नई दिल्ली, 06 जून 2025 (यूटीएन)। भारतीय रेल के पर्यावरणीय स्थायित्व को लेकर निरंतर प्रतिबद्ध है। वर्ष 2025-26 के लिए 750 करोड़ रुपए की समग्र योजना पर काम चल रहा है। इसके तहत अब तक 98 फीसदी ब्रॉड गेज मार्गों का विद्युतीकरण किया जा चुका है। 3512 स्टेशनों एवं सेवा भवनों पर सौर रूफटॉप की स्थापना के माध्यम से लगभग 227 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता सृजित की गई है। सभी रेलवे स्टेशनों, कार्यालयों और आवासीय परिसरों में 100 फीसदी एलईडी लाइट्स की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेनों के विकास, 2014 से अब तक 9.7 करोड़ पौधारोपण, और यात्री कोचों में 100 फीसदी बायो-टॉयलेट्स की स्थापना जैसे कदमों के ज़रिए रेलवे ने पर्यावरण की दिशा में ठोस पहल की है।
*प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति के लिए अभियान*
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विशेष आयोजन करते हुए 22 मई से गुरुवार तक पंद्रह दिवसीय विशेष अभियान चलाया। इस वर्ष की थीम “प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें” के अंतर्गत भारतीय रेल के सभी ज़ोन, मंडल, स्टेशन और कार्यालयों में जन-जागरूकता की विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गईं। इस अभियान में रेलवे कर्मचारियों, यात्रियों, आम नागरिकों और अन्य साझेदारों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रमों की श्रृंखला में प्लास्टिक कचरे का आकलन, कचरे को अलग-अलग प्रकारों में छांटना, प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीनों की स्थिति की समीक्षा, स्वच्छता एवं जल संरक्षण के प्रयास, तथा प्लास्टिक उपयोग में कमी के लिए जागरूकता प्रसार जैसे कदम शामिल थे।
पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
रेलवे के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर दिलीप कुमार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के तहत प्लास्टिक उपयोग में बदलाव, स्वच्छता और ऊर्जा बचत जैसे विषयों पर ज़ोर दिया गया। रेलवे बोर्ड में यह संकल्प सदस्य (ट्रैक्शन एवं रोलिंग स्टॉक) की ओर से दिलाया गया, जिसमें अन्य बोर्ड सदस्य और ज़ोनल रेलवे के महाप्रबंधक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। इस अवसर पर रेलवे की वार्षिक पर्यावरण सततता रिपोर्ट भी जारी की गई।
पूरे अभियान में लगभग 150 टन प्लास्टिक कचरे का सुरक्षित निपटान किया गया, 1230 से अधिक स्टेशनों पर पोस्टर व डिजिटल माध्यमों से जागरूकता फैलाई गई, 740 से अधिक कार्यशालाएं आयोजित की गईं, 1200 स्टेशनों पर स्वच्छता अभियान चलाया गया। 180 से अधिक प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीनों की कार्यप्रणाली की समीक्षा की गई और 230 नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर जन-जागरूकता को बल मिला।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।