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क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिल सकता है शांति का नोबेल पुरस्कार?

हिंदुस्तान की अगुवाई कर रहे पीएम मोदी ना सिर्फ अपने देश का परचम पूरी दुनिया में लहरा रहे है

नई दिल्ली, 16 मार्च  2023 (यूटीएन)। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है. दुनिया को शांति और तरक्की की राह दिखा रहे हिंदुस्तान की अगुवाई कर रहे पीएम मोदी ना सिर्फ अपने देश का परचम पूरी दुनिया में लहरा रहे है. बल्कि उनकी खूबियों की तारीफ करने वालों में नोबेल प्राइज कमेटी के मेंबर का नाम भी शामिल हो गया है. दरअसल नार्वे से नोबेल प्राइज कमेटी की टीम भारत पहुंची है. ये वो कमेटी है जो पीस प्राइज का विजेता तय करती है और सबसे बड़ी बात ये है कि इस कमेटी के डिप्टी लीडर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी जैसे ताकतवर लीडर में शांति स्थापित करने की ज़बरदस्त क्षमता है.
ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही भारतवासियों को नोबेल पुरस्कार से जुड़ी कोई बहुत बड़ी खबर सुनने को मिल सकती है.
*नोबेल प्राइज कमेटी के डिप्टी लीडर ने क्या कहा* 
नोबेल पीस प्राइज का विजेता घोषित करने भारत आए नॉर्वे की नोबेल प्राइज कमेटी के डिप्टी लीडर एस्ले टोजे ने कहा, “नोबेल पीस प्राइज के लिए हमें बड़ी संख्या में भारतीय नॉमिनेशन मिल रहे हैं. मैं उम्मीद कर रहा हूं कि दुनिया का हर नेता वो काम करे जो नोबेल पीस प्राइज के लिए ज़रूरी हो.”उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं मोदी की कोशिश को फॉलो कर रहा हूं. मोदी जैसे ताकतवर लीडर में शांति स्थापित करने की जबरदस्त क्षमता है. पीएम मोदी बहुत ताकतवर देश से आते हैं उन्हें बहुत ही गंभीरता से लिया जाता है. उनके भीतर बेहद विश्वसनीयता है. वे अपनी विश्वसनीयता और स्ट्रेंथ का इस्तेमाल इस भयावह युद्ध को रोकने में करेंगे.
एस्ले आगे कहते हैं, ‘मोदी ने रूस अमेरिका और चीन के राष्ट्राध्यक्षों से बात की है कि भविष्य शांति का हो ना कि युद्ध का. मुझे ख़ुशी है कि मोदी सिर्फ़ भारत को ही आगे बढ़ाने का काम नहीं कर रहे हैं बल्कि उन मुद्दों पर भी काम कर रहे हैं जो दुनिया में शांति के लिए ज़रूरी हैं. दुनिया को भारत से सीखने की ज़रूरत है. भारत का सुपर पावर बनना तय है.
एक तरफ जहां रूस और अमेरिका दोनों ही न्यूक्लियर वार और बचाव की बात कर रहे हैं. ऐसे में इन देशों को भारत की ओर देखने की जरूरत है. भारत की नो फर्स्ट यूज पॉलिसी सबसे रिस्पॉन्सिबल पॉलिसी है.
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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