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बाबा रामदेव को फिर ‘सुप्रीम’ झटका, अब योग शिविर के लिए चुकाना होगा सर्विस टैक्स

सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने अपने फैसले में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को आवासीय और गैर-आवासीय दोनों योग शिविरों के आयोजन के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान अनिवार्य बताया था. 

नई दिल्ली, 24 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। योग गुरु स्वामी रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से फिर झटका लगा है. अब उनके योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आ गए हैं. स्वामी रामदेव के योग शिविरों का आयोजन करने वाली संस्था ‘पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट’ अब सर्विस टैक्स यानी सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एम ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस सिलसिले में सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है. सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने अपने फैसले में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को आवासीय और गैर-आवासीय दोनों योग शिविरों के आयोजन के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान अनिवार्य बताया था.
बता दें कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट स्वामी रामदेव के योग शिविरों के लिए प्रवेश शुल्क लेती है. जस्टिस ओक और जस्टिस भुइयां की पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने सही कहा है. प्रवेश शुल्क लेने के बाद तो शिविरों में योग एक सेवा (सर्विस) है. हमें ट्राइब्यूनल के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. लिहाजा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की अपील खारिज की जाती है.’ इसी के साथ अदालत ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्राइब्यूनल की इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर, 2023 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
*हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस’ की श्रेणी में आता है योग शिविर*
दरअसल सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्राइब्यूनल ने माना था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की ओर से आयोजित योग शिविर किसी भी व्यक्ति से भागीदारी के लिए शुल्क लेता है. यह , इसलिए ट्रस्ट द्वारा आयोजित योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आने चाहिए. ट्राइब्यूनल ने कहा था कि ट्रस्ट विभिन्न आवासीय और गैर-आवासीय शिविरों में योग प्रशिक्षण प्रदान करने में लगा हुआ है. इसके लिए भागीदारों से दान के रूप में राशि एकत्र की जाती है, लेकिन असल में यह उक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रवेश शुल्क होता है.
*पतंजलि को चुकाना होगा 4.5 करोड़ रुपये का सर्विस टैक्स*
सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ रेंज के आयुक्त ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट से जुर्माना और ब्याज समेत अक्टूबर 2006 से मार्च 2011 के दौरान लगाए गए ऐसे शिविरों के लिए लगभग 4.5 करोड़ रुपये अदा करने को कहा था. ट्रस्ट ने दलील दी थी कि वह ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है, जो बीमारियों के इलाज के लिए है और यह ‘हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस’ कैटेगरी के तहत टैक्स योग्य नहीं है. लेकिन ट्राइब्यूनल ने कहा कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट का यह दावा किसी भी सकारात्मक सबूत द्वारा समर्थित नहीं है कि वह व्यक्ति को होने वाली विशिष्ट बीमारियों के लिए उपचार प्रदान कर रहा है. सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्राइब्यूनल ने कहा था, ‘इन शिविरों में योग और मेडिटेशन की शिक्षा किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरी सभा को एक साथ दी जाती है.
किसी भी व्यक्ति की विशिष्ट बीमारी/शिकायत के लिखित, निदान और उपचार के लिए कोई नुस्खे नहीं बनाए जाते हैं. ट्रस्ट ने शिविर में प्रवेश शुल्क दान के रूप में एकत्र किया. उन्होंने विभिन्न मूल्यवर्ग के प्रवेश टिकट जारी किए थे. टिकट धारक को टिकट के मूल्य के आधार पर अलग-अलग विशेषाधिकार दिए गए थे. पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट द्वारा आयोजित योग शिविर- जो शुल्क लेता है- स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा की श्रेणी में आता है और ऐसी सर्विस पर सेवा कर लगता है.
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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