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बीमारी कैसी भी हो, एम्स की इस अत्याधुनिक मशीन से बेपर्दा हो जाएंगे सारे रोग

अमेरिका के मेयो क्लिनिक में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विवेक गुप्ता ने बताया कि दुनिया में अब तक महज 10 सेंटरों पर फिलहाल 7 टेसला की एमआरआई मशीन उपलब्ध है.

नई दिल्ली, 27 मार्च 2024 (यूटीएन)। अब बीमारी कैसी भी हो, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इसका पता हर हाल में चल जाएगा. एम्स नई दिल्ली में देश का पहला 7 टेसला क्षमता वाले एमआरआई से शरीर के अंदर बारीक से बारीक चीजों का आसानी से पता लगाया जा सकता है. मरीजों की जांच के लिए पूरी दुनिया में अब तक 7 ही ऐसी एमआरआई मशीन है. इनमें से एक अब भारत के एम्स में होगी. शरीर के अंदर जब कोई जटिल बीमारी हो जाती है तो उसे समझने के लिए एमआरआई का सहारा लिया जाता है. एमआरआई चुंबकीय क्षेत्र वाली तकनीक पर काम करता है. इसमें बहुत तेज गति से चुंबकीय स्पंदन को शरीर के अंदर घुसाया जाता है जिससे हार्ट या स्पाइन के एकदम अंदर की गड़बड़ियों का चित्र उभर आता है. अब तक जो एमआरआई की तकनीक है उसकी क्षमता 3 टेसला तक की है. इसमें कुछ जटिल बीमारियों के बारीक का पता लगाना मुश्किल होता है. लेकिन 7 टेसला मशीन इन सबका जवाब है.
*कहां है फिलहाल यह मशीन*
अमेरिका के मेयो क्लिनिक में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विवेक गुप्ता ने बताया कि दुनिया में अब तक महज 10 सेंटरों पर फिलहाल 7 टेसला की एमआरआई मशीन उपलब्ध है. इनमें से 4 मशीन यूरोप में हैं. उन्होंने कहा कि एम्स जैसे संस्थान में इस मशीन का आना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. डॉ गुप्ता ने कहा कि दुनिया के बड़े अस्पतालों में एम्स एक है जहां मरीजों की संख्या बहुत अधिक है. ऐसे में इस तरह की मशीन डॉक्टर और मरीज दोनों के लिए वरदान है.
*3 टेक्सला से 7 टेक्सला पर एमआरआई*
डॉ. विवेक गुप्ता ने बताया कि आज की तारीख में न्यूरो साइंस बिना एमआरआई के संभव ही नहीं है, खासकर बात जब ब्रेन की हो तो एमआरआई बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. उन्होंने बताया कि क्लिनिक इमेजिंग के लिए बेसिक 1.5 टेसला की जरूरत होती है. हालांकि 3 टेसला इमेजिंग की गुणवत्ता इससे अच्छी होती है और इससे बेहतर परिणाम आते हैं. डबल मैगनेट स्ट्रेंथ के साथ 7 टेसला पिछले दो वर्ष में दुनिया के सामने आया है. आमतौर पर 7 टेसला का इस्तेमाल रिसर्च के लिए किया जाता है. 7 टेसला से बेहतर रेजोल्यूशन से फिल्म निकलकर सामने आती है जिससे बीमारियों की बारीकी को समझा जा सकता है.
*कितना मायने रखता है 7 टेक्सला*
एम्स में न्यूरोसांइस विभाग के प्रमुख डॉ एस.बी. गायकवाड ने कहा कि किसी भी बीमारी में एक छोटा सा वेरिएशन भी बहुत मायने रखता है. ऐसे में 7 टेसला काफी अहम है. उन्होंने कहा कि यदि एपिलेप्सी की बात करें तो छोटा सा वेरिएशन मरीज की किस्मत बदल सकता है. डॉ. गायकवाड के मुताबिक किसी भी व्यक्ति के ब्रेन को समझने के लिए वेरिएशन को समझना बहुत जरूरी है. मौजूदा समय में जितना वक्त लगता है 7 टेसला एमआरआई में हो सकता है इससे ज्यादा वक्त लगे लेकिन यदि 3 टेसला से इसकी तुलना करें तो परिणाम कई गुना बेहतर आता है.
*इन बीमारियों के लिए वरदान*
डॉ गायकवाड़ ने बताया कि माइक्रोस्कोपिक प्रोसेस के लिए 7 टेक्सला काफी अहम है. उन्होंने कहा कि जब किसी को स्ट्रोक आता है तो उसमें ब्लड वैसल्स की दीवार को कितनी क्षति हुई है यह 3 टेसला से कई बार पता नहीं चलता लेकिन 7 टेसला बारीक से बारीक क्षति का पता लगा लेती है. वहीं छोटे से छोटे ब्रेन ट्यूमर का पता लगाने के लिए भी 7 टेसला बहुत सटीक मशीन है. इसके साथ ही क्रिप्टिक अटैक, स्पाइनल कॉर्ड डिसॉर्डर जैसी बीमारियों का 7 टेसला एमआरआई आसानी से पता लगा लेता है. डॉ. गायकवाड ने बताया कि 7 टेसला एमआरआई काफी उच्च तकनीक पर बना है और इसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं है.
*कैसे पता चला 7 टेक्सला बेहतर है*
डॉ. गायकवाड ने बताया कि एपलेप्सी के मरीज का 1.5 टेसला और 3 टेसला पर एमआरआई किया गया. इसके साथ ही उसी मरीज का 7 टेसला पर भी एमआरआई किया गया. तीनों के परिणाम एक दूसरे से काफी इतर थे. 7 टेसला एमआरआई से इपलेप्सी के मरीजों का जब विश्लेषण किया गया तो काफी स्पष्ट तस्वीर सामने आई जिससे उनका बेहतर इलाज हो सकता.
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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