नई दिल्ली, 10 मार्च 2023 (यूटीएन)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एक युवा संस्थान है और यह भारत की सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है। यह कहना है राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को दिल्ली स्थित
जेएनयू यानी जवाहरलाल नेहरू केंद्रीय विश्वविद्यालय के छठवें दीक्षांत
समारोह को संबोधित कर रही थीं।
दीक्षांत समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार एके सूद, जेएनयू के चांसलर विजय कुमार
सारस्वत और जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित भी प्रमुख तौर पर मौजूद थीं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महिला शोधार्थियों की संख्या इस
समय संस्थान में पुरुषों से अधिक है।
जो सामाजिक परिवर्तन का एक
महत्वपूर्ण संकेतांक है। उन्होंने कहा कि जेएनयू एक
अपेक्षाकृत युवा विश्वविद्यालय है। मैं इसे एक सार्थक और ऐतिहासिक महत्व के रूप में देखती हूं कि जेएनयू ने 1969 में महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी समारोह के वर्ष में कार्य करना शुरू किया था।राष्ट्रपति ने कहा कि यह खूबसूरत अरावली पहाड़ियों में स्थित है। जहां पूरे भारत के छात्र इस विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं और परिसर में एक साथ रहते हैं। वे परिसर में एक साथ रहते हैं जो भारत और दुनिया के बारे में उनके
दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में मदद करता है। राष्ट्रपति ने कहा
विश्वविद्यालय विविधता के बीच भारत की सांस्कृतिक एकता का एक जीवंत प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है।
*केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने डिबेट और डिस्कशन के महत्व पर जोर दिया*
वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री
धर्मेंद्र प्रधान ने जेएनयू को सबसे बहु-विविधता वाला संस्थान करार दिया, जहां देश के सभी हिस्सों से छात्र आते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय में डिबेट और डिस्कशन के महत्व पर भी जोर दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह एक शोध विश्वविद्यालय है। देश में जेएनयू जैसा कोई बहु-विविध संस्थान नहीं है। भारत सबसे
पुरानी सभ्यता है और जेएनयू इस सभ्यता को आगे ले जा रहा है। देश में डिबेट और डिस्कशन महत्वपूर्ण है।
*52 प्रतिशत छात्र आरक्षित श्रेणियों से*
इस अवसर पर बोलते हुए, जेएनयू की कुलपति
शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने इस तथ्य पर जोर दिया कि विश्वविद्यालय में 52 प्रतिशत छात्र आरक्षित श्रेणियों – एससी, एसटी और ओबीसी से हैं। यह हमारा छठा दीक्षांत
समारोह है। इस बार कुल 948 शोधार्थियों को डिग्री प्रदान की गई है। महिला शोधार्थियों की संख्या पुरुषों से अधिक है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |