नई दिल्ली, 11 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। दिल्ली में सीबीआई की टीम ने बच्चा चोरी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले में देश की राजधानी में कई जगहों पर छापेमारी की. इस दौरान दिल्ली के केशवपुरम इलाके में स्थित एक घर से तीन नवजात शिशुओं को बचाया गया है. इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक मानव तस्करी के इस काले धंधे में कई लोग शामिल हैं. नवजात बच्चों को काले बाजार में वस्तुओं के रूप में खरीदा और बेचा जा रहा था. सीबीआई फिलहाल इसमें शामिल सभी पक्षों से पूछताछ कर रही है, जिसमें बच्चों को बेचने वाली महिला और खुद खरीदने वाले दोनों शामिल हैं.
*दिल्ली में बच्चा चोर गिरोह का पर्दाफाश?*
सीबीआई ने दिल्ली में कई जगहों पर मानव तस्करी के खिलाफ ऑपरेशन चलाते हुए छापेमारी की. सीबीआई ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सात से आठ बच्चों की तस्करी में शामिल व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए लोगों में एक अस्पताल का वार्ड बॉय और कई अन्य महिलाएं शामिल हैं. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, पिछले महीने ही करीब 10 बच्चे बेचे गए हैं और कुल मिलाकर 7 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है.
*4-5 लाख में बेचा जा रहा था बच्चा?*
बताया जा रहा है कि अस्पताल से बच्चा चोरी कर उसे बेच दिया जाता था. दिल्ली में मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद सीबीआई जांच अब कई राज्यों तक पहुंच गई है, कई प्रमुख अस्पताल गहन जांच के दायरे में आ गए हैं. सूत्रों ने बताया कि नवजात बच्चों को 4 से 5 लाख रुपये तक की बड़ी रकम लेकर बेचा जा रहा था.
*फेसबुक-वॉट्सऐप पर दंपतियों से संपर्क करते थे आरोपी*
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान दिल्ली के पश्चिम विहार की इंदु पवार, पटेल नगर के असलम, कन्हैया नगर की पूजा कश्यप, मालवीय नगर की अंजलि, कविता और रितु और हरियाणा के सोनीपत के नीरज के रूप में की गई है।
सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों का गिरोह फेसबुक पेज और वॉट्सऐप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए बच्चे गोद लेने वाले निःसंतान दंपतियों से संपर्क करते थे। ये लोग एडॉप्शन का फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर कई दंपतियों से लाखों रुपए की ठगी भी कर चुके हैं।
सीबीआई के मुताबिक, आरोपी ब्लैक मार्केट में सामान की तरह बच्चों का सौदा करते थे। अकेले मार्च में लगभग 10 बच्चे बेचे गए। सर्च ऑपरेशन के दौरान 5.5 लाख कैश, कई दस्तावेज समेत आपत्तिजनक सामान बरामद किए हैं।
*जांच एजेंसी के रडार पर देश के कई बड़े अस्पताल*
सीबीआई ने सात गिरफ्तार किए गए आरोपियों के अलावा 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि शिशु तस्करों का एक नेटवर्क गोद लेने के साथ-साथ अन्य अवैध कामों के लिए भारत भर में बच्चों की खरीद-बिक्री में शामिल है। देश के कई बड़े अस्पताल जांच के दायरे में आ गए हैं। जांच एजेंसी कई राज्यों में मामले की जांच कर रही है।
*बच्चा तस्करी में आइवीएफ सेंटर्स का हाथ?*
बच्चा तस्करी के गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद सीबीआई इस मामले में अगला कदम उठाने जा रही है। इस मामले में सीबीआई की नजर अब आईवीएफ सेंटर्स पर हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) शनिवार को दिल्ली में बाल तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के संबंध में कुछ अस्पतालों के अलावा कुछ आईवीएफ क्लीनिकों की भूमिका की जांच कर रही है। एजेंसी की जांच से पता चला है कि गिरोह ने सरोगेट माताओं से बच्चे खरीदे। अब तक कम से कम दस तस्करी किए गए शिशुओं के रिकॉर्ड प्राप्त किए गए हैं। बताया जा रहा है कि गैंग के लोग गरीब माता-पिता के साथ ही सरोगेट मदर से बच्चों को दो से तीन लाख रुपये में खरीदते थे। इसके बाद इन बच्चों को 4 से 6 लाख रुपये में बेच देते थे।
*अस्पताल और क्लिनिक कर्मचारी की जांच*
एजेंसी की तरफ से कई अस्पताल और क्लिनिक कर्मचारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। रैकेट के कथित सरगनाओं में से एक, सोनीपत का नीरज एक अस्पताल में काम करता था। सूत्रों ने कहा कि वह आईवीएफ केंद्रों के लिए एक एजेंट के रूप में काम करता था। नीरज गर्भधारण करने में कठिनाइयों का सामना करने वाले जोड़ों के बारे में जानकारी के लिए कर्मचारियों के साथ संपर्क बनाए रखता था। कुछ मामलों में, उन्होंने संभावित टारगेट की पहचान करने के लिए आईवीएफ केंद्रों से संपर्कों का इस्तेमाल किया। संदिग्धों ने विभिन्न माध्यमों से बच्चे प्राप्त किए। बाद में उन्हें निःसंतान दंपत्तियों को बेच दिया। उन्होंने गोद लेने से संबंधित दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने के अलावा, डॉक्टरों की मदद से फर्जी जन्म प्रमाण पत्र भी बनाया।
*रोने की आवाज दबाने के लिए लाउड म्यूजिक*
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीबीआई ने आरती नाम की एक संदिग्ध का पता लगाने के लिए जयपुर में छापेमारी की। आरती ने कथित तौर पर एक नवजात शिशु की अदला-बदली में मदद की थी, जो सिर्फ एक दिन का था। गिरोह ने बच्चों को पहले ही खरीद लिया था। बाद में संभावित खरीदारों की तलाश की। बच्चों की देखभाल ऐसी महिलाओं द्वारा की जाती थी जिन्हें कथित तौर पर प्रति दिन 500-1,000 रुपये का भुगतान किया जाता था। इनमें से दो महिलाओं को शुक्रवार रात उत्तर पश्चिमी दिल्ली के केशवपुरम में छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था। मौके पर पूछताछ के दौरान, पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि किराए के मकान में रहने वाले लोग अक्सर बच्चों की रोने की आवाज को दबाने के लिए तेज आवाज में टीवी और म्यूजिक बजाते थे।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |