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अयोध्या नगरी सनातन धर्म सहित जैन बौद्ध व सिक्ख धर्मानुयायियों के लिए भी श्रद्धा का केंद्र

रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के बाद आने वाले विदेशी राष्ट्राध्यक्षों की पहली पसंद होगी अयोध्या

बडौत, 06 मार्च 2024 (यूटीएन)। अयोध्या मंदिर में भगवान् राम की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व प्रकाशित हुई “राम जन्मभूमि अयोध्या- पास्ट टू प्रजेंट” पुस्तक के लेखक, नगर बड़ौत निवासी इतिहासकार डॉ अमित राय जैन की पुस्तक पर संस्कृति मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित रामोत्सव अयोध्या कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालुओं के बीच चर्चा हुई। करीब डेढ़ घंटा प्रस्तुत पुस्तक पर वार्ताकार वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश सिंह ने वार्ता करते हुए इतिहासकार डॉ अमित राय जैन को अयोध्या के इतिहास, पुरातत्व, राम जन्मभूमि आंदोलन तथा अयोध्या के भविष्य की संभावनाओं पर गहन चर्चा की।
अयोध्या नगर के मध्य में आयोजित उक्त कार्यक्रम में इतिहासकार डॉ अमित राय जैन का अभिनंदन रामनामी चादर, अंग वस्त्र, राम मंदिर का एक विशेष स्मृति चिन्ह तथा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र देते हुए किया गया।
अयोध्या से लौटे इतिहासकार जैन ने बताया कि, उक्त कार्यक्रम राम जन्मभूमि अयोध्या मंदिर में विराजित रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रमों के परिपेक्ष्य में आयोजित सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसमें संपूर्ण देश भर से प्रख्यात लेखक विचारक रंगकर्मी तथा सांस्कृतिक महत्व के वरिष्ठ संस्कृति प्रेमियों को आमंत्रित किया जा रहा है। आगामी 24 तारीख तक इन कार्यक्रमों का समापन हो जाएगा। पुस्तक पर परिचर्चा करते हुए अमित राय जैन ने अयोध्या में कहा कि।
प्रभु श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या एक शाश्वत तीर्थ नगरी है जो कि भारतवर्ष के सभी धर्म के श्रद्धालुओं के लिए समान रूप से श्रद्धा का केंद्र है। सनातन धर्म हो, चाहे जैन बौद्ध सिख धर्म के लोग हो ,किसी न किसी प्रकार से सभी धर्म का जुड़ाव अयोध्या नगरी से है। जहां अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ, वहां पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव सहित अन्य पांच तीर्थंकरों का भी जन्म हुआ, इसी के साथ गुरु नानक देव का अयोध्या आगमन एवं भगवान बुद्ध का अयोध्या में चातुर्मास इत्यादि ऐसे अनेकों घटनाएं इतिहास में दर्ज है, जिसके कारण अयोध्या संपूर्ण भारतवर्ष के धार्मिक जगत से संबंध रखने वाले लोगों के लिए समान रूप से श्रद्धा की पात्र है। कहा कि, अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन की परिणति के रूप में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति विराजमान होने के बाद जो प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ है।
उसमें संपूर्ण विश्व के सामने भगवान राम के प्रति अत्यंत आधार एवं सम्मान का भाव पैदा कर दिया है। यह एक ऐतिहासिक प्रसंग और घटना है। परिचर्चा के वार्ताकार ओमप्रकाश सिंह ने जब अमित राय जैन से पूछा कि वह अयोध्या के भविष्य की संभावनाओं के मध्य नजर क्या कहना चाहेंगे, तो उन्होंने कहा कि, आने वाला समय बताएगा कि अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिष्ठा के बाद कितना बदलाव आया है, जो कि दिख भी रहा है, लेकिन भविष्य में एक संभावना तो प्रबलतम है कि, संपूर्ण विश्व से आने वाले राष्ट्र अध्यक्ष सबसे पहले अगर कहीं जाना चाहेंगे, तो वह अयोध्या धाम ही होगा। कहा कि, अयोध्या जनपद और आसपास के सभी जनपदों का जो चहुंमुखी विकास, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हो रहा है, वह एक महत्वपूर्ण मॉडल है जो अन्य सभी राज्यों के लिए भी प्रेरणा का काम करेगा।
स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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