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दुनिया के मात्र 20 फीसदी देशों में है यौन शिक्षा पर कानून

दुनिया के मात्र 20 फीसदी देशों में ही यौन शिक्षा को लेकर जागरूक करने का कानून है जबकि 39 फीसदी देशों के पास इसे लेकर राष्ट्रीय नीति है।

नई दिल्ली, 06 मार्च  2023 (यूटीएन)। दुनिया के मात्र 20 फीसदी देशों में ही यौन शिक्षा को लेकर जागरूक करने का कानून है जबकि 39 फीसदी देशों के पास इसे लेकर राष्ट्रीय नीति है। यह जानकारी यूनेस्को ने अपनी वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट में दी है। इसमें कहा गया है कि प्राथमिक शिक्षा में यौन शिक्षा 68 प्रतिशत देशों में और माध्यमिक शिक्षा में 76 फीसदी देशों में अनिवार्य है। 10 में से छह से अधिक देशों में यौन और घरेलू दुर्व्यवहार तथा लैंगिक हिंसा जैसे विषय शामिल हैं। दो तिहाई देशों में गर्भनिरोधक मुद्दे को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। विस्तृत कामुकता शिक्षा (सीएसई) कामुकता के ज्ञान, भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक पहलुओं के बारे में पढ़ाने और सीखने की एक पाठ्यक्रम आधारित प्रक्रिया है। इसका मकसद बच्चों और युवाओं को ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और मूल्यों से सुसज्जित करना है जो उन्हें अपने स्वास्थ्य, कल्याण और सम्मान का अहसास कराने के लिए सशक्त बनाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कामुकता मानव जीवन का अभिन्न अंग है। हालांकि यदि रिश्तों और सेक्स के बारे में युवाओं को सही वैज्ञानिक ज्ञान के साथ ठीक से विकसित नहीं किया जाता है तो भ्रमित करने वाली जानकारी और परस्पर विरोधी संदेश बचपन से वयस्कता में परिवर्तन को कठिन बना सकते हैं।
*विश्वसनीय जानकारी मांग रहे युवा*
रिपोर्ट में कहा गया है कि युवा तेजी से विश्वसनीय जानकारी की मांग कर रहे हैं। सीखने की प्रक्रिया में प्रभावी ढंग से युवाओं को शामिल करने और उनकी जरूरतों की पूरी शृंखला का जवाब देने के लिए एक संतुलित और व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत है। रिपोर्ट में 50 देशों के प्रोफाइल मैपिंग से पता चलता है कि कई देश अपनी शिक्षा योजनाओं या विजन में यौन शिक्षा के महत्व को समझते हैं लेकिन उनके विधायी और नीतिगत ढांचे में अंतर बना हुआ है।
*95 फीसदी देश देते हैं एचआईवी के  बारे में जानकारी*
95 फीसदी देश शिक्षा कार्यक्रम में मुख्य रूप से एचआईवी और अन्य एसटीआई से संबंधित मुद्दों को शामिल करते हैं। केवल 17 प्रतिशत देश यौन दिशानिर्देश, लिंग पहचान और लिंग अभिव्यक्ति के मुद्दों को शामिल करते हैं। जीव विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान, शरीर जागरूकता, गर्भावस्था और जन्म से संबंधित मुद्दे भी आम तौर पर कवर किए जाते हैं। इसके अलावा तीन चार देशों में मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों को शामिल किया जाता है। तीन में से दो से अधिक देशों में प्रेम, विवाह, साझेदारी और परिवार से संबंधित मुद्दों को कवर किया जाता है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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