दोघट, 26 मार्च 2023 (यूटीएन)। महर्षि दयानंद
सरस्वती के 200 वें जन्म वर्ष तथा आर्य समाज निरपुडा के 77 वें वार्षिकोत्सव एवं चतुर्वेद शतक पारायण यज्ञ आज समारोह पूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य प्रमोद शास्त्री व वेदपाठ कन्या गुरुकुल दबथला की ब्रह्मचारिणियों द्वारा वेद मंत्रोच्चार से किया गया। यजमान के रूप में सपत्नीक डॉ इकबाल सिंह राणा पूर्व डायरेक्टर रहे। समारोह में गजेंद्र सिंह राणा प्रधान जिला आर्य उप
प्रतिनिधि सभा मुजफ्फरनगर ने योग पर प्रकाश डालते हुए बताया कि, योग एक महत्वपूर्ण क्रिया है |
जो न सिर्फ हमें एक स्वस्थ, सुंदर और आर्कषक शरीर प्रदान करता है, बल्कि हमें तमाम तरह के रोगों से भी दूर करता है। योग हमारी
भारतीय संस्कृति का भी एक प्रमुख हिस्सा है। योग की महत्ता को बड़े-बड़े विद्धान और योग गुरुओं ने बताया है। यह मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक तीनों रुप से काफी महत्वपूर्ण है। मनुष्य को एक स्वस्थ और सुखी जीवन प्रदान करने में योग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए हम सभी को योग के महत्व को समझना चाहिए और अपने दैनिक जीवन में इसे शामिल करना चाहिए।
मुख्य वक्ता डॉ धीरज आर्य ने बताया कि, यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्राण तथा वैदिक धर्म का सार है। यज्ञ के द्वारा मानव जीवन के लिए प्रेरणा दी गई है।
यज्ञ ही संसार में
श्रेष्ठतम कर्म है और संसार का श्रेष्ठतम कर्म भी यज्ञ ही है। उन्होंने कहा कि, यज्ञ को केवल भौतिक कर्मकांड न समझा जाएं अपितु इसको आध्यात्मिक रूप से समझकर इसका आध्यात्मिक अनुष्ठान आवश्यक है। वस्तुत: यज्ञ एक आंतरिक प्रक्रिया है, बाह्य यज्ञ उसी का प्रतीक है। कहा कि, भौतिक दृष्टि से यज्ञ का महत्व अत्यधिक है। आर्य समाज के मंत्री हरपाल सिंह आर्य ने अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया।
प्रधानाचार्य रुकुमपाल यादव, सुबोध राणा, एड प्रियव्रत राणा, योगेंद्रपाल आर्य, जसवीर सिंह राणा, ब्रजपाल आर्य, संजय राणा, मांगेराम आर्य, रालोद महिला विंग की जिलाध्यक्षा रेनू तोमर, एड देवपाल राणा, मा हरवीर सिंह आदि मौजूद रहे |
स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |