहां पक्षी लौटने लगे हैं और वन्य जीवन को नई सांसें मिल रही हैं।’
*आत्मनिर्भरता में बढ़ाया मध्य प्रदेश का मान*
रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 123वें एपिसोड में मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले का नाम एक बार फिर पूरे देश में गूंजा। इस बार चर्चा का केंद्र रहीं कटंगी ब्लॉक की रहने वाली सुमा उईके, जिन्होंने अपने आत्मबल और मेहनत के दम पर न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा देने वाला काम किया।
पीएम मोदी ने कहा, “मध्य प्रदेश की सुमा उईके का प्रयास बहुत सराहनीय है। उन्होंने सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन की ट्रेनिंग ली। इससे उन्हें आत्मनिर्भरता की राह मिल गई।” कटंगी की सुमा पहले घरेलू कामों तक सीमित थीं, लेकिन उन्होंने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर ट्रेनिंग ली और छोटे स्तर पर मशरूम उत्पादन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने बकरी पालन भी शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी आय में इजाफा होने लगा।
*देश की तकदीर बदल रहीं हैं महिलाएं*
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के कोने-कोने में सुमा जैसी अनगिनत महिलाएं हैं जो अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से न केवल अपना जीवन संवार रहीं, बल्कि देश का भी भाग्य बदल रही हैं।
*अंतरिक्ष में ‘शुभ’ शुरुआत, डॉक्टर्स-सीए को भी कहा सलाम*
पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का जिक्र करते हुए कहा कि यह मिशन देश के लिए ऐतिहासिक है. उन्होंने बताया कि शनिवार को उन्होंने शुभांशु से फोन पर बात की और उनकी यात्रा को “नए युग की शुरुआत” बताया. मोदी ने कहा कि आप भारतभूमि से दूर हैं, लेकिन 140 करोड़ भारतीयों के दिलों के सबसे करीब हैं.
आपके नाम में भी ‘शुभ’ है और आपकी यह यात्रा भी शुभ आरंभ का प्रतीक है.” प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि चंद्रयान की सफलता के बाद देशभर के बच्चों में अंतरिक्ष के प्रति रुचि बढ़ी है और शुभांशु जैसे मिशन से उन्हें और प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने कहा कि भारत का अगला लक्ष्य अपना स्पेस स्टेशन बनाना और चंद्रमा पर मानव को उतारना है. इस दिशा में शुभांशु का अनुभव देश के लिए बेहद उपयोगी रहेगा. शुभांशु ने भी जवाब में बताया कि वे अंतरिक्ष में हर चीज़ का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने 1 जुलाई को मनाए जाने वाले डॉक्टर्स डे और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स डे की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि डॉक्टर जहां हमारी सेहत के रक्षक हैं. वहीं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आर्थिक जीवन को व्यवस्थित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. प्रधानमंत्री ने दोनों ही पेशों के लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ये समाज के अहम स्तंभ हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा और डॉक्टर सीए जैसे पेशों की मेहनत हमें यह याद दिलाती है कि भारत सिर्फ धरती पर ही नहीं, आसमान में भी ऊंचाई छू रहा है.
*देशों को एक सूत्र में बांधते हैं भगवान बुद्ध के विचार*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बुद्ध के विचारों की शक्ति पर जोर दिया, जो देशों, संस्कृतियों और लोगों को एकजुट करती है. पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दिनों मुझे वियतनाम के बहुत से लोगों ने विभिन्न माध्यमों से अपने संदेश भेजे. इन संदेशों की हर पंक्ति में श्रद्धा थी, आत्मीयता थी. उनकी भावनाएं मन को छूने वाली थीं. वो लोग भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन कराने के लिए भारत के प्रति अपना आभार प्रकट कर रहे थे.
उनके शब्दों में जो भाव थे, वो किसी औपचारिक धन्यवाद से बढ़कर था.पीएम ने कहा कि भगवान बुद्ध के विचारों में वो शक्ति है, जो देशों, संस्कृतियों और लोगों को एक सूत्र में बांधती है. इससे पहले भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष थाईलैंड और मंगोलिया ले जाए गए थे और वहां भी श्रद्धा का यही भाव देखा गया. मेरा आप सभी से भी आग्रह है कि अपने राज्य के बौद्ध स्थलों की यात्रा अवश्य करें. ये एक आध्यात्मिक अनुभव होगा, साथ ही हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का एक सुंदर अवसर भी बनेगा.
पीएम ने कहा कि मूल रूप से भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों की खोज आंध्र प्रदेश में पालनाडू जिले के नागार्जुनकोंडा में हुई थी. इस जगह का बौद्ध धर्म से गहरा नाता रहा है. कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्रीलंका और चीन सहित दूर–दूर के लोग आते थे. पिछले महीने भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों को भारत से वियतनाम ले जाया गया था. वहां के 9 अलग–अलग स्थानों पर इन्हें जनता के दर्शन के लिए रखा गया. भारत की ये पहल एक तरह से वियतनाम के लिए राष्ट्रीय उत्सव बन गई. आप कल्पना कर सकते हैं कि करीब 10 करोड़ लोगों की आबादी वाले वियतनाम में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन किए.
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।