नई दिल्ली, 24 जून 2025 (यूटीएन)। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि परियोजनाओं के लिए धन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने नौकरशाही में लचीलेपन की कमी और अनोखे विचारों को पूरी तरह से नकारने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नौकशाह लीक से हटकर नहीं सोचते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व नौकरशाह विजय केलकर ने लचीला रुख अपनाया और वे इस मानसिकता के अपवाद थे।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यहां पूर्व नौकरशाह केलकर को पुण्यभूषण पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘हमारे पास धन की कमी नहीं है। मैं हमेशा 1 लाख करोड़, 50,000 करोड़, 2 लाख करोड़ की परियोजनाओं की बात करता हूं। आम तौर पर पत्रकार बड़ी घोषणाओं के मामले में राजनेताओं पर भरोसा नहीं करते। मैं उनसे कहता हूं कि मैं जो कहता हूं उसे रिकॉर्ड करें और अगर काम पूरा नहीं होता है तो ब्रेकिंग न्यूज चलाएं।’
*लीक से हटकर विचार करने पर मना कर देते हैं नौकरशाह*
गडकरी ने यह भी कहा कि असली चिंता धन की कमी नहीं, बल्कि काम की धीमी गति को लेकर है। उन्होंने नौकरशाही की तुलना मवेशियों से करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जब मवेशी चरने जाते हैं, तो वे एक ही लाइन में चलते हैं। वे इतने अनुशासित होते हैं कि कभी भी क्रम नहीं तोड़ते। मुझे कभी-कभी नौकरशाही के साथ भी ऐसा ही महसूस होता है। यह लीक से हटकर विचार करने के लिए पूरी तरह से मना कर देते हैं। लेकिन विजय केलकर ने नीति निर्माण में लचीलेपन को स्वीकार किया।
*वित्त आयोग के अध्यक्ष रहने के दौरान केलकर से हुई थी मुलाकात*
नितिन गडकरी ने अपने संबोधन के दौरान एक पुरानी घटना को याद किया। उन्होंने बताया कि केलकर से उनकी मुलाकात वित्त आयोग के अध्यक्ष रहने के दौरान हुई थी। तब उन्होंने बताया था कि 3.85 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 406 परियोजनाएं रुकी हुई हैं। इससे बैकों के पास तीन लाख करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित संपत्ति होने का खतरा है। गडकरी ने कहा कि केलकर ने मुझसे इसका कारण पूछा। मैंने उनसे कहा कि इसका एकमात्र कारण नौकरशाह हैं।
*बैंकों को तीन लाख करोड़ के एनपीए से बचाया*
गडकरी ने आगे कहा कि हमने कुछ परियोजनाएं बंद कीं और कुछ को सुधार कर समस्या का समाधान किया। जिसके बाद परियोजनाएं फिर से शुरू हुईं और बैंको को तीन लाख करोड़ रुपये के एनपीए से बचाया गया। उन्होंने कहा कि केलकर ने हर विभाग में बेहतरीन काम किया, लेकिन वित्त सचिव के रूप में उन्होंने जो नीतियां बनाईं, उनका भारत के भविष्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा।
*2009 में केलकर ने जीएसटी लाने की कोशिश की थी*
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यह भी बताया कि जब 2009 में प्रणब मुखर्जी केंद्रीय वित्त मंत्री थे, तब विजय केलकर ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए जीएसटी पर आम सहमति बनाने की कोशिश की थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा करना होगा, क्योंकि यह देश हित में हैं। कार्यक्रम में बोलते हुए केलकर ने कहा कि राजनेता ही सामाजिक और आर्थिक सुधारों को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि वे वास्तविक नीति उद्यमी हैं क्योंकि वे निर्णय लेने वाले हैं।’
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।