नई दिल्ली, 03 जुलाई 2025 (यूटीएन)। मशहूर सेलिब्रिटी शेफाली जरीवाला को अचानक आए कार्डियक अरेस्ट और कर्नाटक में 21 हार्ट अटैक से हुई मौतों ने कोविड वैक्सीन पर फिर एक बार सवाल खड़े कर दिए हैं। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और अलग-अलग एक्सपर्ट्स भी कह चुके हैं कि कोरोना की वैक्सीन का हार्ट अटैक से कोई संबंध नहीं है। अब फिर उठ रहे सवालों पर दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने भी साफ कर दिया कि कोविड वैक्सीन और दिल का दौरा पड़ने के बीच कोई लिंक नहीं है।
कोरोना के बाद हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों को लेकर कोविड वैक्सीन पर अंगुलियां उठाई जा रही हैं, लेकिन देश की दो सबसे बड़ी मेडिकल संस्थाओं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्टडी के मुताबिक अचानक मौतों और वैक्सीन में कोई सीधा संबंध नहीं है। स्टडी में पुष्टि हुई कि भारत में कोविड-19 के टीके सुरक्षित और प्रभावी है। इनमें गंभीर दुष्प्रभावों के मामले बहुत कम देखने को मिलते है। यह भी पता चला कि कोविड-19 टीकाकरण से जोखिम नहीं बढ़ता है, जबकि अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं, आनुवंशिक प्रवृत्ति और जोखिम भरी जीवनशैली अचानक मौतों में भूमिका निभाती है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञ डॉक्टरों के एक पैनल ने इस बात से इनकार किया है कि युवाओं में बढ़ती मृत्यु के लिए कोरोनावायरस वैक्सीन जिम्मेदार है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा उसी के बारे में दावों को खारिज करने के एक दिन बाद आया है. इस संदर्भ में विस्तार से जानकारी देने के लिए एम्स के विभिन्न विभागों वरिष्ठ डाक्टरों ने आज यहां एक प्रेस कांफ्रेंस भी की एम्स दिल्ली के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ करण मदान ने बताया कि अब तक इस्तेमाल किए गए कोविड-19 टीकों की समीक्षा के लिए अचानक हृदय गति रुकने पर एक अध्ययन किया गया था.
जिसमें निष्कर्ष निकाला गया था कि युवाओं में अचानक हृदय गति रुकने से होने वाली मौतों के साथ टीकों का कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया गया है. डॉ मदान ने यह भी बताया कि कोविड-19 टीके प्रभावी थे और वायरस की मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे. उन्होंने आगे कहा कि किसी भी महामारी के दौरान, टीके ही जीवन बचाने के लिए एकमात्र संभव उपाय हैं, और उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभ बहुत अधिक हैं. डॉ. करण मदान ने मीडिया को संबोधित करते हुए यह भी कहा, “कोविड-19 के टीके प्रभावी टीके थे और उन्होंने मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. महामारी के दौरान, जीवन बचाने के लिए टीके ही एकमात्र संभव उपाय हैं.
बड़ी संख्या में लोगों पर टीकों का इस्तेमाल किया गया और उन्होंने अत्यधिक मृत्यु दर को रोकने में बहुत लाभ प्रदान किया. टीकों द्वारा प्रदान किए गए लाभ अपार हैं. अब तक इस्तेमाल किए गए टीकों की समीक्षा के लिए अचानक हृदय संबंधी मौतों पर एक अध्ययन किया गया था, लेकिन अचानक हृदय संबंधी मौतों के साथ कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया गया.” इस बीच, पैनल के एक अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर, सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने बताया कि कोविशील्ड वैक्सीन की प्रभावकारिता 62.1 है. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि “विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 12 टीकों को मंजूरी दी है, जिनमें से अधिकांश अलग-अलग तकनीकों से बने हैं.
” डॉ. संजय राय ने स्वास्थ्य पर टीकों के प्रभाव पर जोर देते हुए कहा कि कोविशील्ड एक वेक्टर का उपयोग करता है जो “एडेनोवायरस” है. डॉ. राय ने कहा कि दुनिया भर में 13 बिलियन से अधिक खुराकें पहले ही दी जा चुकी हैं. अमेरिका जैसे देश हैं, जिन्होंने अभी-अभी चौथी खुराक पूरी की है. अपने बयानों में आगे जोड़ते हुए, डॉ राय ने कहा, “कोविशील्ड वैक्सीन की प्रभावकारिता 62.1 थी… वर्तमान में, विभिन्न नियामक प्राधिकरणों द्वारा पहले से ही 37 टीकों को मंजूरी दी गई है. WHO ने लगभग 12 टीकों को मंजूरी दी है, और इनमें से अधिकांश टीके अलग-अलग तकनीकों पर आधारित हैं. अगर आप कोवैक्सिन को देखें, तो यह एक पुरानी तकनीक है. कोविशील्ड एक वेक्टर का उपयोग करता है.
जो एडेनोवायरस है दूसरी वैक्सीन, स्पुतनिक, का सिद्धांत लगभग समान है. पूरी दुनिया में 13 बिलियन से अधिक खुराकें पहले ही दी जा चुकी हैं. अमेरिका जैसे देश हैं; जिन्होंने अभी-अभी चौथी खुराक पूरी की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन यह भी सिफारिश कर रहा है कि छह महीने और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को नए वैरिएंट वाला टीका लगवाना चाहिए.” केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कई एजेंसियों ने अचानक होने वाली मौतों के मामलों की जांच की। साबित हो गया है कि कोविड-19 टीकाकरण और अचानक होने वाली मौतों के बीच कोई लिंक नहीं है। स्टडी 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में मई से अगस्त 2023 के बीच की गई।
इसमें उन लोगों के मामलों का गहराई से विश्लेषण किया गया, जो पूरी तरह स्वस्थ थे, लेकिन अक्टूबर, 2021 से मार्च, 2023 के बीच उनकी अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। सभी की उम्र 18 से 45 साल थी। स्टडी में पता चला कि कोरोना वैक्सीन के कारण युवाओं में हार्ट अटैक का जोखिम नहीं बढ़ा है। आइसीएमआर और रिपोर्ट में दावा किया गया कि युवाओं में अचानक हार्ट अटैक से मौतों के कई कारण हो सकते हैं। इनमें आनुवंशिकी, जीवन शैली (तनाव, खान-पान, शराब, सिगरेट), पूर्व-मौजूदा स्वास्थ्य समस्याएं और पोस्ट-कोविड जटिलताएं शामिल हैं। एम्स दिल्ली की एक और स्टडी अभी चल रही है। इसमें पता लगाया जा रहा है कि युवाओं की अचानक मौत की असली वजह क्या है। शुरुआती आकलन के मुताबिक पिछले कुछ साल में अचानक मौतों के कारणों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।
*आनुवंशिक बदलावों की भी पहचान*
एम्स को विश्लेषण से पता चला कि दिल का दौरा या मायोकार्डियल इंफाक्र्शन (एमआइ) मध्यम आयु वर्ग में अचानक मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है। अधिकांश अस्पष्ट मौतों के मामलों में संभावित कारण के रूप में आनुवंशिक
एम्स ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के साथ मिलकर स्टडी रिपोर्ट तैयार की। इसके बदलावों की पहचान की गई। विशेषज्ञों ने दोहराया है कि कोविड टीकाकरण को अचानक मौतों से जोड़ने वाले बयान भ्रामक हैं। सबूतों के बगैर सवाल उठाने से जनता के भरोसा प्रभावित होता है। टीकों ने लाखों लोगों की जान बचाई थी। मुताबिक अचानक मौत का कोविड वैक्सीन से कोई वैज्ञानिक या मेडिकल संबंध नहीं पाया गया। आइसीएमआर की पहले की एक अन्य रिपोर्ट के हवाले से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा था कि अचानक मौत की वजह कोविड वैक्सीन नहीं है। वैक्सीनेशन से जोखिम बढ़ा नहीं बल्कि कम हुआ है। भारत में कोविड-19 के टीके सुरक्षित व प्रभावी। इनमें गंभीर दुष्प्रभावों के मामले बहुत कम।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।