Wednesday, July 30, 2025

National

spot_img

जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए विपक्षी दलों ने दी मंजूरी

जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा या राज्यसभा में। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं जबकि राज्यसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए।

नई दिल्ली, 03 जुलाई 2025 (यूटीएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा को हटाने को लेकर प्रमुख विपक्षी दलों की भी सैद्धांतिक सहमति है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि प्रमुख विपक्षी दलों ने जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव का सैद्धांतिक रूप से समर्थन देने पर सहमति जता दी है और इस प्रस्ताव के लिए सांसदों के हस्ताक्षर जुटाने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है। उन्होंने कहा कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि।
जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा या राज्यसभा में। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं जबकि राज्यसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए। सरकार जब तय कर लेगी कि प्रस्ताव किस सदन में लाना है उसके बाद हस्ताक्षर जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह मामला न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से जुड़ा है इसलिए सरकार चाहती है कि इस पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति हो।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गठित तीन-जजों की समिति ने जस्टिस वर्मा को दोषी नहीं ठहराया बल्कि भविष्य की कार्रवाई के लिए सिफारिशें दी थीं क्योंकि किसी जस्टिस को हटाने का अधिकार सिर्फ संसद के पास है। 1968 के न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के अनुसार किसी भी सदन में किसी जस्टिस को हटाने का प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद संबंधित स्पीकर या चेयरमैन एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करते हैं जो हटाने के कारणों की जांच करती है। इसी साल मार्च में जब जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में जज थे।
उस दौरान उनके सरकारी आवास पर आग लगने की एक घटना के बाद वहां बने आउटहाउस से जले हुए नोटों से भरे कई बोरे मिले थे। हालांकि जस्टिस वर्मा ने इस नकदी से अनभिज्ञता जताई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनके मूल कोर्ट यानी इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया जहां उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है। संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा। पहले 12 अगस्त तक ही सत्र चलने का प्रस्ताव था। यह तारीख क्यों बढ़ाई गई इस सवाल पर रिजिजू ने कहा कि सरकार के पास काम करने के लिए काफी कुछ है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

International

spot_img

जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए विपक्षी दलों ने दी मंजूरी

जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा या राज्यसभा में। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं जबकि राज्यसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए।

नई दिल्ली, 03 जुलाई 2025 (यूटीएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा को हटाने को लेकर प्रमुख विपक्षी दलों की भी सैद्धांतिक सहमति है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि प्रमुख विपक्षी दलों ने जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव का सैद्धांतिक रूप से समर्थन देने पर सहमति जता दी है और इस प्रस्ताव के लिए सांसदों के हस्ताक्षर जुटाने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है। उन्होंने कहा कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि।
जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा या राज्यसभा में। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं जबकि राज्यसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए। सरकार जब तय कर लेगी कि प्रस्ताव किस सदन में लाना है उसके बाद हस्ताक्षर जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह मामला न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से जुड़ा है इसलिए सरकार चाहती है कि इस पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति हो।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गठित तीन-जजों की समिति ने जस्टिस वर्मा को दोषी नहीं ठहराया बल्कि भविष्य की कार्रवाई के लिए सिफारिशें दी थीं क्योंकि किसी जस्टिस को हटाने का अधिकार सिर्फ संसद के पास है। 1968 के न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के अनुसार किसी भी सदन में किसी जस्टिस को हटाने का प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद संबंधित स्पीकर या चेयरमैन एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करते हैं जो हटाने के कारणों की जांच करती है। इसी साल मार्च में जब जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में जज थे।
उस दौरान उनके सरकारी आवास पर आग लगने की एक घटना के बाद वहां बने आउटहाउस से जले हुए नोटों से भरे कई बोरे मिले थे। हालांकि जस्टिस वर्मा ने इस नकदी से अनभिज्ञता जताई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनके मूल कोर्ट यानी इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया जहां उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है। संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा। पहले 12 अगस्त तक ही सत्र चलने का प्रस्ताव था। यह तारीख क्यों बढ़ाई गई इस सवाल पर रिजिजू ने कहा कि सरकार के पास काम करने के लिए काफी कुछ है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

National

spot_img

International

spot_img
RELATED ARTICLES