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ईडी डायरेक्टर के सेवा विस्तार पर भड़का सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को दिए गए तीसरे सेवा विस्तार पर केंद्र सरकार से पूछा है

नई दिल्ली, 04 मई 2023 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को दिए गए तीसरे सेवा विस्तार पर केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह इतने जरूरी हैं कि शीर्ष न्यायालय के मना करने के बावजूद उनका कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है. दरअसल, शीर्ष अदालत ने 2021 के अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की उम्र के बाद प्रवर्तन निदेशक के पद पर रहने वाले अधिकारियों का कोई भी सेवा विस्तार कम अवधि का होना चाहिए.
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया था कि संजय मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने 2021 के अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि सेवानिवृत्ति की आयु होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के पद पर रहने वाले अधिकारियों को दिया गया कार्यकाल का विस्तार छोटी अवधि के लिए होना चाहिए और उसने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि मिश्रा को सेवा में आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा. अदालत ने कहा, ‘‘क्या संगठन में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जो उनकी जिम्मेदारी निभा सके.
क्या कोई व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है कि उसके बिना काम ही नहीं हो सके?’’ न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने केंद्र की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘आपके हिसाब से, प्रवर्तन निदेशालय में कोई अन्य व्यक्ति योग्य नहीं है? एजेंसी का 2023 के बाद क्या होगा, जब वह सेवानिवृत्त होंगे?’’ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘मिश्रा का विस्तार प्रशासनिक कारणों से आवश्यक था.
और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के भारत के मूल्यांकन के लिए महत्वपूर्ण था.’  इस पर पीठ ने सवालों की झड़ी लगाते हुए पूछा, ‘क्या ईडी में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो उनका काम कर सके? क्या एक व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है? आप के मुताबिक ईडी में कोई और सक्षम व्यक्ति है ही नहीं? 2023 के बाद इस पद का क्या होगा जब मिश्रा सेवानिवृत्त हो जाएंगे?’तुषार मेहता ने कहा, ‘मनी लॉन्ड्रिंग पर भारत के कानून की अगली सहकर्मी समीक्षा 2023 में होनी है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत की रेटिंग नीचे नहीं जाए, प्रवर्तन निदेशालय में नेतृत्व की निरंतरता महत्वपूर्ण है. मिश्रा लगातार कार्यबल से बात कर रहे हैं और इस काम के लिए वह सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं.
कोई भी बेहद जरूरी नहीं है, लेकिन ऐसे मामलों में निरंतरता जरूरी है.’ मेहता ता ने एक बार फिर राजनेताओं की तरफ से एजेंसी के खिलाफ दायर याचिका पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ गंभीर मामले चल रहे हैं. ऐसे में इन लोगों के याचिका दाखिल करने पर मुझे आपत्ति है.’ मेहता ने कहा, ‘इनमें से कुछ के पास बेहिसाब दौलत है और वे इसका ब्योरा नहीं देते. एक मामले में तो नोट गिनने वाली मशीनें लानी पड़ी थीं.’ मेहता ने पूछा, ‘क्या अदालत ऐसे लोगों के इशारे पर दाखिल याचिकाओं को सुनेगा जो एजेंसियों पर दबाव डालने की मंशा रखते हैं. हालांकि पीठ ने मेहता की दलीलें स्वीकार नहीं की. अगली सुनवाई 8 मई को होगी.’
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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