चंडीगढ़, 07 मार्च 2025 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव को राज्य में तीन दशक पुरानी पेंशन लाभ योजना को लागू करने में विफल रहने पर बुधवार को अवमानना नोटिस जारी किया है। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि कोर्ट को गुमराह नहीं किया जा सकता। पीठ ने मुख्य सचिव से जवाब मांगा कि दायित्व के उल्लंघन के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट को बार-बार दिए गए आश्वासन के बावजूद राज्य सरकार द्वारा अनुपालन नहीं किया गया है। इसलिए हम पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उसे यह बताने को कह रहे हैं कि क्यों न उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई शुरू की जाए।
पीठ ने कहा कि यदि अधिकारी को लगता है कि कोई अन्य अधिकारी दोषी है, तो वह हलफनामा दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं। वह जिम्मेदार अधिकारियों के नाम या अन्य विवरण दें, ताकि अदालत कार्रवाई शुरू कर सके। इस मामले में अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी। पीठ ने पंजाब के लोक शिक्षण निदेशक (महाविद्यालय) कार्यालय के उपनिदेशक को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा कि झूठा हलफनामा दायर करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। सुप्रीम कोर्ट रजनीश कुमार और अन्य द्वारा पंजाब सरकार सहायता प्राप्त कॉलेज पेंशन लाभ योजना, 1996 का कार्यान्वयन न होने के संबंध में दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी।
पंजाब के कैबिनेट मंत्री महेंद्र भगत ने बुधवार को अपने बस्ती नौ स्थित कार्यालय में 100 के करीब विधवा, बुढ़ापा,अपंग तथा आश्रित लोगों को पेंशन पत्र वितरित किए। मोहिंदर भगत ने कहा कि सभी बुजुर्ग, विधवा महिलाएं, आश्रित तथा अपंग व्यक्ति सम्मान के साथ जीने का अधिकार रखते हैं। यह तभी संभव हो पाएगा जब उनके रहने खाने की कोई परेशानी ना हो। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की पंजाब सरकार इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हर उपयुक्त लोगों की पेंशन लगा रही है। इस अवसर पर पार्षद पति सुदेश भगत, संजीव भगत मीडिया इंचार्ज जालंधर, गुरनाम सिंह ब्लाक प्रधान, वरुण सज्जन ब्लाक प्रधान, सुभाष गोरिया, कमल लोच, गौरव जोशी, मन भगत, दुषांत, रवि भगत, पूर्ण भगत तथा कुलदीप गगन उपस्थित थे।