Monday, June 30, 2025

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ओबीसी महिला अभ्यर्थियों ने यूपी पुलिस सिपाही भर्ती 2018 में न्याय की मांग को लेकर उठाई आवाज

उत्तर प्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती 2018 के 49,568 पदों में चयनित अन्य पिछड़ा वर्ग महिला अभ्यर्थियों ने जयंत चौधरी के समक्ष गुहार लगाई।

खेकड़ा, 18 जून 2025 (यूटीएन)। उत्तर प्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती 2018 के 49,568 पदों में चयनित अन्य पिछड़ा वर्ग महिला अभ्यर्थियों ने जयंत चौधरी के समक्ष गुहार लगाई। उन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय भट्ट के नाम जयंत चौधरी को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई है। आरोप लगाया कि, भर्ती प्रक्रिया में कटऑफ अंक में भारी अंतर और न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है।

जिससे उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। ओबीसी महिला अभ्यर्थियों ने बताया कि सामान्य महिला वर्ग की कटऑफ 42.584 अंक थी, जबकि ओबीसी महिला वर्ग की कटऑफ 167.3889 अंक रही, जो सामान्य वर्ग की तुलना में 300% अधिक है। इस भेदभाव पर उच्च न्यायालय द्वारा भी कई बार टिप्पणी की गई और समानता के सिद्धांत के तहत नियुक्ति दिए जाने के निर्देश दिए गए, लेकिन अब तक इन पर अमल नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक के आदेश भी अनदेखे अभ्यर्थियों ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि, सरकार ने जानबूझकर नियुक्ति प्रक्रिया को लटकाए रखा है। आरटीआई और विभिन्न याचिकाओं के बावजूद उनके नाम को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फाइनल मेरिट लिस्ट में शामिल नहीं किया गया, जिससे उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से गहरा आघात पहुंचा है। जयंत चौधरी ने न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।

स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

International

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ओबीसी महिला अभ्यर्थियों ने यूपी पुलिस सिपाही भर्ती 2018 में न्याय की मांग को लेकर उठाई आवाज

उत्तर प्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती 2018 के 49,568 पदों में चयनित अन्य पिछड़ा वर्ग महिला अभ्यर्थियों ने जयंत चौधरी के समक्ष गुहार लगाई।

खेकड़ा, 18 जून 2025 (यूटीएन)। उत्तर प्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती 2018 के 49,568 पदों में चयनित अन्य पिछड़ा वर्ग महिला अभ्यर्थियों ने जयंत चौधरी के समक्ष गुहार लगाई। उन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय भट्ट के नाम जयंत चौधरी को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई है। आरोप लगाया कि, भर्ती प्रक्रिया में कटऑफ अंक में भारी अंतर और न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है।

जिससे उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। ओबीसी महिला अभ्यर्थियों ने बताया कि सामान्य महिला वर्ग की कटऑफ 42.584 अंक थी, जबकि ओबीसी महिला वर्ग की कटऑफ 167.3889 अंक रही, जो सामान्य वर्ग की तुलना में 300% अधिक है। इस भेदभाव पर उच्च न्यायालय द्वारा भी कई बार टिप्पणी की गई और समानता के सिद्धांत के तहत नियुक्ति दिए जाने के निर्देश दिए गए, लेकिन अब तक इन पर अमल नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक के आदेश भी अनदेखे अभ्यर्थियों ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि, सरकार ने जानबूझकर नियुक्ति प्रक्रिया को लटकाए रखा है। आरटीआई और विभिन्न याचिकाओं के बावजूद उनके नाम को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फाइनल मेरिट लिस्ट में शामिल नहीं किया गया, जिससे उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से गहरा आघात पहुंचा है। जयंत चौधरी ने न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।

स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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