Sunday, June 29, 2025

National

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मोदी के 11 साल नज़रिया बदला, भारत को देखने का तरीका भी, आलोचना भी हुई तो समर्थन भी… लेकिन भारत बढ़ता रहा

साल 2014 में शुरू की गई जन धन योजना ने भी वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इससे 50 करोड़ से ज़्यादा बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में शामिल किया.

नई दिल्ली, 26 मई 2025 (यूटीएन)। आज जब पीएम मोदी गुजरात में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं, तो यह सिर्फ एक नेता का कार्यक्रम नहीं, बल्कि उस यात्रा की प्रतीक है जो 11 साल पहले दिल्ली से शुरू हुई थी और आज वैश्विक मंच तक जा पहुंची है. इन 11 सालों में नीतियां बदलीं, नज़रिया बदला और शायद भारत को देखने का तरीका भी.
इस एक दशक में क्या कुछ नहीं बदला? चेहरे पर पहले भी आत्मविश्वास था, आज भी है… लेकिन आज वो आत्मविश्वास अनुभव और अंतरराष्ट्रीय पहचान से भी जुड़ा है.
*11साल में पीएम मोदी की वे प्रमुख उपलब्धियां जो भारत के भविष्य का मील का पत्थर बनेंगी*
*जनधन योजना:* 2014 में शुरू की गई यह योजना देश के करोड़ों गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने का माध्यम बनी. पहली बार बड़ी आबादी को सीधे बैंक खाते, बीमा और आर्थिक समावेशन का लाभ मिला.
*स्वच्छ भारत मिशन:*
गांधी के स्वप्न को साकार करने के लिए पीएम मोदी ने स्वच्छता को आंदोलन बनाया. 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने और खुले में शौच की दर में भारी गिरावट आई.
*जीएसटी लागू करना:*
विभिन्न करों को खत्म कर पूरे देश को “एक राष्ट्र, एक कर” की नीति से जोड़ा गया. इससे व्यापारिक प्रक्रिया आसान हुई और टैक्स सिस्टम पारदर्शी बना.
*आयुष्मान भारत योजना:*
गरीबों को 5 लाख रुपये तक का हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना बनी. करोड़ों लोगों को अस्पताल में इलाज मुफ्त मिला.
*डिजिटल इंडिया:*
मोदी सरकार ने तकनीक को जन-जन तक पहुंचाया. यूपीआई, डिजिलॉकर, डिजिटल भुगतान जैसे प्लेटफॉर्म आम नागरिक की जिंदगी का हिस्सा बने. साल 2014 में भारत मुख्य रूप से नकदी आधारित अर्थव्यवस्था थी, जिसमें डिजिटल लेन-देन की भूमिका बहुत कम थी. हालांकि, साल 2015 में शुरू किए गए सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान ने कई नजरिए को बदल दिया. साल 2016 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस की शुरुआत ने डिजिटल भुगतान को सहज और आम लोगों के लिए काफी आसान बना दिया. गूगल पे, फोन पे और पेटीएम जैसे प्लेटफॉर्म घर-घर में मशहूर हो गए, जिससे रोज़मर्रा के लेन-देन में क्रांति आ गई.

साल 2014 में यूपीआई लेन-देन न के बराबर थे. साल 2014 में शुरू की गई जन धन योजना ने भी वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इससे 50 करोड़ से ज़्यादा बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में शामिल किया. आज भारत डिजिटल वित्तीय समावेशन में अग्रणी के रूप में खड़ा है, जहां छोटे विक्रेता भी क्यूआर कोड के ज़रिए पेमेंट स्वीकार कर रहे हैं.

*इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी:*
एक्सप्रेसवे, रेलवे, एयरपोर्ट और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में बुनियादी ढांचे को विस्तार मिला. भारत में हर दिन औसतन 37 किलोमीटर हाईवे बनने लगे. 2014 में नौकरशाही बाधाओं और फंडिंग के मुद्दों के कारण सड़क और राजमार्ग निर्माण में देरी हुई. अगले दशक में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया. 2014 में राजमार्गों का निर्माण 4,000 किलोमीटर हर साल से बढ़कर 2025 तक लगभग 12,000 किलोमीटर प्रति वर्ष हो गया, जिससे कनेक्टिविटी में काफी सुधार हुआ.
भारतमाला और सागरमाला परियोजनाओं के शुभारंभ ने सड़क और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया, जिससे रसद दक्षता में बढ़त हुई. 2016 में शुरू की गई उड़ान योजना ने 100 नए हवाई अड्डों की स्थापना करके क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार किया, जिससे छोटे शहरों में हवाई यात्रा आसानी से उपलब्ध हो गई. भारत की पहली सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन, वंदे भारत ट्रेनों की शुरूआत ने यात्रा को आरामदायक बनाया और यात्रा के समय को कम किया.
*अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान:*
नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति को नया आयाम दिया. संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका, जापान और संयुक्त अरब अमीरात तक भारत की वैश्विक छवि को मजबूत किया.साल 2014 में भारत का वैश्विक प्रभाव सीमित था, लेकिन मोदी की सक्रिय कूटनीति ने देश की स्थिति को बढ़ाया. एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फर्स्ट जैसी पहलों के जरिए भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई और दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया. अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों और रणनीतिक साझेदारी पर सरकार के फोकस ने भारत को दुनिया के कई मंचों पर एक अहम खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है.
2023 में जी20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी ने वैश्विक आर्थिक फैसले लेने में भारत के बढ़ते नेतृत्व को प्रदर्शित किया. 2015 में भारत ने सह-स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन ने अक्षय ऊर्जा पर वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया.
*आत्मनिर्भर भारत अभियान:*
कोविड-19 के बाद आत्मनिर्भरता को विकास का मंत्र बनाया गया. लोकल मैन्युफैक्चरिंग और एमएसएमई को प्रोत्साहन मिला.
*अनुच्छेद 370 हटाना:*
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर मोदी सरकार ने एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया, जिसे दशकों से लंबित माना जा रहा था.
*राम मंदिर निर्माण:*
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को पीएम मोदी ने नेतृत्व देकर शांतिपूर्ण और गरिमामय रूप दिया.
*नारी शक्ति और कानून:* तीन तलाक कानून, महिलाओं के लिए सैन्य सेवा में प्रवेश और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों से महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी.
*रक्षा और सुरक्षा*
साल 2014 में भारत अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रक्षा आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर था. पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया है. ‘मेक इन इंडिया’ पहल के जरिए इससे देश ने स्वदेशी रक्षा उपकरणों का निर्माण शुरू किया, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम हुई.
भारत का रक्षा निर्यात जो 2014 में लगभग 2,000 करोड़ रुपये था, 2025 तक 20,000 करोड़ रुपये को पार करने का अनुमान है. तेजस लड़ाकू विमान, ब्रह्मोस मिसाइल और पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे स्वदेशी उत्पाद अब इंडोनेशिया, फिलीपींस और आर्मेनिया जैसे देशों को निर्यात किए जा रहे हैं. साल 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना ने चार साल के अनुबंध पर युवा सैनिकों की भर्ती करके सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण किया, जिससे भारत की सेना की ताकत और दक्षता में सुधार हुआ.
*शिक्षा और कौशल विकास*
साल 2014 में भारत की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए आधुनिकीकरण की आवश्यकता थी. साल 2020 में शुरू की गई नई शिक्षा नीति (एनईपी) ने 10+2 प्रणाली को 5+3+3+4 संरचना के साथ बदलकर एक महत्वपूर्ण सुधार को देश के सामने रखा. इसमें कौशेल विकास और बहु-विषयक शिक्षा पर जोर दिया गया.
साल 2025 तक सरकार का लक्ष्य 500 कौशल भारत केंद्र स्थापित करना है, जो एआई, रोबोटिक्स और डेटा विज्ञान जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. इससे युवाओं की रोजगार क्षमता में सुधार होता है. इसके अलावा पीएम ईविद्या और स्वयं जैसी पहलों ने ऑनलाइन शिक्षा को लोगो के लिए आसान बनाया. खासकर, महामारी के दौरान इससे पूरे देश में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा मिला है.
*विदेश नीति*
साल 2014 में भारत का वैश्विक प्रभाव सीमित था, लेकिन मोदी की सक्रिय कूटनीति ने देश की स्थिति को बढ़ाया. एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फर्स्ट जैसी पहलों के जरिए भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई और दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया. अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों और रणनीतिक साझेदारी पर सरकार के फोकस ने भारत को दुनिया के कई मंचों पर एक अहम खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है.
*आर्थिक विकास*
जब नरेंद्र मोदी ने 2014 में कार्यभार संभाला था, तब भारत की अर्थव्यवस्था का विकास काफी सुस्त था और ये ज्यादा मुद्रास्फीति से भी जूझ रही थी. उस समय देश की जीडीपी विकास दर 6.4 प्रतिशत के आसपास थी, जबकि मुद्रास्फीति 8 प्रतिशत से ज्यादा थी. इसका असर घरेलू खर्चों पर पड़ रहा था. पिछले कुछ सालों में सरकार के आर्थिक सुधारों, जिसमें माल और सेवा कर (जीएसटी), दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) शामिल हैं. इन सब वजहों ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद की.2014 में जो जीडीपी लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर थी वो 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर सकती है. देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना पीएम मोदी के प्रमुख वादों में से एक को पूरा करता है. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी की गई अहम पहलों ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया है. इस वजह से भारत ज्यादा आत्मनिर्भर बन गया है और आयात पर निर्भरता कम हुई है.
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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मोदी के 11 साल नज़रिया बदला, भारत को देखने का तरीका भी, आलोचना भी हुई तो समर्थन भी… लेकिन भारत बढ़ता रहा

साल 2014 में शुरू की गई जन धन योजना ने भी वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इससे 50 करोड़ से ज़्यादा बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में शामिल किया.

नई दिल्ली, 26 मई 2025 (यूटीएन)। आज जब पीएम मोदी गुजरात में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं, तो यह सिर्फ एक नेता का कार्यक्रम नहीं, बल्कि उस यात्रा की प्रतीक है जो 11 साल पहले दिल्ली से शुरू हुई थी और आज वैश्विक मंच तक जा पहुंची है. इन 11 सालों में नीतियां बदलीं, नज़रिया बदला और शायद भारत को देखने का तरीका भी.
इस एक दशक में क्या कुछ नहीं बदला? चेहरे पर पहले भी आत्मविश्वास था, आज भी है… लेकिन आज वो आत्मविश्वास अनुभव और अंतरराष्ट्रीय पहचान से भी जुड़ा है.
*11साल में पीएम मोदी की वे प्रमुख उपलब्धियां जो भारत के भविष्य का मील का पत्थर बनेंगी*
*जनधन योजना:* 2014 में शुरू की गई यह योजना देश के करोड़ों गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने का माध्यम बनी. पहली बार बड़ी आबादी को सीधे बैंक खाते, बीमा और आर्थिक समावेशन का लाभ मिला.
*स्वच्छ भारत मिशन:*
गांधी के स्वप्न को साकार करने के लिए पीएम मोदी ने स्वच्छता को आंदोलन बनाया. 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने और खुले में शौच की दर में भारी गिरावट आई.
*जीएसटी लागू करना:*
विभिन्न करों को खत्म कर पूरे देश को “एक राष्ट्र, एक कर” की नीति से जोड़ा गया. इससे व्यापारिक प्रक्रिया आसान हुई और टैक्स सिस्टम पारदर्शी बना.
*आयुष्मान भारत योजना:*
गरीबों को 5 लाख रुपये तक का हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना बनी. करोड़ों लोगों को अस्पताल में इलाज मुफ्त मिला.
*डिजिटल इंडिया:*
मोदी सरकार ने तकनीक को जन-जन तक पहुंचाया. यूपीआई, डिजिलॉकर, डिजिटल भुगतान जैसे प्लेटफॉर्म आम नागरिक की जिंदगी का हिस्सा बने. साल 2014 में भारत मुख्य रूप से नकदी आधारित अर्थव्यवस्था थी, जिसमें डिजिटल लेन-देन की भूमिका बहुत कम थी. हालांकि, साल 2015 में शुरू किए गए सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान ने कई नजरिए को बदल दिया. साल 2016 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस की शुरुआत ने डिजिटल भुगतान को सहज और आम लोगों के लिए काफी आसान बना दिया. गूगल पे, फोन पे और पेटीएम जैसे प्लेटफॉर्म घर-घर में मशहूर हो गए, जिससे रोज़मर्रा के लेन-देन में क्रांति आ गई.

साल 2014 में यूपीआई लेन-देन न के बराबर थे. साल 2014 में शुरू की गई जन धन योजना ने भी वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इससे 50 करोड़ से ज़्यादा बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में शामिल किया. आज भारत डिजिटल वित्तीय समावेशन में अग्रणी के रूप में खड़ा है, जहां छोटे विक्रेता भी क्यूआर कोड के ज़रिए पेमेंट स्वीकार कर रहे हैं.

*इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी:*
एक्सप्रेसवे, रेलवे, एयरपोर्ट और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में बुनियादी ढांचे को विस्तार मिला. भारत में हर दिन औसतन 37 किलोमीटर हाईवे बनने लगे. 2014 में नौकरशाही बाधाओं और फंडिंग के मुद्दों के कारण सड़क और राजमार्ग निर्माण में देरी हुई. अगले दशक में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया. 2014 में राजमार्गों का निर्माण 4,000 किलोमीटर हर साल से बढ़कर 2025 तक लगभग 12,000 किलोमीटर प्रति वर्ष हो गया, जिससे कनेक्टिविटी में काफी सुधार हुआ.
भारतमाला और सागरमाला परियोजनाओं के शुभारंभ ने सड़क और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया, जिससे रसद दक्षता में बढ़त हुई. 2016 में शुरू की गई उड़ान योजना ने 100 नए हवाई अड्डों की स्थापना करके क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार किया, जिससे छोटे शहरों में हवाई यात्रा आसानी से उपलब्ध हो गई. भारत की पहली सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन, वंदे भारत ट्रेनों की शुरूआत ने यात्रा को आरामदायक बनाया और यात्रा के समय को कम किया.
*अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान:*
नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति को नया आयाम दिया. संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका, जापान और संयुक्त अरब अमीरात तक भारत की वैश्विक छवि को मजबूत किया.साल 2014 में भारत का वैश्विक प्रभाव सीमित था, लेकिन मोदी की सक्रिय कूटनीति ने देश की स्थिति को बढ़ाया. एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फर्स्ट जैसी पहलों के जरिए भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई और दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया. अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों और रणनीतिक साझेदारी पर सरकार के फोकस ने भारत को दुनिया के कई मंचों पर एक अहम खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है.
2023 में जी20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी ने वैश्विक आर्थिक फैसले लेने में भारत के बढ़ते नेतृत्व को प्रदर्शित किया. 2015 में भारत ने सह-स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन ने अक्षय ऊर्जा पर वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया.
*आत्मनिर्भर भारत अभियान:*
कोविड-19 के बाद आत्मनिर्भरता को विकास का मंत्र बनाया गया. लोकल मैन्युफैक्चरिंग और एमएसएमई को प्रोत्साहन मिला.
*अनुच्छेद 370 हटाना:*
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर मोदी सरकार ने एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया, जिसे दशकों से लंबित माना जा रहा था.
*राम मंदिर निर्माण:*
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को पीएम मोदी ने नेतृत्व देकर शांतिपूर्ण और गरिमामय रूप दिया.
*नारी शक्ति और कानून:* तीन तलाक कानून, महिलाओं के लिए सैन्य सेवा में प्रवेश और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों से महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी.
*रक्षा और सुरक्षा*
साल 2014 में भारत अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रक्षा आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर था. पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया है. ‘मेक इन इंडिया’ पहल के जरिए इससे देश ने स्वदेशी रक्षा उपकरणों का निर्माण शुरू किया, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम हुई.
भारत का रक्षा निर्यात जो 2014 में लगभग 2,000 करोड़ रुपये था, 2025 तक 20,000 करोड़ रुपये को पार करने का अनुमान है. तेजस लड़ाकू विमान, ब्रह्मोस मिसाइल और पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे स्वदेशी उत्पाद अब इंडोनेशिया, फिलीपींस और आर्मेनिया जैसे देशों को निर्यात किए जा रहे हैं. साल 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना ने चार साल के अनुबंध पर युवा सैनिकों की भर्ती करके सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण किया, जिससे भारत की सेना की ताकत और दक्षता में सुधार हुआ.
*शिक्षा और कौशल विकास*
साल 2014 में भारत की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए आधुनिकीकरण की आवश्यकता थी. साल 2020 में शुरू की गई नई शिक्षा नीति (एनईपी) ने 10+2 प्रणाली को 5+3+3+4 संरचना के साथ बदलकर एक महत्वपूर्ण सुधार को देश के सामने रखा. इसमें कौशेल विकास और बहु-विषयक शिक्षा पर जोर दिया गया.
साल 2025 तक सरकार का लक्ष्य 500 कौशल भारत केंद्र स्थापित करना है, जो एआई, रोबोटिक्स और डेटा विज्ञान जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. इससे युवाओं की रोजगार क्षमता में सुधार होता है. इसके अलावा पीएम ईविद्या और स्वयं जैसी पहलों ने ऑनलाइन शिक्षा को लोगो के लिए आसान बनाया. खासकर, महामारी के दौरान इससे पूरे देश में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा मिला है.
*विदेश नीति*
साल 2014 में भारत का वैश्विक प्रभाव सीमित था, लेकिन मोदी की सक्रिय कूटनीति ने देश की स्थिति को बढ़ाया. एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फर्स्ट जैसी पहलों के जरिए भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई और दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया. अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों और रणनीतिक साझेदारी पर सरकार के फोकस ने भारत को दुनिया के कई मंचों पर एक अहम खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है.
*आर्थिक विकास*
जब नरेंद्र मोदी ने 2014 में कार्यभार संभाला था, तब भारत की अर्थव्यवस्था का विकास काफी सुस्त था और ये ज्यादा मुद्रास्फीति से भी जूझ रही थी. उस समय देश की जीडीपी विकास दर 6.4 प्रतिशत के आसपास थी, जबकि मुद्रास्फीति 8 प्रतिशत से ज्यादा थी. इसका असर घरेलू खर्चों पर पड़ रहा था. पिछले कुछ सालों में सरकार के आर्थिक सुधारों, जिसमें माल और सेवा कर (जीएसटी), दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) शामिल हैं. इन सब वजहों ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद की.2014 में जो जीडीपी लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर थी वो 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर सकती है. देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना पीएम मोदी के प्रमुख वादों में से एक को पूरा करता है. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी की गई अहम पहलों ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया है. इस वजह से भारत ज्यादा आत्मनिर्भर बन गया है और आयात पर निर्भरता कम हुई है.
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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