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चुनावों के बीच पीएम मोदी की भूटान यात्रा है खास? चीन को है सीधी वॉर्निंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान की यात्रा पर गए हैं।

नई दिल्ली, 23 मार्च 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान की यात्रा पर गए हैं। उनकी यह दो दिवसीय यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भारत में चुनावों की तारीख आ चुकी है। पीएम मोदी चुनाव प्रचार छोड़कर भूटान की यात्रा पर हैं, जिससे यह और भी महत्वपूर्ण हो गई है। भारत की पड़ोसी प्रथम की नीति का यह सीधा उदाहरण है। इसके अलावा पीएम मोदी की यह यात्रा तब हो रही है, जब चीन और भूटान अपनी सीमा से जुड़े मुद्दे सुलझाने में लगे हैं। यह यात्रा हिमालय में चीन की ग्रे जोन युद्ध पर एक बार फिर ध्यान केंद्रित करती है।
ग्रे जोन युद्ध टूलकिट में चीन दूसरे देशों को अपने दबाव में लाने के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल नहीं करता। चीन कानूनी, राजनीतिक, राजनयिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक उपायों के जरिए ऐसा करता है। भूटान की संप्रभुता को कमजोर करने के लिए चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है। 2017 में चीन ने सीमावर्ती इलाकों में गांव बसाने शुरू किए। भारतीय सीमा के करीब भी चीन गांव बसाता रहता है। चीन और भूटान के आकार में जमीन-आसमान का अंतर है। फिर भी चीन भूटान की संप्रभुता को कमजोर करने के लिए लंबे समय से कोशिश कर रहा है।
*भूटान के हिस्सों पर दावा करता है चीन*
भूटान और चीन के बीच विवाद के तीन क्षेत्र हैं। पूर्व में सकतेंग, उत्तर में बेयुल खेनपाजोंग और मेनचुमा घाटी और पश्चिम में डोकलाम, चरिथांग सिंचुलुंगपा, ड्रामाना और शाखाटो के कुछ हिस्से शामिल हैं। चीन उत्तर में अपने तथाकथित दावों में से 495 वर्ग किमी छोड़ने की पेशकश कर रहा है। लेकिन तब जब भूटान पश्चिम में 269 वर्ग किमी का क्षेत्र छोड़ देगा। चीन लंबे समय से उत्तर और पश्चिम के कुछ क्षेत्रों पर दावा करता रहा है, लेकिन पूर्वी भूटान में सकतेंग पर चीन का दावा हाल ही में आया है। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 तक सीमा वार्ता के 24 दौर की बातचीत में कभी भी चीन ने इसका मुद्दा नहीं उठाया था। जून 2020 में पहली बार सकतेंग को विवादित क्षेत्र घोषित किया गया।
*पीएम मोदी को मिला सर्वोच्च नागरिक सम्मान*
चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानदंडों और संधियों की लगातार उपेक्षा कर रहा है। चीन ग्रे जोन रणनीति के जरिए सैन्य टकराव से बचते हुए भी यथास्थिति को बदल रहा है। ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा चीन को एक बड़ा संदेश है। चीन को इससे साफ मैसेज जाता है कि भारत भूटान के साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूटान की अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा शुरू करते हुए शुक्रवार को भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात की। पीएम मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से सम्मानित किया गया।
*45 किलोमीटर लंबी सड़क को तिरेंगे से सजाया गया*
मोदी का पारो हवाई अड्डे पर पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया. हवाई अड्डे पर भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे ने उनकी अगवानी की. पारो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से थिम्पू तक के 45 किलोमीटर लंबे मार्ग को भारत और भूटान के झंडों से सजाया गया था और मार्ग के दोनों ओर खड़े भूटानी लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया. भूटान के प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर हिंदी में लिखा, ‘भूटान में आपका स्वागत है मेरे बड़े भाई.’ इससे पहले मोदी ने भूटान की अपनी यात्रा के बारे में ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया था. उन्होंने कहा, ‘भूटान के रास्ते में हूं, जहां मैं भारत-भूटान साझेदारी को और मजबूत करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लूंगा. मैं भूटान नरेश, भूटान के चौथे नरेश और प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे से मुलाकात करने के लिए उत्साहित हूं.’
*भूटान में पीएम मोदी का संबोधन*
पीएम मोदी ने कहा कि यह सम्मान मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। मैं इस महान भूमि में सभी भारतीयों की ओर से इस सम्मान को स्वीकार करता हूं। भूटान और दिए गए सम्मान का दिल से धन्यवाद करता हूं।
*भूटान के लक्ष्य को पूरा करने में भारत करेगा मदद*
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत और भूटान के युवाओं की आकांक्षाएं और लक्ष्य एक जैसे है। भारत ने 2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है, जबकि भूटान ने 2034 तक उच्च आय वाला देश बनने का लक्ष्य रखा है। भूटान के इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत हर कदम पर आपके साथ खड़ा है।
*दोनों देशों के बीच संबंध नई ऊंचाईयों पर*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और भूटान के बीच संबंध प्राचीन है, लेकिन आधुनिकता के दौरे में दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों पर हैं। जब मैं पहली बार 2014 में प्रधानमंत्री बना तो मेरी पहली विदेश यात्रा के रूप में भूटान जाना मेरे लिए स्वाभाविक था। 10 साल पहले भूटान द्वारा दी गए गर्मजोशी से स्वागत ने प्रधानमंत्री के रूप में मेरी कर्तव्य यात्रा की शुरुआत को यादगार बना दिया।
*भारत-भूटान एक साझा विरासत का हिस्सा*
थिम्पू में लोगों का अभिवादन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और भूटान एक साझा विरासत का हिस्सा हैं। भारत भगवान बुद्ध का जन्मस्थान है। यह वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त किया था। जबकि, भूटान वह स्थान है जिसने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाया और संरक्षित किया इसने वज्रयान बौद्ध धर्म की परंपरा को जीवित रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सहयोग करते हैं और एक-दूसरे की सफलताओं का जश्न मनाते हैं। जब भारत का मिशन चंद्रयान सफल हुआ, तो भूटान के लोग भी उतने ही खुश थे जितने भारत के लोग थे।
*सम्मान के लिए जयशंकर ने दी बधाई*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूटान का सर्वोच्च सम्मान दिए जाने पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पीएम मोदी को इस सम्मान के लिए हार्दिक बधाई। पीएम मोदी इस उच्च सम्मान से सम्मानित होने वाले पहले विदेशी नेता है। यह भारत और भूटान की दोस्ती को मजबूत करता है। दोनों देश संबंधों का जश्न मना रहा है।
 विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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