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एक और युवक बेरोजगारी के चादर में लिपट गया

घटना है जिले के कांडी थाना क्षेत्र अंतर्गत लमारी कला पँचायत के पतहरिया गांव की।

गढ़वा, 13 मार्च 2023 (यूटीएन)।  जिले का एक और युवक बेरोजगारी के चादर में लिपट गया। घटना है जिले के कांडी थाना क्षेत्र अंतर्गत लमारी कला पँचायत के पतहरिया गांव की। उक्त गांव निवासी रामेश्वर पांडेय के 44 वर्षीय पुत्र रंजन पांडेय की मौत हो गई। घटना रविवार की अहले सुबह तकरीबन 3 बजे की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रंजन पांडेय गुजरात के भावनगर नामक स्थान पर एक माह पूर्व लोकल कम्पनी में मजदूरी करने गया था, जहां सेंट्रिंग का काम चल रहा था। बीते शनिवार की रात वह अपनी पत्नी से साढ़े 10 से 11 बजे तक वीडियो कॉल पर बात किया। इसके बाद खाना खा कर साढ़े 11 बजे सो गया। जब वह पेशाब करने उठा तो गिर गया।
जिससे बर्तन हिलने की आवाज आई। कमरे में सो रहे अन्य मजदूर जगे तो देखा कि रंजन बोल नहीं पा रहा था। उसका हाथ-पांव भी नहीं काम कर रहा था। संभवतः लकवा का प्रभाव था। तब उसे सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। दूसरी ओर रंजन की मौत संदेहास्पद स्थिति में होना प्रतीत हो रहा है। इस गुत्थी को सुलझाना मुश्किल लग रहा है। चुकी रंजन के साथ उसके कमरे में तेलिया बांध के विष्णु प्रजापति, पतहरिया के लालू शर्मा व रकसही गांव निवासी प्रसाद यादव का दामाद धर्मेंद्र यादव भी था। जब रंजन ने अपनी पत्नी से बात की और उसने अपने शरीर में कोई बीमारी का लक्षण होना नहीं बताया और एक घण्टे बाद ही उसकी तबियत बिगड़ गई, जिससे स्पष्ट होता है।
कि दाल में जरूर काला है, प्रशानिक जांच से ही दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा। मृतक अपने पीछे पत्नी अमिता देवी, दो पुत्र व एक पुत्री को छोड़ चला, जिसमें 16 वर्षीय आयुष, 14 वर्षीया वंदना व 12 वर्षीय शिवम शामिल हैं। रंजन ही केवल एक कमाऊ व्यक्ति था। जो अपने पूरे परिवार का पालन-पोषण करता था। इस घटना से घर-परिवार व गांव में मातम पसर गया है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। सोमवार की देर शाम में शव आने की संभावना है। सवाल यह कि झारखण्ड सरकार बेरोजगारों के प्रति बिल्कुल भी जागरूक नहीं है। रोजगार के लिए युवा अन्य प्रदेश में मजदूरी करने जा रहे हैं, जहां मजदूरों की मौत हो जा रही है। आखिर कब तक गढ़वा के मजदूर अपनी जिंदगी से हाथ धोते रहेंगे। सरकार क्यों नहीं कुछ कर रही है, जिससे मजदूरों को अपने राज्य में ही काम करने का मौका मिले।
झारखंड- संवाददाता, (विवेक चौबे) | 

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