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संघ ने शुरू किया गर्भ संस्‍कार कार्यक्रम

आरएसएस की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति के एक विंग ने जेएनयू यूनिवर्सिटी में गायनेकोलॉजिस्ट्स का एक कार्यक्रम किया था।

नई दिल्ली, 06 मार्च  2023 (यूटीएन)। आरएसएस की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति के एक विंग ने जेएनयू यूनिवर्सिटी में गायनेकोलॉजिस्ट्स का एक कार्यक्रम किया था। इस कार्यक्रम में संवर्धिनी न्यास नाम के इस विंग ने गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भ संस्कार नाम के कैंपेन की शुरुआत की है। इस विंग ने कैंपेन के तहत कहा है कि गर्भवती महिलाओं को भगवान राम, हनुमान, शिवाजी समेत स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और संघर्ष के बारे में पढ़ाना चाहिए।
जिससे बच्चे गर्भ में ही संस्कार सीखना शुरू कर दें। गर्भ संस्कार कैंपेन के तहत संवर्धिनी न्यास नाम का ये विंग तमाम गायनेकोलॉजिस्ट्स से संपर्क करेगा। ये डॉक्टर गर्भवती महिलाओं तक पहुंचेंगे और बच्चे जन्म से पहले ही भारतीय संस्कार को कैसे सीखे, इसके लिए तरीके सिखाएंगे। जेएनयू में हुए इस कार्यक्रम में कई गायनेकोलॉजिस्ट्स ने हिस्सा लिया और इस प्रक्रिया को सीखा।
*12 राज्यों से जुटे कई डॉक्टर*
संवर्धिनी न्यास के इस वर्कशॉप में 12 राज्यों से 70 से 80 डॉक्टर शामिल हुए. जिनमें से ज्यादातर गायनेकोलॉजिस्ट्स और आयुर्वेद डॉक्टर रहे। इस कार्यक्रम में चीफ गेस्ट जेएनयू की वाइस चांसलर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित थीं। हालांकि, वो इसमें शामिल नहीं हुईं। संवर्धिनी न्यास की राष्ट्रीय सचिव माधुरी मराठे ने कहा कि गर्भ से ही संस्कार लाना है। बच्चे को ये सिखाने की जरूरत है कि देश सबसे पहले है। उन्होंने छत्रपति शिवाजी की मां जीजाबाई का उदाहरण दिया, जिन्होंने एक शासक को जन्म देने के लिए प्रार्थना की थी। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को उनकी (जीजाबाई) तरह ही प्रार्थना करनी चाहिए, जिससे बच्चों में हिंदू शासकों के गुण आएं।
*प्रेग्नेंसी के दौरान पढ़ें संस्कृत और गीता*
इस वर्कशॉप में कहा गया कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को संस्कृत और गीता पढ़नी चाहिए। दावा किया गया कि अगर गर्भ संस्कार ठीक तरीके से किया जाए, तो बच्चे का डीएनए भी गर्भ में ही बदला जा सकता है। एम्स के डॉ. राम जयसुंदर ने कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता बेहतर आर्थिक स्तर वाले होते हैं, उनके बच्चों में दिव्यांगता और मंदबुद्धि होने का चलन तेजी से बढ़ा है। ये हमें चौंकाता है कि आखिर प्रेग्नेंसी के दौरान क्या गलत हो रहा है। उन्होंने कहा कि गर्भ संस्कार को प्रेग्नेंसी से पहले ही शुरू कर दिया जाता है। जैसे ही कोई कपल बच्चे के बारे में सोचता है, आयुर्वेद वहां होता है।
इस कार्यक्रम में डॉ. रजनी मित्तल ने कहा कि हमारा लक्ष्य देश में हर साल गर्भ संस्कार के जरिये 1000 बच्चों का जन्म करवाना है। इसके जरिये भारत की पुरातन गौरव को वापस लाया जा सकता है। देश में अपराध बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हम देख रहे हैं, बच्चे अपने अभिभावकों की हत्या कर रहे हैं, रेपिस्ट बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं खुश होंगी अगर वो भगवान राम जैसे बच्चों को जन्म देंगी, जो अपने माता-पिता की सेवा और देश के लिए प्रतिबद्ध हो।
*सोचने भर से बच्चे हो रहे होमोसेक्सुअल*
इस कार्यकम में ये भी कहा गया कि प्रेग्नेंसी के दौरान लिंग निर्धारण के बारे में सोचने की वजह से बच्चे आजकल होमोसेक्सुअल हो रहे हैं। डॉ. श्वेता डांगरे ने कहा कि अगर किसी महिला ने पहले एक लड़के को जन्म दिया है और दोबारा एक लड़की को जन्म देने की सोच रही है, लेकिन एक लड़के को जन्म देती है तो बच्चा बड़ा होकर होमोसेक्सुअल हो सकता है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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